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    MAYAWATI

    बहुजन समाजवादी पार्टी प्रमुख मायावती ने गुरुवार को कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के लेकर कांग्रेस और बीजेपी के रवैए से अलग नहीं है। उन्होंने टवीट् कर कहा कि “भाजपा की तरह ही कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश में गोहत्या के संदेह में मुसलमान लोगों के प्रति क्रूरता का काम किया है। अब यूपी की भाजपा सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 14 छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया है।” यह दोनों राज्य आंतक को बढ़ाने के कारण निंदनीय है। अब जनता तय करें कि इन दोनों सरकारों में क्या अंतर है?

    मंगलवार की रात को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 14 छात्रों पर कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने के लिए उत्तर प्रदेश में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं इस महीने के शुरुआत में मध्य प्रदेश के खंडवा में एक गाय को मारने के आरोप में तीन मुस्लिम लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत जेल में डाल दिया गया था।

    मायावती के कांग्रेस पर हमले के बाद उनके नए सहयोगी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दोराहे पर हैं।सपा प्रमुख ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी न केवल बीएसपी के साथ बल्कि कांग्रेस के साथ भी गठबंधन में है।

    पिछले महीवने ही अखिलेश यादव और मायावती ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा की थी। दोनों दलों ने राज्य में 38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमति जताई थी। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधित्व वाले संसदीय क्षेत्रों अमेठी और रायबरेली में अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेंगे।

    लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उतर प्रदेश का कांग्रेस महासचिव बनाने को एक ‘गेम चेंजर’ के तौर पर देखा जा रहा है।

    कुछ रिपोर्ट के हवाले से यह माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी अखिलेश यादव के गठबंधन से कांग्रेस पार्टी को बाहर निकालने वाली हैं। हालांकि राहुल गांधी के कहे अनुसार फिलहाल वे पार्टी को एकजुट व पुनर्जीवित करने का काम कर रही हैं।

    मायावती पत्र

    साल 2017 में जब सपा और कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिलाया था तब प्रियंका गांधी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालंकि इससे कोई फायदा नहीं हुआ और यूपी में बीजेपी को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई। आगे चलकर गठबंधन टूट गया।

    पिछले साल लोकसभा उपचुनावों के दौरान सपा ने बसपा से हाथ मिलाया और सत्तारूढ़ भाजपा को योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ गोरखपुर से ही हार मिली।

    अखिलेश यादव कांग्रेस पार्टी के साथ राष्ट्रीय व राज्य दोनों स्तरों पर आने को तैयार है वहीं उनकी साथी मायावती कांग्रेस पर लगातार हमले किए जा रही है।

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