Sat. May 18th, 2024
चीनी परियोजना

चीन में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के दूसरे आयोजन की तैयारियां चल रही है और बीजिंग ने पहली बार वैश्विक साझेदारों की जरुरत का ऐलान किया है। चीनी परियोजना की काफी आलोचनाएं हुई हैं कि यह छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की चाल है।

चीन बेल्ट एंड रोड फोरम की दूसरी बैठक का अप्रैल में आयोजन करेगा। चीनी मंत्री के मुताबिक यह समारोह पहली बैठक से भी भव्य होगा। भारत ने पहली बीआरएफ बैठक का बहिष्कार किया था। भारत ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे, सीपीईसी की परियोजना पर विरोध व्यक्त किया था क्योंकि वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है।

चीनी अर्थव्यवस्था भी धीमी रफ़्तार से चल रही है, नतीजतन सरकार ने व्यय में कमी कर दी है। चीनी प्रधानमंत्री ली केकिआंग ने इस वर्ष जीडीपी के लक्ष्य को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि “सरकार को हर स्तर पर निडर और साहसिक कदम उठाने होंगे।”

चीन इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के वाईस चेयरमैन तु गुआंगशाओ ने कहा कि “देश की संप्रभु निवेश पूंजी 940 अरब डॉलर है।सीमा पार ढांचों के निवेश के लिए वैश्विक साझेदारों की जरुरत है। हम इस बेल्ट एंड रोड कॉर्पोरेशन फंड कहते हैं। एक कानूनी फ्रेमवर्क और स्पष्ट प्रशासनिक ढाँचे को शुरुआत में सेट किया जायेगा।”

पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त चीन से ग्वादर बंदरगाह और अन्य सीपीईसी परियोजनाओं के लिए 10 अरब डॉलर कर्ज लिया है। अमेरिकी जनरल ने विश्व में प्रभुत्व बढ़ाने वाली चीन की लूटेरी अर्थव्यवस्था को रेखांकित किया था। चीन-पाक आर्थिक गलियारा के तहत अरब सागर पर स्थित रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह का निर्माण चीन कर रहा है।

अमेरिकी जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ के चेयरमैन जनरल जोशेफ डनफोर्ड ने कहा कि “चीनी कर्ज के कुछ उदाहरण है, श्रीलंका ने अपने बंदरगाह को 99 वर्ष के लिए चीन को सौंप दिया और डीप वाटर पोर्ट का 70 फीसदी शेयर दे दिया। मालदीव ने चीन से निर्माण के लिए लगभग 1.5 अरब डॉलर उधार किया था, जो उसकी जीडीपी का 30 प्रतिशत था।”

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक उन्होंने कहा कि “चीन दबाव का अंतर्राष्ट्रीय जाल बन रहा है ताकि उसके प्रभुत्व में इजाफा हो। दुनिया के राष्ट्र चीन की ओबोर परियोजना में शामिल होकर एक कठोर रास्ता चुन रहे हैं क्योंकि निवेश के वादे पूरे होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानक और सुरक्षा को नज़रअंदाज़ किया जाता है।

उन्होंने कहा कि “अफ्रीका में जिबोटी ने चीन से अपनी जीडीपी का 80 फीसदी कर्ज ले रखा है और साल 2017 में उनके देश में चीन का पहला मिलिट्री बेस स्थापित हुआ था। लैटिन अमेरिका में इक्वेडोर ने 6.5 अरब डॉलर चीनी कर्ज लिया था और इसके लिए उन्हें साल 2024 तक चीन को 80 से 90 प्रतिशत क्रूड आयल निर्यात करना होगा।”

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *