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    एयरटेल और रिलायंस जिओ

    रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ने पिछले दो भारतीय बाज़ार में जो हलचल मचाई है, उससे शायद ही उसका कोई प्रतिद्वंदी बचा रह गया हो।

    एक ओर रिलायंस ने अपनी जियो मोबाइल सुविधा लाकर टेलीकॉम सेक्टर में तहलका मचा दिया, वहीं अब ब्रॉडबैंड और टीवी नेटवर्क में रिलायंस के प्रवेश के साथ ही उसके प्रतिद्वंदीयों के पसीने छूट गए हैं।

    खबर है कि रिलायंस जिओ इस साल के अंत तक भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बन जायेगी।

    इससे सबसे ज्यादा चिंता एयरटेल को हुई है। देश में एयरटेल की कुल कमाई का दसवां हिस्सा एयरटेल को उसकी ब्रॉडबैंड सुविधा व डीटीएच सुविधा के माध्यम से ही मिलता है।

    हाल ही में रिलायंस द्वारा डेन केबल नेटवर्क और हेथवे केबल के अधिग्रहण के बाद माना जा रहा है कि रिलायंस इन दोनों ही क्षेत्रों में अपने सस्ते टैरिफ का पासा फेकेगी। ऐसे में एयरटेल जैसी कंपनी जो पहले से ही घाटे में चल रही है, सस्ते टैरिफ का बोझ शायद ही उठा पाये।

    मालूम हो कि एयरटेल अपनी नॉन-मोबाइल सुविधाओं के तहत अपने राजस्व का करीब 12 हिस्सा कमाती है।

    एयरटेल के साथ ही टाटा स्काई जैसी डीटीएच कंपनियों के व्यापार के भी बुरी तरह से प्रभावित होने के आसार हैं

    जियो इस बार ब्रॉडबैंड और केबल टीवी दोनों सुविधाओं को एक साथ ही बाज़ार में उतारेगा, ऐसे में इन कंपनियों को जियो कि रणनीति का खासा ख्याल रखना होगा, वरना इन्हे काफी तगड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

    बाज़ार के जानकारों का मानना है कि 2 करोड़ 40 लाख 4G उपभोक्ता व 25 करोड़ 20 लाख केबल टीवी उपभोक्ताओ पर जियो ने अपनी सीधी नज़रें गढ़ा के रखी हुई है, ऐसे में जियो किसी भी समय अपनी स्कीमों में बदलाव कर बाज़ार के बड़े से बड़े हिस्से पर अपना एक क्षत्र राज कायम कर सकती है।

    जियो अपनी ‘जियो फ़ाइबर‘ सुविधा का टेस्ट वर्ष जुलाई से शुरू कर चुकी है।

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