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    श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे

    श्रीलंका में सात की खींचतान जारी है, न पूर्व प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे हार मानने को तैयार है और न ही विवादित प्रधानमन्त्री महिंदा राजपक्षे प्रधानमन्त्री की कुर्सी छोड़ने की इच्छा रखते हैं। श्रीलंका के इस राजनीतिक संकट का अंत करने के लिए विवादित प्रधानमन्त्री राजपक्षे ने देश में नए सिरे से संसदीय चुनाव कराने की मांग की है। हालांकि महिंदा राजपक्षे दो बाद सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहे हैं।

    26 अक्टूबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमन्त्री का पद सौंप दिया था। उन्होंने साथ ही संसद को भी भंग कर दिया था। संसद में महिंदा राजपक्षे के खिलाफ दो दफा अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जा चुका है लेकिन वह अपने पद से त्यागपत्र देने को तैयार नहीं है। सदन में बहुमत होने के कारण विक्रमसिंघे भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। रानिल विक्रमसिंघे के मुताबिक संसद में उनके पास बहुमत है।

    महिंदा राजपक्षे ने बयान में कहा कि इतिहास में जब भी संसद को भंग किया गया है, तो राजनीतिक अस्थिरता और संकट के बचने के लिए नए सिरे से संसदीय चुनाव कराये गए हैं। उन्होंने कहा कि आम चुनाव ही इस अस्थिर लोकतंत्र को दोबारा स्थिर करने का एकमात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक संप्रभुता देश की जनता में निहित है न कि संसद में हैं।

    गुरूवार को द्विप के सबसे बड़े संजातीय समूह ने तमिलों के गठबंधन ने रानिल विक्रमसिंघे को अपना समर्थन दिया है। इस गठबंधन के समक्ष 14 सीटें हैं जो विक्रमसिंघे का संसद में बहुमत साबित करती है। राष्ट्रपति सिरिसेना ने हाल ही में कहा था कि अगर एक बार और राजपक्षे सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहे, तो उन्हें पद से बर्खास्त कर दया जायेगा।

    राष्ट्रपति सिरिसेना और बर्खास्त प्रधानमन्त्री विक्रमसिंघे के दलों ने गठबंधन कर साल 2015 में सरकार बनाई थी। उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी में मैं दोबारा विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री स्वीकार नहीं करूँगा। राष्ट्रपति ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने उनके निर्णय को असंवैधानिक करार दिया था।

    राष्ट्रपति ने कहा कि विक्रमसिंघे भ्रष्टाचारी है और उनकी नीतियाँ स्थानीय उद्योग के लिए मुनासिब नहीं है। उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे हमारी संस्कृति से विपरीत सरकार को लेकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने विक्रमसिंघे से कहा था कि सरकार की स्थानीय नीतियाँ सही नहीं होने के कारण हम स्थानीय परिषद् के चुनाव हार गए थे, मैंने बंद दरवाजे के पीछे रानिल को प्रधानमंत्री पद त्यागने की सलाह दी थी लेकिन उसने नकार दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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