चीन की सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान की नवनिर्वाचित सरकार के लिए गले की फ़ांस बनती जा रही है। जहां अन्य चीन सहयोगी राष्ट्रों का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना से मोहभंग हो रहा है वही पाकिस्तान चाहकर भी इस परियोजना से किनारा कर सकता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह चीनी सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सार्थक भागीदारी चाहते हैं।
पाकिस्तान के सरकार के मंत्रियों के रवैये से लग रहा था कि वह चीनी परियोजना को पाकिस्तान के हित में नहीं देखते हैं। चीन की बीआरआई परियोजना का मकसद ही विश्व में विकाशील देशों में अपना प्रभाव छोड़ना है। चीन एशिया, अफ्रीका और यूरोप तक अपनी धाक जमाना चाहता है।
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सीपीइसी परियोजना के अंतगर्त सड़क, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट को जोड़ना है। यह प्रोजेक्ट चीन के उइगर मुस्लिमों के स्वायत्तता वाले क्षेत्र शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अरेबियन समुन्द्र से जोड़ेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आगामी माह चीन के दौरे पर जायेंगे। इस दौरान वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकुइंग केकिंग से मुलाकात कर इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे।
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पाकिस्तानी ख़बरों के मुताबिक मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री चीनी समकक्षों को बतायेंगे कि पाकिस्तानी सरकार चाहती है कि चीनी नेतृत्व सीपीइसी परियोजना में सार्थक भागीदार बने। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के मुताबिक इस परियोजना के साथ ही पाकिस्तान के लोगों के लिए कृषि में विस्तार, रोजगार का सृजन और विदेशी निवेश बढे।
पाकिस्तान आर्थिक सेहत में सुधर के लिए आइएमएफ से सहायता राशि की मांग कर चुका है। अमेरिका के मुताबिक पाकिस्तान पर कर्ज का असल कारण चीनी निवेश है। उन्होंने कहा आईएमएफ हर दृष्टिकोण से पाकिस्तान के कर्ज की समीक्षा करेगा और उन्हें चीनी कर्ज चुकाने के लिए राहत पैकेज नहीं दिया जायेगा।
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चीन की सीपीइसी परियोजना पाकिस्तान के पाक अधिकृत क्षेत्र (पीओके) से होकर गुजरने के कारण भारत इसका विरोध करता रहा है। पाकिस्तान ने 8.2 बिलियन डॉलर चीनी रेलवे परियोजना में से 2 बिलियन डॉलर की कटौती की है।
हाल ही में पाकिस्तान के पीएम ने कहा था कि सीपीइसी परियोजना के निर्माण से ही दोनों राष्ट्रों के मध्य मज़बूत आर्थिक समझौतों का भान होगा।
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