मध्य प्रदेश के एक किसान शिवलाल कटारिया ने बताया कि जब उन्होंने अधिकारियों द्वारा कृषि ऋण मांफी की सूची में अपने नाम के साथ 24,000 रूपये की जगह 13 रूपये लिखे हुए देखे तो वे हैरान हो गए।
उनके मुताबिक, “राज्य सरकार ने दो लाख तक का क़र्ज़ मांफ करने का वादा किया था। फॉर्म भी भरे गए और मैं उम्मीद कर रहा था कि मेरे क़र्ज़ कीमत 23,815 रूपये का पूरा फ़र्ज़ मांफ किया जाएगा। मगर जो सूची पंचायत के पास आई है उसमे लिखा है कि केवल 13 रूपये ही मांफ किये गए हैं।”
अगर मलवा जिले के निपानिया बैजनाथ गाँव के निवासी कटारिया बेहद उत्साहित थे जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले कृषि ऋण मांफी का वादा किया था।
उन्होंने कहा-“मैं एक इमानदार किसान हूँ। मैं नियमित तौर पर अपने क़र्ज़ का भुगतान कर रहा था। ऋण मांफी वाले दिन सवाल पूछने पर, स्टाफ ने कहा कि मेरे ऊपर कोई कर्जा ही नहीं है। मैंने अधिकारियों को मामले की सूचना दे दी है।”
दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि ऋण वितरण के स्तर पर अनियमितताओं के कारण खामियां बढ़ रही हैं।
कैबिनेट मंत्री ओंकार सिंह मरकाम ने कहा-“ऋण वितरण के स्तर पर होने वाली अनियमितताओं का अब पता चला है। हम जरूरी कदम उठा रहे हैं।”
चुनाव से पहले किये गए वादे को ध्यान में रखते हुए, कांग्रेस नेता और एमपी मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शपथ समारोह वाले दिन ही कृषि ऋण मांफी का एलान किया था। और इसकी प्रक्रिया 15 जनवरी को शुरू हो गयी थी।
आवेदन करने की आखिरी तारिख 5 फरवरी थी और 22 फरवरी से, राशी सीधा किसानों के बैंक खातों में पहुँच जाएगी।
इस योजना से लगभग 55 लाख किसानों को फायदा होगा और सरकार के ऊपर 50,000 करोड़ रूपये का खर्चा आएगा।