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    विषय-सूचि

    नेटवर्क लेयर क्या है? (network layer in hindi)

    IPv4 को समझने से पहले आपका ये जानना जरूरी है कि आखिर नेटवर्क लेयर क्या है और करता क्या है। जैसा कि आप जानते हैं, नेटवर्क लेयर ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (OSI) मॉडल का तीसरा लेयर है।

    ये निम्न जिम्मेदारियां निभाता है:

    • पैकेट फॉरवार्डिंग (Routing of Packets)– कंप्यूटर नेटवर्क में डाटा पैकेट को नोड्स के द्वारा एक नेटवर्क सेगमेंट से दूसरे नेटवर्क सेगमेंट में पहुंचाना। (पैकेट स्विचिंग क्या है?)
    • कनेक्शन-लेस (IP)– ये पैकेट switched नेटवर्क में डाटा ट्रांसमिशन के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक मेथड है जिस प्रत्येक डाटा को उसे द्वारा कैरी की जाने वाली सूचनाओं के आधार पर एड्रेस और rout किया जाता है।
    • फ्रेगमेंटेशन ऑफ़ डाटा पैकेट्स– इसका मतलब हुआ बड़े डाटा पैकेट्स को ट्रांसमिट करने के लिए कुछ टुकड़ों में बाँट देना।

    कुल दो तरह की नेटवर्क ट्रांसमिशन तकनीक होती है और वो है:

    1. सर्किट switched नेटवर्क, और
    2. पैकेट switched नेटवर्क

    सर्किट स्विच और पैकेट स्विच (circuit switch and packet switch)

    सर्किट स्विच नेटवर्क में सभी डाटा पैकेट्स के ट्रांसमिशन के लिए एक ही रास्ता को चुना जाता है। वहीं पैकेट switched नेटवर्क में हर पैकेट डेस्टिनेशन तक अलग-अलग रास्तों से भी पहुँच सकता है।

    सर्किट switched नेटवर्क में डाटा पैकेट्स को क्रम में प्राप्त किया जाता है वहीँ पैकेट switched नेटवर्क में डाटा पैकेट्स क्रम से बाहर भी प्राप्त हो सकते हैं।

    IPv4 क्या है? (ipv4 in computer networks in hindi)

    IPv4 एक कनेक्शन-लेस प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग पैकेट switched नेटवर्क में किया जाता है।

    ये बेस्ट एफर्ट डिलीवरी मॉडल के आधार पर काम करता है जिसमे ना तो डिलीवरी की कोई गारंटी होती है और ना ही सही क्रम में पैकेट्स के पहुँचने की। इसमें डुप्लीकेट डिलीवरी की सम्भावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

    IPv4 32 बिट यानी कि 4 बाइट एड्रेसिंग का प्रयोग करता है जो कि 232 पते देते हैं। IPv4 के पतों को डॉट-दशमलव नोटेशन में लिखा जाता है जिसमे एड्रेस के कुल चार ओक्टेट होते हैं।

    इन्हें अलग-अलग दशमलव में लिखा जाता है और पीरियड के द्वारा अलग किया जाता है। जैसे उदाहरण के तौर पर: 192.168.1.5.

    IPv4 डाटाग्राम हेडर (ipv4 header in hindi)

    IPv4 डाटाग्राम हेडर का आकार 20 से 60 बाइट तक हो सकता है।

    VER: IP प्रोटोकॉल (4 बिट्स)का version जो कि IPv4 के केस में 4होत है।

    HELEN: IP हेडर length (4 बिट्स). ये 32 बिट्स का एक संख्या होता है जो कि हेडर में होता है। इसके लिए न्यूनतम मान 5 है और अधिकतम 15 है।

    Types of Service: कम डिले, ज्यादा थ्रूपुट और रेलिअबिलिटी (8 बिट्स)

    Total Length: हेडर का length + डाटा (16 बिट्स)।इसका न्यूनतम मान 20 बाइट का हो सकता है जबकि अधिकतम 65,535 बाइट का।

    Identification: किसी एक IP डाटाग्राम के फ़्रैगमेन्ट्स के समूह को पहचानने के लिए एक ख़ास ID (16 बाइट)।

    Flags: एक एक बिट के कुल तीन फ्लैग।

    • रिजर्व्ड बिट (जो कि शून्य होना चाहिए),
    • डू नॉट फ्रेगमेंट फ्लैग, और
    • मोर फ्रेगमेंट फ्लैग (समान क्रम में)

    Fragment Offset: 8 बाइट की संख्या के रूप में दिखाया जाता है। इसका अधिकतम मान 65,528 हो सकता है।

    Time to Live: ये डाटाग्राम का लाइफलाइन होता है। ये डाटाग्राम को नेटवर्क में लूप करने से रोकता है।

    Protocol: उस प्रोटोकॉल का नाम जिसे डाटा पास किया जा रहा है (8 बिट्स)।

    Protocol: Name of the protocol to which the data is to be passed
    (8 bits)

    Header Checksum: 16 बिट का हेडर चेक्सुम जो कि डाटाग्राम हेडर में एरर चेक करने का कार्य करता है।

    Options की उपस्थिति के कारण डाटाग्राम हेडर का आकार वेरिएबल हो सकता है जो कि 20 बाइट से 60 बाइट तक होता है।

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    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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