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    तिग्मांशु धूलिया ने बताई अच्छी स्क्रिप्ट की अहमियत

    फिल्म “ज़ीरो” रिलीज़ हो चुकी है और फैंस काफी खफा हैं। शाहरुख़ खान डेढ़ साल बाद कोई फिल्म लेकर आए और जब आख़िरकार इंतज़ार खत्म हुआ तो क्या निकला? दर्शकों को शिकायत थी इस फिल्म में भले ही सबने अभिनय कमाल का किया हो मगर कहानी के मामले में ये फिल्म पीछे रह गयी। अभिनेता-लेखक-निर्देशक तिग्मांशु धूलिया जिन्होंने इस फिल्म में शाहरुख़ के पिता का किरदार निभाया है, उन्होंने भी यही कहा कि एक बड़े बजट की फिल्म को भी अच्छी स्क्रिप्ट की जरुरत होती है।

    उनके मुताबिक, “बड़े बजट की फिल्मों में केवल बड़े बजट और बड़े बड़े स्टार होने की होड़ है। मगर बड़े बजट की फिल्म को भी अब अच्छी स्क्रिप्ट की जरुरत है। ‘ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान‘ को ही देख लो, स्टार ने जैसा कहा था वैसा ही प्रदर्शन दिया क्योंकि इस फिल्म ने पहले दिन शानदार कमाई की थी। इसलिए लोग अमिताभ बच्चन और आमिर खान को देखने गए मगर अगले ही दिन से बॉक्स ऑफिस कलेक्शन गिर गया। इसलिए भले ही कोई बड़े बजट की फिल्म हो या ना हो, कंटेंट ही महाराज है। दर्शक समझदार हैं और जैसी चीज़े ऑनलाइन के माध्यम से उनके सामने रखी जा रही हैं, उनके लिए क्वालिटी मायने रखती है।”

    आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि कैसे व्यावसायिक फिल्मों में रचनात्मक चीजों को डाला जा सकता है तो उन्होंने कहा-“मेरे ख्याल से 1960 के बाद से ही कहानीकारों के लिए इज्ज़त कम हो गयी है जिसे अब बदलने की जरुरत है।”

    नए चेहरों के आने से खानों का ज़माना बीतने के सवाल पर उन्होंने बताया कि छोटे शहरो में सिनेमाघर आने की वजह से दर्शकों को ऐसे ही किरदार पसंद आते हैं जो ऐसे शहरों से ताल्लुक रखते हो। उन्होंने आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव का उदाहरण भी पेश किया। उन्होंने खान पर टिपण्णी करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा चमक धमक वाले किरदार निभाने के चक्कर में ऐसे किरदारों को नज़रंदाज़ किया।

    मगर फिर उन्होंने शाहरुख़ खान के साथ फिल्म “ज़ीरो” में काम करने की हामी क्यों भरी, इस सवाल पर उन्होंने कहा-“शाहरुख़ और मैंने फिल्म ‘दिल से’ में साथ काम किया था जिसमे मैंने डायलाग लिखे थे। हमारी दोस्ती इतनी पुरानी है। अगर ‘ज़ीरो’ की बात की जाये तो उसके दो-तीन कारण हैं। पहला- ये किरदार एकदम अलग था, जैसा मैंने ‘गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर‘ में निभाया उससे बिलकुल अलग।”

    “दूसरा आनंद एल.राय मेरे करीबी दोस्त हैं जो इतने बजट की फिल्म को स्पेशल इफ़ेक्ट के साथ बना रहे थे। फिल्म को बनते देखने के लिए और चीजों को सीखने के लिए मैं बहुत उत्सुक था। और तीसरा, शाहरुख़ खान के साथ काम करने के लिए हर कोई उत्साहित रहता है।”

    सिनेमा के भविष्य पर टिपण्णी करते हुए उन्होंने कहा-“ज्यादातर कंटेंट वेब की तरफ मुड़ गया है और सिनेमाघरों में केवल ‘बाहुबली’ जैसी बड़ी फिल्में ही चल पाएंगी।”

    तिग्मांशु धूलिया को फिल्म ‘हासिल’, ‘चरस’ और ‘शागिर्द’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। वैसे तो इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास कमाई नहीं की मगर सिनेमाप्रेमियों के ज़हन में अभी भी ये फिल्में जिंदा हैं।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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