संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल करने के लिए अब मात्र 48 घंटों का समय ही शेष है। भारत इसमें अहम किरदार निभाने वाले अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और तुर्की से समर्थन मांग चुका है।
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ से मुलाकात की थी। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने भारत की दूसरी यात्रा की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी। पीएम मोदी ने सोमवार को दो विदेशी नेताओं, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैय्यप एर्डोगन से फोन पर बातचीत की थी।
हालाँकि चीन, सऊदी अरब, यूएई और तुर्की के फैसलों पर अमेरिका का प्रभाव अधिक होगा। ये सभी पाकिस्तान के करीबी मित्र है और पाकिस्तान को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सोमवार को चीन ने कहा कि “1267 समिति ने जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया है और इसका समाधान वार्ता से ही संभव है।”
माइक पोम्पिओ और विजय गोखले ने पुलवामा आतंकी हमले दोषियों को सज़ा दिलवाने की महत्वता पर चर्चा की और पाकिस्तान द्वारा उसकी सरजमीं पर पनाहगार आतंकी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तत्कालिता के बाबत बातचीत की थी।”
राज्य सचिव पोम्पिओ ने पुष्टि की कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत की जनता और सरकार के साथ खड़ा है। उन्होंने मज़बूत साझेदारी और सहयोग को व्यापक स्तर पर वृद्धि के लिए बातचीत की, जिसमे आतंक रोधी अभियान भी शामिल था।”
वांशिगटन में भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान के मुताबिक माइक पोम्पिओ ने सीमा पार आतंकवाद की भारत की चिंता को समझा है। उन्होंने पकिस्तान द्वारा आतंकी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तत्कालिता और आतंकी समूहों को सुरक्षित पनाह न मुहैया करने पर रज़ामंदी जाहिर की है।
इसके आलावा पीएम मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से फ़ोन पर बातचीत की थी और ओआईसी में भारत को मुख्य अथिति के तौर पर आमंत्रित करने के लिए पीएम मोदी ने शुक्रिया कहा था। पाकिस्तान की धमकी के बावजूद यूएई ने भारत का आमंत्रण रद्द नहीं किया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि “तुर्की के राष्ट्रपति ने हालिया आतंकी हमले की आलोचना की है और इस हमले में जख्मी लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद एक बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने सम्बंधित देशों द्वारा आतंकी समूहों के खिलाफ तत्काल, अपरिवर्तनीय और प्रत्यक्षवर्ती कार्रवाई की महत्वता पर जोर दिया।”
मसूद अजहर को क्यों बचाता है चीन?
मसूद अजहर को बचाने के लिए चीन के सामने सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान से उसके सम्बन्ध हैं। चीन की मह्त्वकांशी योजना सीपीईसी का पाकिस्तान एक अहम साझेदार है।
ऐसे में यदि चीन मसूद अजहर के खिलाफ कोई भी कदम उठाता है, तो इससे पाकिस्तान नाराज हो सकता है।
अब हालाँकि चीन नें कुछ अलग संकेत दिए हैं। चीन को यह लगता है कि मसूद अजहर की संस्था जैश-ए-मोहम्मद अब उसकी योजना सीपीईसी के लिए भी खतरा साबित हो सकता है।
हाल ही में चीन नें यह शंका जाहिर की थी, कि मसूद अजहर सीपीईसी पर हमला कर सकता है।
हाल ही में चीन नें ग्लोबल टाइम्स के जरिये कहा था कि भारत पाकिस्तान के बीच में किसी भी प्रकार के विवाद से वह तटस्थ रहेगा।