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    श्रीलंका में आतंकी हमला

    श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को कहा कि “इस्लामिक स्टेट से जुड़े 140 लोगो पर पुलिस ने नज़र बनायीं हुई है।” इस्लामिक स्टेट ने ईस्टर रविवार को चर्चो और होटल्स में हुए फियादीन हमलो की जिम्मेदारी ली थी। श्रीलंका के मुस्लिमो से शुक्रवार को घर पर ही नमाज पढ़ने का आग्रह किया गया है और मस्जिद या चर्च न जाने का आग्रह किया है।

    धार्मिक स्थलों पर न जाने का आग्रह

    श्रीलंका ख़ुफ़िया विभाग ने चेताया है कि कार बम विस्फोट की सम्भावना बरक़रार है। श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों से पूजा स्थलों से दूरी बनाये रखने का आग्रह किया है। विभागों के मुताबिक धार्मिक केन्द्रो को निशाना बनाकर अधिक हमले हो सकते है।

    रविवार को तीन चर्चो और चार आलिशान होटल्स में फियादीन हमला हुआ था जिसमे 500 लोगो के जख्मी होने की खबर है। सेना ने बताया कि पूरे श्रीलंका में 10000 सियनिको की तैनाती की गयी है ताकि खोजी अभियान में मदद कर सके और धार्मिक स्थलों को सुरक्षा मुहैया की जा सके।

    प्रतिशोधी सांप्रदायिक हिंसा के भय से मुस्लिम समुदाय के लोग भागने को मज़बूर है। श्रीलंका की प्रमुख धार्मिक पार्टी द आल सीलोन जमीयतुल उल्लामा ने मुस्लिमों से शुक्रवार को घर पर ही नमाज़ पढ़ने का आग्रह किया है।” पादरी मालकोल्म रंजीत ने भी चर्च में पादरियों से जनता को न बुलाने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा कि “सुरक्षा महत्वपूर्ण है।”

    आईएस हमले का मास्टरमाइंड

    पुलिस ने 76 लोगो को हिरासत में लिया है इसमें सीरिया और मिस्र के विदेशी भी शामिल है। इस्लामिक स्टेट ने इस हमले के पीछे मास्टरमाइंड होने के कोई सबूत पेश नहीं किये हैं। आतंकी समूह ने मंगलवार को आठ व्यक्तियों के साथ एक वीडियो जारी की थी। जिसमे सभी के चेहरे ढके हुए थे और वे आईएस के झंडे के नीचे अपने आका के प्रति वफादारी का ऐलान कर रहे थे।

    श्रीलंका की सरकार के मुताबिक, नौ शिक्षित फियादीन हमलावरों ने इस हमले को अंजाम दिया था इसमें आठ की पहचान हो चुकी है और एक महिला है। सिरिसेना ने पत्रकारों से कहा कि “श्रीलंका के युवा साल 2013 से आईएस जुड़े हुए हैं। सूचना के अनुसार श्रीलंका के 140 लोग इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों में शामिल है।”

    आरोप-प्रत्यारोप

    भारत के ख़ुफ़िया अधिकारीयों ने श्रीलंका को हमले से पूर्व चेताया था। राष्ट्रपति ने कहा कि “रक्षा अधिकारीयों और पुलिस प्रमुख ने उनके साथ संभावित हमलो की सूचना साझा नहीं की थी। रक्षा सचिव ने इस्तीफा दे दिया है और अब पुलिस प्रमुख को इस्तीफा देना होगा।”

    उन्होंने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की सरकार पर खुफिया विभाग को कमजोर करने का आरोप लगाया क्योंकि उनका फोकस तमिल अलगाववादियों के साथ कथित युद्धापराध में सैन्य अधिकारीयों के अभियोग पर है। रानिल विक्रमसिंघे और मैत्रीपाला सिरिसेना के बीच बीते वर्ष राजनीतिक मनमुटाव हो गए थे और राष्ट्रपति ने पीएम को पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद दोनों नेता एक-दुसरे से बातचीत के लिए भी इंकार करते हैं।

    श्रीलंका में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई को मिलकर 2.2 करोड़ अल्पसंख्यक है। ईसाई समुदाय अधिकतर देश के विवादों और सांप्रदायिक तनावों को नज़रअंदाज़ करते हैं।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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