Sat. Nov 23rd, 2024

    निर्देशक लक्ष्मण उतेकर की फिल्म “लुका छुपी” बहुत जल्द सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। ये उनकी निर्देशक के तौर पर डेब्यू हिंदी फिल्म है। इससे पहले, उन्होंने कई बड़ी फिल्मो में डीओपी के तौर पर काम किया है और उनका कहना है कि अपने इस सफ़र में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। उन बड़ी फिल्मों में ‘डियर ज़िन्दगी’, ‘इंग्लिश विन्ग्लिश’, ‘हिंदी मीडियम’ समेत और भी फिल्में मौजूद हैं।

    PTI को उन्होंने बताया-“मैंने जिनके साथ काम किया है, उन सभी से कुछ ना कुछ सीखा है। उन लोगों से सीखने के लिए कितना कुछ है। जब आप शाहरुख खान के साथ काम करते हैं, तो आप शालीनता सीखते हैं। वह पूरी तरह से सज्जन पुरुष हैं। वह जानते है कि लोगों से कैसे बात करनी है, उन्हें कैसे संभालना है।”

    बच्चन साहब की परिपक्वता और अनुभव प्रतिबिंबित होता है जब आप उनके साथ काम करते हो। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे इतने प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करने का मौका मिला।” लक्ष्मण ने इससे पहले, मराठी फिल्में जैसे ‘टपाल’ और ‘लालबॉगची रानी’ का निर्देशन किया है। “लुका छुपी” उनका पहला हिंदी निर्देशन डेब्यू है।

    दिनेश विजन द्वारा निर्मित फिल्म में कार्तिक आर्यन और कृति सैनन ने मुख्य किरदार निभाया है। निर्देशक ने कहा कि दोनों ग्लैमर चहरो से बढ़कर काबिल अभिनेता हैं। उनके मुताबिक, “मैंने उनकी ज्यादा फिल्में नहीं देखी हैं लेकिन जब हमने रीडिंग सेशन शुरू किया, मुझे उनकी संवेदनाओं का पता चल गया क्योंकि जिस तरह के सवाल वे पूछते थे, जिस तरह से वे बारीकियों पर चर्चा करते थे, उसने मुझे खुश कर दिया।”

    “मैंने महसूस किया कि कार्तिक और कृति केवल ग्लैमरस स्टार्स नहीं हैं। दोनों बहुत प्रतिभाशाली और समझदार अभिनेता भी हैं। उनकी तरह बहुत कम लोग हैं। हमारी इंडस्ट्री में, आपको अच्छे दिखने वाले लोग मिल जाएंगे मगर हो सकता है वो ज्यादा अच्छे अभिनेता ना हो या इसके विपरीत हो जाएगा।”

    रोम-कॉम मथुरा में सेट है और इसमें एक जोड़े की कहानी दिखाई गयी है जो सपरिवार लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है। लक्ष्मण का कहना है कि दर्शकों को विदेशो में रोमांस देखने की आदत है या अगर भारत में हुआ तो ज्यादातर पंजाब दिखाया जाता है।

    उन्होंने कहा-“दुनिया भर में, दर्शक हर तीन साल में अपनी पसंद बदल देते हैं। फ़िलहाल, दर्शक भारतीय संस्कृति और रंग देखना चाहते हैं जो बड़े पर्दे से गायब था तब तक आनंद एल राय की ‘रांझना’ नहीं आई। हर 100 किलोमीटर की दूरी पर, एक अलग ही बोली और परंपरा है। लोग आज हर चीज़ देखना चाहते हैं। वे इसे पसंद कर रहे हैं। ये चलन तीन साल और चलेगा, और उसके बाद चलन फिर बदल सकता है।”

    फिल्म इसी शुक्रवार रिलीज़ हो रही है।

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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