उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुकवार को कहा कि बुलंदशहर हिंसा के दौरान हुई इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत एक हादसा थी, भीड़ ने नहीं मारा।
दिल्ली में जागरण फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा “उत्तर प्रदेश में भीड़ द्वारा हत्या की कोई घटना नहीं हुई है। बुलंदशहर की घटना एक दुर्घटना है और इसमें क़ानून अपना कार्य कर रहा है। कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। केवल गौ हत्या ही नहीं बल्कि अवैध बूचड़खाने भी पुरे उत्तर प्रदेश में बैन है और डीएम, एसपी उसके प्रति पुरे जवाबदेयी होंगे।”
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बुलंदशहर हिंसा में इन्स्पेक्टर सुबोध कुमार और एक स्थानीय निवासी सुमित की हत्या के आरोप में 5 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही इस केस में अब तक कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
प्रेस को एडिशनल एडीजी आनंद कुमार ने बताया कि जिन 5 संदिग्धों को को गिरफ्तार किया गया है वो स्याने गाँव के निवासी हैं और उनके नाम है – चंद्रा, रोहित, सोनू, जितेंद्र और नितिन। उनके पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में एक सैनिक का नाम आने के बाद पुलिस ने सेना से भी संपर्क किया है। पुलिस को संदेह है कि सैनिक, जितेंद्र मलिक बुलंदशहर आए थे और कथित रूप से हिंसा में भाग लिया था। बाद में वह भाग गया।
इंस्पेक्टर सिंह की हत्या में मलिक उर्फ जीतू फौजी की भूमिका सोशल मीडिया पर प्रसारित भीड़ हिंसा के एक संक्षिप्त वीडियो के बाद सामने आई, वीडियो में उसे आग लगाते दिखाया गया है। मलिक की मां रतन कौर ने पुलिस को बताया कि वह हिंसा में शामिल नहीं था।
एडीजी कुमार ने कहा: “हम पुष्टि कर सकते हैं कि वीडियो में दिखाया गया व्यक्ति जीतू है, जो भारतीय सेना का हिस्सा है और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात है। फायरिंग में उसकी भूमिका एसआईटी द्वारा जांच का मामला है। हमने आगे की जांच के लिए टीमों को जम्मू-कश्मीर भेजा है।”
सेना ने एक बयान में कहा, “पुलिस ने उत्तरी कमान से संपर्क किया है और पूर्ण सहयोग किया जा रहा है। सकारात्मक पहचान के बाद उचित समय पर पुलिस द्वारा विवरण जारी किया जाएगा। चूंकि मामला जांच में है, इसलिए कोई अन्य टिप्पणी नहीं दी जा सकती है।”
इस बीच, एडीजी (इंटेलिजेंस) एस बी शिरदकर, जिन्हें हिंसा की जांच करने के लिए कहा गया था, ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंपी।