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    कुइपर बेल्ट kuiper belt hindi

    विषय-सूचि

    कुइपर बेल्ट क्या है? (what is kuiper belt in hindi)

    कुइपर बेल्ट (kuiper belt) जिसको एजवर्थ – कुइपर बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है, सौर मंडल के बाहरी क्षेत्र में पाया जाने वाला circumstellar डिस्क है जो नेप्चून ग्रह के परिक्रमा पथ के पास से शुरू होता है।

    यह मंगल एवं बृहस्पति के बीच पाया जाने वाला क्षुदग्रह बेल्ट के सामान है, किन्तु आकार और भार में उससे कई गुना ज्यादा है। इस बेल्ट में तीन ड्वार्फ ग्रहों का वास है – प्लूटो, Haumea एवं Makemake। इसकी खोज डच खगोलवैज्ञानिक जैन ऊर्ट द्वारा साल 1950 में कि गई थी।

    ये कैसे बने? (Formation of Kuiper Belt in Hindi)

    जब सौर मंडल बन रहा था, तब बहुत अधिक मात्रा में धूल और गैस के कण खिंचाव के कारण एक साथ आये, जिसके कारण सूर्य, सभी ग्रहों, उपग्रहों एवं अन्य छोटे बड़े पिण्डों का निर्माण हुआ।

    जो मलबे रह गए थे, वे इन पिंडों के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण या तो सूर्य में समा गए या कुछ सौर मंडल के बाहरी हिस्से में जाके जमा हो गए जिसको आज कुइपर बेल्ट के रूप में पहचाना जाता है। ये सभी सूर्य कि परिक्रमा करते हैं। कुइपर बेल्ट में जो मलबे विराजमान हैं, उनके माध्यम से सौर मंडल के शुरआती समय के बारे में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ रहे हैं।

    कुइपर बेल्ट की चीजें (Few Bodies of Kuiper Belt in Hindi)

    यहाँ पर खोजा जाने वाला सबसे पहला पिंड प्लूटो था जिसको 1930 में रिकॉर्ड किया गया। फिर 2004 में सेडना नामक पिंड ढूंढा गया जो प्लूटो के तीन चौथाई आकार के बराबर है। यह सूर्य से इतना दूर है कि उसको परिक्रमा पूरी करने में 10,500 वर्ष लगता है। इसका व्यास 1770 किमी का है। सूर्य वहां से इतना छोटा दिखाई देता है कि कुइपर बेल्ट के इन पिंडों तक सूर्य कि रौशनी नहीं पहुँच पाती।

    2005 में वैज्ञानिकों ने यहाँ इरिस नामक खगोलीय वस्तु कि खोज की जो सूर्य की परिक्रमा करने में 580 वर्ष लेता है और आकार में प्लूटो से बड़ा है। इसकी खोज होने के बाद प्लूटो ग्रह से इसकी काफी हद तक समानता होने के कारण ही प्लूटो को 2006 में ड्वार्फ ग्रह की श्रेणी में डाल दिया गया था। साल 2008 में दो अन्य ड्वार्फ ग्रहों की खोज हुई जिनका नाम था – Haumea एवं Makemake।

    कुइपर बेल्ट से जुड़े कुछ अन्य तथ्य (Few Facts related to Kuiper Belt)

    • नासा न्यू होराइजन नामक अपना एक मिशन प्रक्षेपित कर चुका है जो 2019 के शुरुआत में कुइपर बेल्ट की तरफ पहुंचेगा, इससे वैज्ञानिकों को इस बेल्ट के बारे में काफी गहराई से शोध करने का मौका मिलेगा।
    • इस बेल्ट का परिक्रमा पथ पृथ्वी के मुकाबले 700 गुना ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि ये 4.5 से 7.4 बिलियन किमी तक गोलाकार पथ में फैले हुए हैं।
    • नासा के Spitzer टेलिस्कोप के द्वारा लिए गया इंफ्रारेड माप के आधार पर यहाँ के कई छोटे बड़े पिंडों के बारे में पता चल पा रहा है।
    • वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि इस बेल्ट में ट्रिलियन की संख्या में छोटे बड़े मलबे या पिंड मौजूद हैं जिनमे से कम से कम एक हज़ार पिण्डों का आकार 100 किमी से ज्यादा है।

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