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    Pankaj Kapur Biography

    पंकज कपूर भारतीय फिल्मो के जाने माने अभिनेता हैं। उन्होंने एक अभिनेता के साथ साथ एक स्टोरी लेखक, स्क्रीन लेखक और निर्देशक के काम भी किए हैं। उन्होंने अपने अभिनय की वजह से कई सारी लोकप्रियता को अपने नाम किया है।

    पंकज कपूर के द्वारा अभिनय किए गए फिल्मो की बात करे तो उन्होंने ‘गाँधी’, ‘जाने भी दो यारो’, ‘मंडी’, ‘ऐतबार’, ‘आघात’, ‘सुसमा’, ‘मैं ज़िंदा हूँ’, ‘एक आदमी’, ‘एक डॉक्टर की मौत’, ‘राम जाने’, ‘दस’, ‘मक़बूल’, ‘हल्ला बोल’, ‘मटरू की बिजरी का मंडोला’, ‘फाइंडिंग फन्नी’, ‘शानदार’, ‘तोबा तक सिंह’ जैसी फिल्मो में अपने अभिनय को दर्शको के सामने पेश किया है।

    पंकज कपूर ने अपने अभिनय की वजह से ना केवल दर्शको का प्यार ही पाया है बल्कि कई अवार्ड्स को अपने नाम भी किया है। पंकज कपूर को ज़्यादा तर कॉमेडी ड्रामा फिल्मो में ही अभिनय करते हुए देखा गया है। उन्होंने अपने सहायक किरदारों को दर्शाने की वजह से भी अपनी लोकप्रियता को बढ़ावा दिया है।

    पंकज कपूर का प्रारंभिक जीवन

    पंकज कपूर का जन्म 29 मई 1954 को लुधिआना, पंजाब में हुआ था। उन्होंने एक पंजाबी परिवार में जन्म लिया था। पंकज के पिता पेशे से एक कॉलेज के प्रिंसिपल थे। पंकज ने अपने स्कूल की पढाई पंजाब में ही पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने सरकारी कॉलेज, लुधिआना से इंजीनियरिंग की पढाई समाप्त की थी। पंकज ने दिल्ली में ‘नैशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा’ से अभिनय को सीखा था।

    व्यवसाय जीवन

    पंकज कपूर का फिल्मो का शुरुआती सफर

    पंकज कपूर ने लगभग चार सालो तक थिएटर में अभिनय किया था। उन्होंने लगभग 74 प्लेस और सीरियल को निर्देश भी किया था। पंकज ने साल 1981 में दो फिल्मो में काम किया था। उन फिल्मो के नाम ‘हरी हैंडल बरगदर: शेयर क्रॉपपर’ और ‘कहाँ कहाँ से गुज़र गया’ हैं।

    साल 1982 में पंकज कपूर ने अपने अभिनय की शुरुआत हिंदी फिल्मो में की थी। उनकी पहली फिल्म का नाम ‘गाँधी’ था जिसके निर्देशक ‘रिचार्ड अट्टेंबोरौघ’ थे। फिल्म में पंकज ने ‘प्यारेलाल नय्यर’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उसी साल पंकज ने फिल्म ‘आधारशिला’ में भी अभिनय किया था जिसके निर्देशक ‘अशोक अहूजा’ थे।

    साल 1983 की शुरुआत पंकज ने फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के साथ की थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘कुंदन शाह’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘तरनेजा’ नाम का किरदार अभिनय किया था। उसी साल पंकज ने फिल्म ‘आरोहण’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘श्याम बेनेगल’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को ओम पूरी, विक्टोर बनर्जी और पंकज कपूर ने दर्शाया था।

    उस साल की आखरी फिल्म पंकज की ‘मंडी’ थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘श्याम बेनेगल’ थे और फिल्म में पंकज ने शांति देव के असिस्टेंट की भूमिका दर्शाई थी।

    साल 1984 में पंकज को फिल्म ‘खानधार’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मृणाल सेन’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘दीपू’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उस साल की पंकज की दूसरी फिल्म का नाम ‘मोहन जोशी हाजिर हो!’ थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘साइड अख्तर मिर्ज़ा’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को नसीरुद्दीन शाह, दीप्ति नवल, भीषम साहनी और दिन पाठक ने अभिनय किया था।

    साल 1985 में सबसे पहले पंकज को फिल्म ‘खामोश’ में देखा गया था। इस फिल्म में पंकज ने ‘कुक्कू’ नाम के किरदार को दर्शाया था और फिल्म के निर्देशक ‘विधु विनोद चोपड़ा’ थे। इसके बाद उस साल की पंकज की दूसरी फिल्म का नाम ‘ऐतबार’ था जिसके निर्देशक ‘मुकुल आनंद’ थे। फिल्म में पंकज ने ‘एडवोकेट झा’ नाम का किरदार अभिनय किया था जिसे फिल्म में दर्शाया नहीं गया था।

    उस साल की पंकज की आखरी फिल्म का नाम ‘आघात’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘गोविंदा निहलानी’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘छोटेलाल’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को नसीरुद्दीन शाह, ओम पूरी और भारत गोपी ने अभिनय किया था।

    साल 1986 में पंकज ने सबसे पहले फिल्म ‘चमेली की शादी’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘बासु चटर्जी’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘कल्लूमल’ उर्फ़ ‘कोयलवाला’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद पंकज ने फिल्म ‘मुसाफिर’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘शंकरण पिल्लई’ नाम के किरदार को दर्शाया था। उस साल की पंकज की आखरी फिल्म का नाम ‘एक रुका हुआ फैसला’ था।

    पंकज कपूर का फिल्मो का बाद का सफर

    साल 1987 की बात करे तो उस साल पंकज ने सबसे पहले फिल्म ‘जलवा’ में ‘अल्बर्ट पिंटू’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘यह वो मंज़िल तो नहीं’ में अभिनय किया था जिसके निर्देशक ‘सुधीर मिश्रा’ थे। इस फिल्म में पंकज ने ‘रोहित’ नाम के किरदार को दर्शाया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को पंकज कपूर, मनोहर सिंह, हबीब तंवर, सुष्मिता मुख़र्जी और नसीरुद्दीन शाह ने अभिनय किया था।

    उस साल की पंकज कपूर की आखरी फिल्म ‘सुस्मन’ थी।

    साल 1988 की शुरुआत पंकज ने फिल्म ‘मैं ज़िंदा हूँ’ के साथ की थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘सुधीर मिश्रा’ ही थे और फिल्म में पंकज के साथ मुख्य किरदारों को राजेंद्र गुप्ता, दीप्ति नवल और अलोक नाथ ने अभिनय किया था। इसके बाद उस साल की पंकज कपूर की दूसरी फिल्म ‘एक आदमी’ थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘ख्वाजा अहमद अब्बास’ थे। इसके बाद पंकज को उस साल आखरी बार टेलीविज़न फिल्म ‘तामस’ में देखा गया था।

    साल 1989 में पंकज ने फिल्म ‘अगला मौसम’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सागर सरहदी’ थे और फिल्म में पंकज कपूर के साथ अभिनेत्री सुप्रिया पाठक ने मुख्य किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल पंकज को फिल्म ‘राख’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘आदित्य भट्राचार्य’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘इंस्पेक्टर पि. के.’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    उस साल की पंकज की तीसरी फिल्म का नाम ‘मरही डा दीवा’ था, जो की एक पंजाबी फिल्म थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘सुरिंदर सिंह’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘रौनकी’ नाम का किरदार अभिनय किया था। पंकज की उस साल की आखरी फिल्म का नाम ‘कमला की मौत’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘बासु चटर्जी’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘सुधाकर पटेल’ नाम का किरदार अभिनय किया था।

    साल 1990 में पंकज को फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ में देखा गया था। इस फिल्म में पंकज ने ‘डॉ. दीपांकर रॉय’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म के निर्देशक ‘तपन सिन्हा’ थे। इसके बाद पंकज कपूर ने फिल्म ‘षड़यंत्र’ में सब-इंस्पेक्टर ‘तबरेज़ मुहम्मद खान’ उर्फ़ ‘तब्बू’ नाम का किरदार अभिनय किया था।

    साल 1993 में भी पंकज ने दो ही फिल्मो में अभिनय किया था। उनमे से पहली फिल्म का नाम ‘आकांशा’ है और दूसरी फिल्म का नाम ‘द बर्निंग सीजन’ है। पंकज ने साल 1994 में फिल्म ‘कोख’ में अभिनय किया था। इसके बाद उन्होंने साल 1995 में फिल्म ‘राम जाने’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में पंकज ने ‘पन्नू टैक्नीकलर’ नाम का किरदार अभिनय किया था और फिल्म के निर्देशक ‘राजीव महरा’ थे।

    पंकज कपूर का फिल्मो का सफल सफर

    साल 2002 में पंकज कपूर ने एक बार फिर अपनी वापिसी हिंदी फिल्मो में की थी। उनकी इस फिल्म का नाम ‘जैकपोट दो करोडे’ था और फिल्म में पंकज ने ‘राणा’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    साल 2003 में सबसे पहले पंकज ने फिल्म ‘मैं प्रेम की दीवानी हूँ’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सूरज बरजात्या’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘सत्यप्रकाश’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को करीना कपूर, ह्रितिक रोशन और अभिषेक बच्चन ने अभिनय किया था। पंकज ने उसी साल फिल्म ‘मक़बूल’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘जहांगीर खान’ उर्फ़ ‘अब्बाजी’ नाम का किरदार अभिनय किया था।

    साल 2005 में पंकज ने फिल्म ‘दस’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अनुभव सिन्हा’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘जम्वाल’ नाम के किरदार को दर्शाया था। पंकज ने इसके बाद फिल्म ‘द ब्लू अम्ब्रेला’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘विशाल भारतद्वाज’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘नन्द किशोर’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को पंकज कपूर, श्रेया शर्मा और दीपल डोबरियाल ने अभिनय किया था।

    साल 2007 में पंकज ने फिल्म ‘धर्म’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘भावना तलवार’ थे और फिल्म में पंकज कपूर ने ‘पंडित चतुर्वेदी’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक ने दर्शाया था।

    साल 2008 में पंकज ने फिल्म ‘हल्ला बोल’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘राजकुमार संतोषी’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘सिद्धू’ नाम का किरदार अभिनय किया था।

    साल 2009 में पंकज को फिल्म ‘लव खिचड़ी’ में अभिनय करते हुए देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘श्रीनिवास भाष्यम’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘सुब्रमणि’ नाम के किरदार का अभिनय किया था। साल 2010 में सबसे पहले पंकज ने फिल्म ‘हैप्पी’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में पंकज ने भी ‘हैप्पी’ नाम के किरदार को ही दर्शाया था। उसके बाद उसी साल उन्हें फिल्म ‘गुड शर्मा’ में देखा गया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘हनुमान’ था।

    साल 2011 में पंकज ने एक ही फिल्म में अभिनय किया था। उस फिल्म का नाम ‘चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘राजीव महरा’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘मुसद्दी लाल त्रिपाठी’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को पंकज कपूर, देवें भोजानी, असवारी जोशी, संजय मिश्रा के साथ बाकी कई कलाकरो ने अभिनय किया था।

    साल 2013 में पंकज ने फिल्म ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘विशाल भारद्वाज’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘हैरी मंडोला’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को पंकज कपूर, अनुष्का शर्मा और इमरान खान ने अभिनय किया था।

    साल 2014 में भी पंकज को एक ही फिल्म में देखा गया था। इस फिल्म का नाम ‘फाइंडिंग फन्नी’ था। फिल्म के निर्देशक ‘होमी अदाजानिया’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘डॉन पेड्रो’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को नसीरुद्दीन शाह, डिंपल कपाडिया, पंकज कपूर, दीपिका पादुकोण और अर्जुन कपूर ने अभिनय किया था।

    साल 2015 में पंकज ने फिल्म ‘शानदार’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘विकास बहल’ थे और फिल्म में पंकज ने ‘बिपिन अरोड़ा’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को शाहिद कपूर और आलिया भट्ट ने अभिनय किया था।

    साल 2017 में पंकज को एक फिल्म में अभिनय करते हुए देखा गया था। उस फिल्म का नाम ‘तोबा तक सिंह’ था, जिसके निर्देशक ‘केतन मेहता’ थे। फिल्म में पंकज ने ‘तोबा तक सिंह’ नाम का ही किरदार अभिनय किया था।

    पंकज कपूर के आने वाले फिल्मो की बात करे तो उन्हें आगे फिल्म ‘जर्सी’ में देखा जायगा। इस फिल्म के निर्देशक ‘गौतम तिण्णानुरि’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को शाहीद कपूर, मरुनल ठाकुर और पंकज कपूर ने अभिनय किया था।

    पुरस्कार और उपलब्धियां

    • साल 1989 में फिल्म ‘राख’ के लिए ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 1991 में फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ के लिए ‘स्पेशल जूरी’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 2002 में फिल्म ‘ऑफिस ऑफिस’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर इन ए कॉमिक रोल’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 2004 में फिल्म ‘मक़बूल’ के लिए ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 2008 में ‘बेस्ट एक्टर नेशनल अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।

    पंकज कपूर का निजी जीवन

    पंकज कपूर ने सबसे पहले अभिनेत्री ‘नीलिमा अज़ीम’ के साथ शादी की थी। इन दोनों की शादी साल 1979 में हुई थी और साल 1984 में दोनों ने एक दूसरे को तलाख़ भी दे दिया था। पंकज और नीलिमा का एक बेटा है जिनका नाम ‘शाहिद कपूर’ हैं। नीलिमा ने पंकज से अलग होने के बाद, साल 1990 में ‘राजेश खट्टर’ के साथ शादी की थी। राजेश और नीलिमा का एक बेटा है जिसका नाम ‘ईशान खट्टर’ है। नीलिमा और राजेश का तलाख़ भी साल 2001 में हो गया था।

    पंकज कपूर ने नीलिमा से तलाख़ लेने के बाद साल 1988 में अभिनेत्री ‘सुप्रिया पाठक’ के साथ शादी की थी। सुप्रिया और पंकज का एक बेटा है और एक बेटी हैं। बेटे का नाम ‘रुहान कपूर’ हैं और बेटी का नाम ‘सनाह कपूर’ है। पंकज के पसंदीदा चीज़ो की बात करे तो उन्हें खाने में राजमा चावल और पकोड़े बहुत पसंद हैं। पंकज के पसंदीदा अभिनेता दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, रोबर्ट दे नीरो, डस्टिन हॉफमैन, मार्लोन ब्रांडो और राजेश खन्ना हैं।

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