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    'मैंने प्यार किया' से 'प्रेम रतन धन पायो' तक, क्यों सूरज बड़जात्या की फिल्मों के नायक का नाम होता है प्रेम?

    जब सलमान खान फिल्म ‘मैंने प्यार किया‘ से बड़े पर्दे पर आये थे तो सभी के दिलों में प्रेम बस गया था। फिल्म में सलमान के किरदार का नाम प्रेम होता है। उसके बाद उन्होंने सूरज बड़जात्या के साथ जितनी भी फिल्में की, चाहे वो ‘हम आपके हैं कौन’, ‘हम साथ साथ हैं’ या ‘प्रेम रतन धन पायो’, सभी फिल्मों में सलमान ने प्रेम नाम के किरदार को जीवंत किया। और भाईजान के साथ ही क्यों, सूरज ने बाकी दो फिल्में- ऋतिक रोशन और अभिषेक बच्चन अभिनीत ‘मैं प्रेम की दीवानी हूँ’ और शाहिद कपूर अभिनीत ‘विवाह’ में भी नायक को प्रेम का नाम दिया।

    PTI को दिए इंटरव्यू में सूरज ने बताया कि इस नाम में वो सबकुछ समा जाता है जो वो अपनी फिल्मों से कहना चाहते हैं। निर्देशक के मुताबिक, “प्रेम एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो अपने मूल अधिकार रखता है, जो पारंपरिक रूप से निहित है, मज़ेदार है लेकिन अपने परिवार के साथ रहना पसंद करता है और दिल का अच्छा है।”

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    सूरज ने बताया कि ऐसे नाम को लाने का सफ़र जो बाद में जाकर घर घर का नाम बन जाएगा, वो सोची-समझी प्रक्रिया थी। उन्होंने खुलासा किया-“जब हम ‘मैंने प्यार किया’ की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे, हम हीरो को देने के लिए नाम के ऊपर विचार कर रहे थे। गौरव, प्रताप और यहाँ तक कि राज जैसे विकल्प थे। ये शाहरुख़ खान के आने से पहले का था। इसलिए राज भी एक विकल्प था।”

    निर्देशक ने बताया कि नाम के ऊपर बहुत ज्यादा चर्चा की गयी थी जब तक उन्होंने ये महसूस नहीं किया है कि वो जो खोज रहे हैं वो परिवार के अन्दर ही है। उन्होंने कहा-“उस वक़्त हमारे राजश्री प्रोडक्शन की सबसे बड़ी हिट थी-‘दुल्हन वही जो पिया मन भाये’ (1977)। प्रेम कृषण जी हीरो थे और उस फिल्म में उनका नाम प्रेम था। तो हम सब ने सोचा कि अगर वो हिट हो गयी तो इस फिल्म के लिए भी इस नाम का इस्तेमाल करते हैं इसी उम्मीद में कि ये भी हिट हो जाएगी। तो ऐसे ये नाम शुरू हुआ और अभी तक बना हुआ है।”

    आपने सूरज की फिल्मों में देखा होगा कि उनमे हमेशा अमीर और बड़े परिवार ही दिखाए जाते हैं और हमेशा भव्य शादी और खर्चीले पारिवारिक समारोह की प्रष्ठभूमि रहती है। निर्देशक ने कहा कि वो जानते हैं कि ऐसे भी लोग हैं जो इस तरह के सिनेमा को पुराना मानते हैं मगर वो जो अपनी फिल्मों में दिखाते हैं वो उनकी ज़िन्दगी का इमानदार प्रतिबिम्ब है।

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    उन्होंने कहा-“हम ऐसे ही बड़े हुए हैं, 15 लोगों के एक घर में। हम सब अभी भी साथ हैं। मेरी पूरी ज़िन्दगी मामी, बुआ, दादी और समारोह के साथ बीती है। वर्ना मैं 25 साल की उम्र में ‘हम आपके है कौन’ कैसे बनाता? वो लड़कियों के साथ घूमने की और अपनी जवानी का आनंद लेने की उम्र होती है। मगर जो आप मेरी फिल्मों में देखते हैं, वो मेरी ज़िन्दगी है। मेरा बचपन बहुत हरा भरा और खूबसूरत था। कोई भी बुरा पड़ाव नहीं था। जो मैं देखकर बड़ा हुआ हूँ मेरी फिल्में वही से आती हैं।”

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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