मालदीव के चुनावों में जीत का स्वाद चखने वाले इब्राहीम सोलिह ने माले की शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव में बेदखल और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की चुनाव में हेराफेरी की याचिका को खारिज कर दिया था। मालदीव में पिछले माह राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे तभी से सत्ता के हस्तांतरण में नाटकीय अंदाज़ चल रहा है।
अदालत की पांच जजों की पीठ ने बताया कि अब्दुल्ला यामीन चुनाव में धांधली और चुनाव आयोग के धोखेबाजी को साबित करने में नाकाम रहे हैं।
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साथ ही अदालत ने राष्ट्रपति यामीन की पुलिस जांच के अनुरोध को भी ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति के आरोप दोबारा चुनाव कराने और अपराधिक जांच के लिए पर्याप्त नहीं है।
भारत नें भी अदालत के फैसले का स्वागत किया था और कहा था कि मालदीव में लोकतंत्र की जीत हुई है।
इब्राहीम सोलिह ने कहा कि चुनाव की रस्साकस्सी के बाद आखिरकार मालदीव की जनता सही चुनाव के परिणाम जान पायी है। चुनाव में धांधली की याचिका शुरुआत से ही षड़यंत्र का हिस्सा रही है। यह चुनाव में हार बर्दास्त न करने वालों के असल चरित्र का प्रदर्शन करती है।
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इब्राहीम सोलिह ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद देश की सत्ता का बिना किसी विवाद के हस्तांतरण चाहता है। उन्होंने राष्ट्रपति यामीन को मशविरा देते हुए कहा कि जनता की इच्छा का सम्मान करे और निष्कपटता से सत्ता को विजयी खेमे को सुपुर्द कर दे। उन्होंने कहा कि यह जरुरी है कि नवनिर्वाचित प्रशासन जनता से किये चुनावी वायदों को पूर्ण करे।
इब्राहीम सोलिह ने कहा कि उनकी सरकार जनता के अधिकारों का सम्मान करती है। साथ ही वह सभी नागरिको के लिए लोकतंत्र को मज़बूत, संविधान की गरिमा, शांति और समृद्धि को बनाये रखेंगी।
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राष्ट्रपति यामीन ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मतदान के वक्त मिटने वाले पेन का इस्तेमाल किया था ताकि मतदान में हेराफेरी की जा सके।
मालदीव में 23 सितम्बर को राष्ट्रपति के चुनाव संपन्न हुए थे। इन चुनावों में विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार और मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता इब्राहीम सोलिह की जीत हुई थी।
अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में लोकतंत्र राष्ट्र तानाशाही में परिवर्तित होता जा रहा है। राष्ट्रपति यमीन ने देश में 45 दिनों का आपातकाल घोषित किया साथ ही विपक्ष को कमजोर करने के लिए बेटों को जेल में डाला गया या निर्वासित होने को मजबूर किया गया था।
अब हालाँकि सोलिह की जीत से लोगों को लगता है कि मालदीव में लोकतंत्र वापस आ सकता है।
नए राष्ट्रपति सोलिह नें सत्ता संभालते ही दुसरे देशों से रिश्ते मजबूत करने शुरू कर दिए हैं। चीन नें भी नवनिर्वाचित सरकार को बधाई दी है और रिश्ते मजबूत करने की बात कही है।
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