चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना को अपने अत्यावश्यक उपकरणों से मज़बूत बनने को कहा है और जंग जंग की तैयारी की तरह सब जरुरी कार्य संपन्न करने को कहा है। विवादित दक्षिणी चीनी सागर में क्षेत्रीय विवादों और अमेरिका के साथ मतभेदों के कारण चीन अपनी सेना का विस्तार कर रहा है।
अमेरिका के साथ चीन का व्यापार युद्ध और ताइवान को स्वायत्त देश का दर्जा देने के कारण मतभेदों की स्थिति बनी हुई है। सेना के वरिष्ठ अधिकारीयों की बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अभी जोखिम और चुनौतियों का सामना कर रहा है, सेना को अपनी सुरक्षा और विकास जरूरतों को पूरा करने का कार्य करना चाहिए।
शी जिनपिंग सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने कहा कि सैन्य बलों को नए युग की रणनीति का निर्माण करना चाहिए और युद्ध की तैयारियों व युद्ध के खतरे से निपटने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
शी जिनपिंग ने कहा कि विश्व इस वक्त कई परिवर्तनों से गुजर रहा है, जो शताब्दियों से नहीं देखे गए थे और चीन विकास के लिए रणनीतिक मौके का अभी भी एक महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने कहा कि हथियार बंदी सेना को इमरजेंसी के दौरान तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए, उन्हें अपनी संयुक्त अभियान क्षमता में वृद्धि की भी जरुरत है।
शी जिनपिंग ने कहा था कि ताइवान की आज़ादी एक आपदा बनकर उभर सकती है, इसक शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे सुरों में कहा कि चीन ताइवान में बल का प्रयोग करना बंद नहीं करेगा। ताइवान की नीति की 40 वीं वर्षगांठ पर भाषण में शी जिनपिंग ने कहा कि एकीकरण चीन की “वन नेशन, टू सिस्टम” सिद्धांत के तहत होना चाहिए, जिसमे तैवान चीन का भाग है। उन्होंने कहा तैवान के सभी लोगों को इस बात का भान होना चाहिए कि ताइवान की आज़ादी उनके लिए खुद ढूंढी हुई आपदा हो सकती है।