Sat. Apr 27th, 2024
    मौसम विभाग ने मनाया 150वां स्थापना दिवस, पूरे देश में एक साल तक होंगे कार्यक्रम

    भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) 150 वर्ष की शानदार सेवा यात्रा पूरी की है। 1875 में स्थापित आईएमडी देश के पहले वैज्ञानिक विभागों में से एक है और मौसम विज्ञान से जुड़े सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है। जनता को मौसम सेवाएं प्रदान करने के जनादेश के साथ, आईएमडी 15 जनवरी, 2025 को अपनी 150वीं वर्षगांठ मनाया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को पूरे देश में मनाने के लिए, आईएमडी 15 जनवरी, 2024 से 15 जनवरी, 2025 तक पूरे एक साल तक अपने सभी उप-कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस उत्सव का आगाज समारोह 15 जनवरी 2024 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ।

    क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी), चेन्नई, को ऐतिहासिक महत्व प्राप्त है। भारत में चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में 1793 में पहला मौसम संबंधी अवलोकन शुरू हुआ था। अब आरएमसी चेन्नई अपनी 80वीं वर्षगांठ मना रहा है। केंद्र ने पूरे एक साल तक उत्सव की योजना बनाई है, जिसमें हितधारकों के साथ बैठक, शैक्षणिक संस्थानों के साथ बातचीत, संगोष्ठी व कार्यशाला, मौसम विज्ञान के विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए आउटरीच कार्यक्रम आदि शामिल हैं। 

    15 जनवरी, 2024 को राष्ट्र सेवा के 150वें वर्ष की दहलीज पर, आईएमडी एक नए युग में प्रवेश किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ और सभी हितधारकों, सहयोगी वैज्ञानिक संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों के समर्थन से, ‘अमृतकाल’ में मौसम और जलवायु सेवाएं नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार हैं। आईएमडी द्वारा 150 वर्षों की सार्वजनिक सेवा का गौरवशाली इतिहास राष्ट्र निर्माण के लिए दी गई सेवा का प्रमाण है।

    आईएमडी की 150वीं वर्षगांठ का यह उत्सव न केवल विभाग के गौरवशाली इतिहास को उजागर करेगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करेगा। यह आम जनता के बीच मौसम विज्ञान के ज्ञान को बढ़ाने और मौसम और जलवायु सेवाओं के महत्व को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत मौसम विज्ञान विभाग के 150 वर्ष पूरे होने के समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने चक्रवात जैसी मौसम की घटनाओं का समय पर पूर्वानुमान जारी करने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग की सराहना की, जिससे उच्च समुद्र में लोगों की जान बचाने और जहाजों को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिली।

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