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    yuvraj singh

    युवराज सिंह जो की भारतीय क्रिकेट टीम के एक बेहतरीन ऑलराउंडर है, वह आज 37 साल के हो गए है, और उनके क्रिकेट करियर के भारी योगदान के लिए उनकी प्रशंसा के लिए शब्द कम पड़ जाते है, उन्होने भारत के लिए टी-20 विश्वकप और वनडे विश्वकप मे अहम भूमिका निभाई थी।

    युवराज ने कैंसर के दौरान सबसे कठिन गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी की थी, और क्रिकेट इतिहास में अपना नाम बनाने के लिए सभी बाधाओं को पीटा था।

    सीमित ओवरों के क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में से एक

    युवराज सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय टीम की तरफ से 304 वनडे मैचो मे 36.55 की औसत से  8071 रन बनाए है, जिसमे 14 शतक शामिल है। वनडे क्रिकेट मे उनका सर्वोच्च स्कोर 150 रन है।

    वही उनके टी-20 करियर की बात करे तो उन्होने 58 टी-20 मैच ने 1177 रन बनाए है जिसमे उनके 77 रन सर्वोच्च  है।

    युवराज की गेंदबाजी ने भी प्रशंसको को उतना ही प्रभावित किया है जितना बल्लेबाजी ने, उनके नाम वनडे मैचो मे 11 तो वही टी-20 मैचो मे 28 विकेट है।

    भारत की विश्वकप जीत के पीछे युवराज का योगदान

    युवराज सिंह ने 2011 विश्वकप मे खेले गए 9 मैचो मे 362 रन बनाए थे जिसमे एक शतक औऱ चार अर्धशतक शामिल है। 2011 विश्वकप मे उन्होने 15 विकेट भी लिये थे और इसके लिए उनको प्लेयर ऑफ दा टूर्नामेंट का अवॉर्ड भी मिला था।

    2007 टी-20 विश्वकप मे छह गेंदो मे लगाए थे छह छक्के

    2007 टी-20 विश्वकप की बात करे तो उन्होने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर मे छह गेंदो मे छह छक्के लगाए थे, और विश्व मे अपने नाम सबसे तेज 12 गेंदो मे अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड किया था, जो कि अभी तक कोई बल्लेबाज नही तोड़ पाया है।

    अविश्वसनीय चैंपियन के कई रिकॉर्ड

    युवराज सिंह 2011 विश्वकप के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होने एक मैच मे अर्धशतक और 5 विकेट लिये थे। यह करनामा उन्होने आयरलैंड की टीम के खिलाफ किया था।

    युवराज सिंह जो की चंडीगढ़ मे जन्मे थे, उन्होने अभी तक तीन विश्वकप जीते है जिसमे अंडर-19, 2007 टी-20  और 2011 वनडे विश्वकप शामिल है।

    युवराज सिंह एक ऐसे खिलाड़ी है जिनको दो विश्वकप मे मैन ऑफ दा सीरीज चुना गया, जिसमे 2011 विश्वकप और अंडर-19 विश्वकप शामिल है।

    युवराज ने स्टेडियम से सबसे घातक बीमारी खटखटाई

    विश्वकप 2011 में, युवराज को घातक बीमारी की कल्पना की गई, जो की कैंसर की बीमारी थी, जिससे उनके फेफड़े प्रभावित हुए थे।

    युवराज की कैंसर की बीमारी के लिए पूरा देश बहुत चिंतित था और वह 2012 मे अपना ईलाज कराने के लिए अमेरिका गए थे।

    धीरे-धीरे वह कैंसर की बीमारी को पिछे छोड़ने मे कामयाब हुए और यह पर भी उनको विजयी प्राप्त हुई, उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो इस घातक बीमारी से पीड़ित हैं।

    37वे जन्मदिन पर लिया शपथ

    युवराज सिंह जो कि मैदान मे अपने अच्छे प्रदर्शन से प्रशंसको का दिल जीतते आए है उन्होने अपने जन्मदिन के मौके पर ट्विट करते हुए कहा कि ” आज मे अपने 37वें जन्मदिन के अवसर पर 25 कैसंर पीड़ित बच्चो को अपने फाउंडेशन यूवी कैन से मदद करने की शपथ लेता हू।”

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    युवराज की विरासत: उन्हें कैसे याद किया जाएगा?

    युवराज सिंह हर किसी के लिए एक प्रेरणा रहे है, और उनकी कहानी का उदाहरण है कि हमेशा आशा है करते रहना चाहिए, कि सुरंग के अंत में एक प्रकाश है।

    उनकी अपरिवर्तनीय लड़ाई की भावना ने इतिहास बनाया है, और भारतीय क्रिकेट के लिए एक मिशाल हासिल कर लिया है।

    हम उनके द्वारा बनाई गई यादों के लिए उनके लिए अधिक आभारी नहीं हो सकते हैं, यादें जिन्हें हम हमेशा के लिए पसंद करेंगे।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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