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    हिंदी सिनेमा के लिए ये साल हर मायने में ख़ास रहा है। चाहे बात बेहतर स्क्रिप्ट की हो या बेहतर अभिनय की, दर्शकों को ऐसी कई फिल्मों से रूबरू होने का मौका मिला जिससे वे जुड़ाव महसूस कर पाए। मगर हम फिल्मों में दिखने वाले अभिनेता की तारीफ तो कर देते हैं मगर कैमरे के पीछे मेहनत करने वालों को अक्सर भूल जाते हैं। आखिर निर्देशक ही ऐसा इन्सान होता है जो फिल्म को उस मुकाम तक पहुँचाने का काम करता है। और इसलिए हम इस साल के ऐसे निर्देशकों के ऊपर बात करेंगे जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी फिल्मों से एक नयी क्रांति की शुरुआत कर दी है।

    श्रीराम राघवन, अन्धाधुन 

    इस साल की सबसे बेहतर फिल्म देने वाले श्रीराम राघवन ने एक बड़े ही दिलचस्प अंदाज़ में इस फिल्म की कहानी को गढ़ा है। एक पियानोवादक जो अपनी रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ाने के लिए अंधा होने का दिखावा करता है, वो अपनी आँखों के सामने एक हत्या होते देख लेता है। और इसके बाद उसे किस किस चीजों से गुज़ारना पड़ता है वो आप किसी भी कीमत पर देखना छोड़ नहीं सकते।

    इस फिल्म में, आयुष्मान खुराना, तब्बू और राधिका आप्टे ने मुख्य किरदार निभाया है। फिल्म बनाने की प्रक्रिया पर बात करते हुए राघवन ने बताया-“जो कहानी मेरे दिमाग में चल रही थी उसे स्क्रिप्ट के रूप में डालना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल था-अंत की अस्पष्टता, क्यों ये लड़का अँधा होने का दिखावा कर रहा है, ये सारी चीज़े कुछ लोगों को समझने में दिक्कत हो रही थी।”

    मगर उनका अंदाज़ा किस्मती से गलत निकला। इसे ना केवल लोगो ने समझा बल्कि इसे आईएमडीबी 2018 की टॉप फिल्म का ख़िताब भी दिलवाया।

    मेघना गुलज़ार, राज़ी 

    इस फिल्म के बाद मेघना ने ये साबित कर दिया कि एक महिला निर्देशक भी ऐसे संजीदा मुद्दों को बड़ी ख़ूबसूरती से बड़े परदे पर दिखा सकती है। ये फिल्म पूरी तरह से महिलाओं पर ही आधारित थी। सिर्फ निर्देशक के तौर पर ही नहीं बल्कि अभिनेता के तौर पर भी। आलिया भट्ट ने अकेले अपने दम पर इस फिल्म को 100 करोड़ क्लब में शामिल करवाया।

    फिल्म को मिले इतने प्यार पर, मेघना ने कहा-“मुझे विश्वास था कि अगर आपका कंटेंट अच्छा है और नियत सही है और हर इंसान ने कड़ी मेहनत से काम किया है तो दर्शकों को जरूर पसंद आएगी। ये सिनेमा के लिए अच्छा वक़्त है जब फिल्म को कंटेंट की वजह से पसंद किया जा रहा है, फिल्म की स्टार-कास्ट की वजह से नहीं।”

    अमर कौशिक, स्त्री 

    इस फिल्म में जो समाज के कायदे कानून और इतने सालों से चली आ रही प्रथा को तोड़ने की हिम्मत थी तो इस फिल्म के निर्देशक ने वाकई ऐसी फिल्म बनाकर बहुत बड़ा जोखिम उठाया था। मगर कहते हैं न जितना बड़ा जोखिम, उतना बड़ा मुनाफा। राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर अभिनीत इस फिल्म में ऐसा एक भी सीन नहीं था जो आपको निराश करता।

    और एक और ख़ास बात ये है कि निर्देशक अमर कौशिक की ये पहली निर्देशित फिल्म है। पहली जोखिम से भरी फिल्म को बड़े पर्दे पर उतारने के लिए हिम्मत चाहिए होती है और अमर ने यही साबित किया है कि अगर आपको अपनी कहानी पर भरोसा है तो आप इसमें जरूर सफल होंगे।

    स्त्री इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी।

    अनुभव सिन्हा, मुल्क 

    सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और आतंकवाद पर फिल्म बनाना कोई बच्चो का खेल नहीं है। लेकिन अनुभव सिन्हा ने अपनी कहानी को जितनी समवेदनशीलता के साथ संभाला, सभी धर्मों के दर्शकों ने बैठकर इस फिल्म पर गौर किया।

    उनके मुताबिक, “मुल्क किसी के खिलाफ कुछ नहीं कहता है। अगर कहता है तो पक्षपात के खिलाफ, बिना ये ध्यान में रखे कि ये कौन कर रहा है।” ऋषि कपूर और तापसी पन्नू अभिनीत इस फिल्म को दर्शकों से इतना प्यार और सम्मान मिलने के बाद निर्देशक ने कहा-“अगर मैं अपनी बाकी फिल्मों को भी जोड़ दूँ तो भी उनके मुकाबले ‘मुल्क’ ने मेरे करियर के लिए ज्यादा किया है। अगर शाहरुख़ खान के साथ फिल्म बनाने वाले निर्देशक को किसी और फिल्म की वजह से जाना जाए तो ये वाकई एक उपलब्धि है।”

    सिद्धार्थ मल्होत्रा, हिचकी 

    रानी मुख़र्जी जब भी बड़े पर्दे पर आती हैं, धमाका मचा कर जाती हैं। मगर इस बार श्रेय केवल उन्हें ही नहीं, इस फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ मल्होत्रा को भी देना होगा। टॉरेट सिंड्रोम से जूझ रही एक अध्यापिका की कहानी दिखाना इतना भी आसान नहीं था। ये फिल्म जितना भारत में, उतना ही विदेशो में भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो पाई है।

    इस पर बात करते हुए मल्होत्रा ने कहा-“ये बिना किसी बाधा के एक कहानी सुनाने की पांच साल की भूख थी।” हम आपको बता दें कि उन्होंने पांच साल से कई निर्माताओं से अस्वीकरण मिलने के बाद, यशराज फिल्म्स के बैनर तले इस फिल्म को रिलीज़ किया था। उन्होंने बताया कि निर्माता ना मिलने से उनका दिल तो कई बार दुखी हुआ था मगर उन्हें अपनी कहानी से इतना प्यार था कि उन्होंने हार नहीं मानी।

    अमित शर्मा, बधाई हो 

    एक दम अलग कहानी उसके बावजूद भी लोगों ने अगर सबसे ज्यादा जिस कहानी या फिल्म से जुड़ाव महसूस किया वो थी ‘बधाई हो‘। साल की सबसे बड़ी हिट। इस फिल्म ने ‘थग्स ऑफ़ हिंदुस्तान’ और ‘बाहुबली’ को भी पछाड़ दिया था।

    इस फिल्म की सफलता से खुश हुए निर्देशक अमित शर्मा ने कहा-“यह इस बात का प्रमाण है कि सिनेमा प्रेमी अलग और मनोरंजक कंटेंट देखने के लिए तैयार हैं।”

    इस फिल्म में एक बुजुर्ग महिला के गर्भवती होने की कहानी दिखाई गयी है। टोटल पैसा वसूल फिल्म में आयुष्मान खुराना, नीना गुप्ता, गजराज राव और सान्या मल्होत्रा ने मुख्य किरदार निभाया है। निर्देशक ने बताया कि एक बुज़ुर्ग दंपत्ति के बीच भी प्रेम दिखाना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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