Sat. Dec 14th, 2024
    ग्वादर बंदरगाह

    पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त चीन से ग्वादर बंदरगाह और अन्य सीपीईसी परियोजनाओं के लिए 10 अरब डॉलर कर्ज लिया है। अमेरिकी जनरल ने विश्व में प्रभुत्व बढ़ाने वाली चीन की लूटेरी अर्थव्यवस्था को रेखांकित किया था। चीन-पाक आर्थिक गलियारा के तहत अरब सागर पर स्थित रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह का निर्माण चीन कर रहा है।

    अमेरिकी जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ के चेयरमैन जनरल जोशेफ डनफोर्ड ने कहा कि “चीनी कर्ज के कुछ उदाहरण है, श्रीलंका ने अपने बंदरगाह को 99 वर्ष के लिए चीन को सौंप दिया और डीप वाटर पोर्ट का 70 फीसदी शेयर दे दिया। मालदीव ने चीन से निर्माण के लिए लगभग 1.5 अरब डॉलर उधार किया था, जो उसकी जीडीपी का 30 प्रतिशत था।”

    टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक उन्होंने कहा कि “चीन दबाव का अंतर्राष्ट्रीय जाल बन रहा है ताकि उसके प्रभुत्व में इजाफा हो। दुनिया के राष्ट्र चीन की ओबोर परियोजना में शामिल होकर एक कठोर रास्ता चुन रहे हैं क्योंकि निवेश के वादे पूरे होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानक और सुरक्षा को नज़रअंदाज़ किया जाता है।

    उन्होंने कहा कि “अफ्रीका में जिबोटी ने चीन से अपनी जीडीपी का 80 फीसदी कर्ज ले रखा है और साल 2017 में उनके देश में चीन का पहला मिलिट्री बेस स्थापित हुआ था। लैटिन अमेरिका में इक्वेडोर ने 6.5 अरब डॉलर चीनी कर्ज लिया था और इसके लिए उन्हें साल 2024 तक चीन को 80 से 90 प्रतिशत क्रूड आयल निर्यात करना होगा।”

    अमेरिकी कमांडर ने आगाह किया कि चीन की कर्ज रणनीति अमेरिका की सेना के लिए मुश्किलें उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन पडोसी देशों के जरिये मिलिट्री और बलपूर्वक गतिविधियों को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी चीनी सागर में चीन का भड़काऊ गतिवधियां सभी के चिंता का विषय है।

    अमेरिकी जनरल ने चीन पर नौचालन की स्वतंत्रता में दखलंदाज़ी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि “चीन स्वतंत्रता के लिए खतरा है। वह सैन्य बल और गैरकानूनी गतिविधियों का इस्तेमाल कर रहा है।”

    हाल ही में अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने चीन पर आरोप लगाया कि वह आसियान के सदस्यों की दक्षिणी चीनी सागर तक पंहुच को प्रतिबंधित कर रहा है। दक्षिणी चीनी सागर में 2.5 ट्रिलियन डॉलर के ऊर्जा संसाधन मौजूद है और चीन की वहां अवैध निर्माण गतिविधियां चल रही है।

    माइक पोम्पिओ ने कहा कि “चीन के मूल्य भिन्न है। अब अफ्रीका में विविधता को देखिये, चीन ने अपने मज़दूरों को वहां भेजा। चीनी कर्मचारियों के लिए रोजगार का सृजन किया न कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ किया। वह कर्ज के जाल का इस्तेमाल उन देशों को ऐसे स्थान पर लाने के कर रहा है जहां कमर्शियल ट्रांसक्शन न हो। जिस देश में चीन सक्रिय है वह वहां अपना राजनितिक प्रभुत्व कायम करना चाहते हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *