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    राहुल गाँधी से मुलाकात के बाद एचएएल के कर्मचारियों ने कहा: केंद्र सरकार कंपनी को बंद करने की साजिश रच रही है

    हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के कुछ कर्मचारियों के एक समूह ने गुरुवार वाले दिन NDA सरकार पर उन्हें खस्ताहाल करके बंद करने की साजिश का इलज़ाम लगाया है और साथ ही बचे हुए 90 राफेल विमान को ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी (ToT) मार्ग के तहत बनाने के कॉन्ट्रैक्ट की मांग की है। राफेल मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाकात के बाद, उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के जरिये सम्बोधित करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी ये इलज़ाम लगाया कि वे HAL के बारे में ये झूटी पट्टी पढ़ाना बंद करे कि वे राफेल लड़ाकू विमान बनाने के योग्य नहीं है।

    सौदे में घपले की बात कहते हुए, गाँधी ने हमेशा केंद्र सरकार पर एचएएल को नज़रअंदाज़ कर रिलायंस को प्राथमिकता देने का इलज़ाम लगाया है। मगर सरकार ने हमेशा इन सभी इल्ज़ामो को खारिज किया है।

    आल इंडिया हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ट्रेड यूनियन कोआर्डिनेशन कमिटी के पूर्व मुख्य संयोजक और पूर्व महासचिव रेणुका एस ने कहा-“31 मार्च, 2018 तक एचएएल को 61,000 करोड़ रूपये तक का बुक आर्डर मिला था। 2014-18 से लगभग 67,000 करोड़ रुपये मूल्य का ऑर्डर दिया जा चुका है। इसलिए आर्डर की कुल कीमत 1,28,000 करोड़ रुपये बनती है।”

    उन्होंने कहा कि NDA सरकार ने PSU में कोई निवेश नहीं किया है और ऊपर से वापसी खरीद और लाभांश के मामले में पैसो का गबन और किया है। उनके मुताबिक, “मौजूदा सरकार की तरफ से एचएएल को बंद करने की सोची समझी साजिश की गयी है। सरकार ने डसॉल्ट एविएशन को राफेल विमान खरीदने के लिए पहले से ही 20,000 करोड़ रूपये दे दिए थे मगर अभी तक एक भी विमान की डिलीवरी नहीं हुई है। दूसरी ओर, एचएएल को विमान और हेलीकॉप्टरों के लिए 14,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है जो पहले ही वितरित किए जा चुके हैं।”

    जब उनसे गाँधी से मिलने के उद्देश्य के बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा कि जब उनकी परेशानियों को केंद्र सरकार द्वारा नहीं सुना गया तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने की योजना बनाई। पिछले साल अक्टूबर में, जब इन विमानों को लेकर विवाद उभर ही रहा था जब गाँधी ने बेंगलुरु में एचएएल के कर्मचारियों से बातचीत की थी।

    सोमवार वाले दिन, लोक सभा में कांग्रेस द्वारा लगाये गए इल्जामो को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा था कि साल 2014-18 के बीच में, 26,570.80 करोड़ रूपये से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट एचएएल द्वारा हस्ताक्षर किया गया था और 73,000 करोड़ रूपये तक का आर्डर प्रक्रिया में हैं। और इन सब को मिलाकर एक लाख करोड़ बैठता है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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