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    जींद उपचुनाव: हरियाणा में बढ़ा भाजपा का गैर-जाट आधार, कांग्रेस और आईएनएलडी हुई शर्मसार

    लोक सभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले, जींद में हुए उपचुनाव ने राजनीती की दुनिया में कई संकेत भेजे हैं। अब विजेता भाजपा, आईएनएलडी गुटों और हारी हुई कांग्रेस के सामने कई सारे सवाल खड़े हो गए हैं।

    सबसे पहले, भाजपा को विधानसभा चुनाव और यहाँ तक कि लोक सभा चुनाव में भी इस जीत का फायदा होगा। उनके उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा ने जेजेपी के दिग्विजय चौटाला को 12,930 मतों से हरा दिया है।

    कांग्रेस जिसने युद्धभूमि में अपने राष्ट्रिय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला को उतार कर बड़ा दांव खेला था, उसे शर्मसार होकर मात्र 22,742 मतों से तीसरे स्थान पर रुकना पड़ा।

    भाजपा गैर-जाट के मतों को हासिल करने में कामयाब हो पाई। मिड्डा पंजाबी समुदाय से आते हैं जिस कारण उन्हें काफी मदद मिली। मगर पार्टी बागी राज कुमार सैनी के नये राजनीतिक संगठन-लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी की तरफ से मैदान में उतरे विनोद अशरी जिन्होंने कुल 13,582 मत अपने नाम किये, वो पार्टी के लिए परेशान करने वाला था। इससे यही सन्देश मिलता है कि वे गैर-जाट मत खासतौर पर सैनी से, हलके में नहीं ले सकते।

    परिणाम का मतलब यह भी है कि विपक्षी दल को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव बनाया था, राज्य प्रमुख अशोक तंवर, जो कि एक दलित हैं, को बदलने के लिए या तो खुद के लिए या अपनी पसंद के व्यक्ति के लिए बागडोर मांग रहे थे।

    मगर अब, कांग्रेस नेतृत्व को फिर सोचना होगा कि क्या बागडोर किसी जाट नेता को सौंपना एक उचित रणनीति होगी। उनके पास तंवर के साथ आगे बढ़ने या उन्हें किसी गैर-जाट चहरे से बदलने का विकल्प है मगर ऐसा कदम हूड्डा को निराश कर सकता है जो पार्टी के सबसे बड़े जाट नेता हैं।

    मगर ये नतीजा, सुरजेवाला के लिए भी किसी झटके से कम नहीं था। जाट मत, उनके, दिग्विजय चौटाला और आईएनएलडी के उमेद सिंह में बंट गए जिससे सुरजेवाला जीत नहीं पाए। तीन तीन जाट उम्मीदवार होने की वजह से, पूर्व जींद विधायक हरी चाँद मिड्ढा जिनके कारण ये उपचुनाव हुए, उनके बेटे ने जीत हासिल कर ली।

    कांग्रेस की हार में एक और तड़का लगा है। ऐसी खबरें हैं कि पार्टी के कुछ बड़े नेता चाहते थे कि सुरजेवाला, जो राहुल गाँधी के करीबी हैं, वे हार जाये। आने वाले दिनों में, ये विवाद बढ़ सकता है।

    नतीजा आईएनएलडी के लिए भी एक बड़ा झटका था। पार्टी के अलग होकर बनी पार्टी जेजेपी के उम्मीदवार ज्यादा मात्रा में जाट मत हासिल कर पाए-37,648 जबकि आईएनएलडी उम्मीदवार उमेद सिंह अपनी जमा राशि को जब्त करने के लिए केवल 3,454 मत का ही प्रबंधन कर पाए।

    आप ने हरियाणा में खुल कर जेजेपी का समर्थन किया था तो अब देखना ये है कि क्या दोनों के बीच कोई चुनावी सौदा होता है। आईएनएलडी ने पहले घोषणा की थी कि उनके और बसपा के बीच गठबंधन की उम्मीद है। मगर पांचवे स्थान पर रुकने वाले के साथ क्या अभी भी बसपा गठबंधन बनाती है, ये तो आगे पता चलेगा।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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