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    रानी मुखर्जी, कंगना रानौत, मीटू

    हाल ही में सोशल मीडिया पर रानी मुखर्जी का सब खूब मज़ाक उड़ा रहे हैं। रानी मुखर्जी ने हाल ही में मीटू मामले में टिपण्णी कर दी थी जो विवादित रही है।

    हाल ही में राजीव मसंद द्वारा आयोजित किये गए एक्ट्रेस राउंडटेबल 2018 में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, आलिया भट्ट और रानी मुखर्जी ने मीटू के बारे में बात की है।

    उनसे यह पूछे जाने पर कि मूलरूप से मीटू मूवमेंट के द्वारा क्या बदलाव आए हैं अनुष्का ने बताया कि इसने लोगों को आत्मविश्लेषी बनाया है। उन्होंने कहा कि, ‘थोड़ा बहुत डर जरूर होना चाहिए। आपके काम करने की जगह आपके लिए दूसरी पवित्र जगह होनी चाहिए।

    आपके घर के बाद आपके काम करने की जगह को सबसे ज्यादा सुरक्षित होना चाहिए। अगर आपको उस तरह के अनुभवों से गुज़रना पड़ रहा है तो जीने के लिए यह दुनिया नर्क बन जाती है।”

    रानी मुखर्जी ने कहा कि, “मुझे लगता है कि एक औरत के तौर पर आपको अपने आप में शक्तिशाली होना चाहिए। आपको यह विश्वास करना होगा कि आप इतने शक्तिशाली हैं कि आप कभी-भी ऐसे हालात में नहीं पड़ेंगे और आपके पास लोगों को पीछे हटने के लिए कहने की हिम्मत होनी चाहिए।”

    दीपिका ने रानी की बात काटते हुए कहा कि, “मुझे नहीं लगता कि हर कोई इस तरह के डीएनए से बना होता है।”

    रानी ने आगे कहा कि आत्मरक्षा और मार्शल आर्ट को विद्यालयों में अनिवार्य कर देना चाहिए आपको अपनी ज़िम्मेदारी खुद लेनी पड़ेगी।

    इस पर दीपिका ने कहा कि, “आप यह मुद्दा ला ही क्यों रही हैं कि लड़कियों को आत्मरक्षा सीखनी चाहिए और इस बात पर अनुष्का भी सहमत रहीं पर रानी इस बात से असहमत रहीं और बाद में उन्होंने कहा कि, “आप माँ को यह नहीं बता सकती कि बच्चे कैसे पैदा करने हैं।”

    रानी की यह बात फैन्स को पसंद नहीं आई और सोशल मीडिया पर लोग उनकी आलोचना करने लगे। कुछ लोग यह सोच रहे थे कि रानी सोच क्या रही थीं और कुछ लोगों ने उनको अज्ञानी कहा। हाल ही में ‘मणिकर्णिका’ के प्रचार-प्रसार के दौरान जब कंगना से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि,

    “लोग जिन्हें सहयोग की आवश्यकता है उन्हें सशक्त बनने की भी आवश्यकता है। हमें सशक्त होना ही चाहिए, लेकिन रानी लक्ष्मी बाई जैसी लड़कियां हमारा समाज दे सकता है तो क्यों नहीं। उनको हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। यदि कोई मज़बूत महिला है तो उसे हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

    मैं 16 साल की थी जब मैंने यौन शोषण के खिलाफ अपना पहला ऍफ़ आई आर दर्ज कराया था। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने लिए खड़े हो सकते हैं। उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।”

    बच्चों को सशक्त कैसे बनाया जाए इस बारे में कंगना ने कहा कि, “जिसे जरूरत है उसे सशक्त बनाया जाना चाहिए और सबको जरूरत नहीं होती। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दूसरों को सशक्त बनाते हैं।

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    By साक्षी सिंह

    Writer, Theatre Artist and Bellydancer

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