Sat. Nov 23rd, 2024
    कंप्यूटर नेटवर्क में टोकन रिंग token ring in hindi, topology, network, computer networks, definition

    विषय-सूचि

    टोकन रिंग क्या है? (token ring definition in hindi)

    टोकन रिंग को IBM द्वारा 1980 में ईथरनेट के विकल्प के रूप में विकसित किया गया था। ये LANs (लोकल area नेटवर्क) के लिए एक डाटा लिंक तकनीक है जिसमे devices को एक स्टार या रिंग टोपोलॉजी में कनेक्ट करते हैं। ये OSI के नेटवर्क लेयर में काम करता है।

    1990 के शुरुआत के बाद से टोकन रिंग की प्रसिद्धि में गिरावट आती चली गई और बिज़नस नेटवर्क से ये धीरे-धीरे बहार होता चला गया क्योंकि LAN के डिजाईन में ईथरनेट तकनीक ज्यादा प्रभावी साबित हुआ।

    एक स्टैण्डर्ड टोकन रिंग केवल 16mbps तक कि गति को सम्भाल सकता है। 1990 में एक इंडस्ट्री इनिशिएटिव जिसका नाम हाई स्पीड टोकन रिंग (HSTR) था उसे विकसित कर के इसकी गति को 100mbps तक किया गया ताकि ये ईथरनेट को टक्कर दे सके।

    लेकिन मार्केटप्लेस के लिए अपर्याप्त होने के कारण इसके प्रोडक्ट चल नही पाए और ये तकनीक प्रसिद्ध नही हो पाई।

    टोकन रिंग की कार्यप्रणाली (token ring topology in hindi)

    LAN इंटरकनेक्शन के बांकी सारे तकनीक के विपरीत रोकें रिंग एक या एक से ज्यादा डाटा फ्रेम को मेन्टेन करता है जो लगातार नेटवर्क में घूमते रहते हैं।

    इन फ्रेम्स को सभी कनेक्टेड devices द्वारा नेटवर्क में शेयर किया जाता है जिसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है:

    1. रिंग सीक्वेंस में एक फ्रेम यानी कि पैकेट अगले डिवाइस पर आता है।
    2. वो डिवाइस इस बात कि जांच करता है कि इस फ्रेम कोई मैसेज, सूचना या पता है कि नही। अगर ऐसा है तो डिवाइस मैसेज को फ्रेम से निकाल कर हटा देता है। अगर ये सब नही है तो वो फ्रेम खाली है इसी यहाँ एम्प्टी फ्रेम कहा जाता है।
    3. जिस डिवाइस ने फ्रेम रख रखा है वो ये निर्णय लेता है कि मैसेज भजना है या नहीं। अगर ऐसा है तो ये मैसेज डाटा को टोकन फ्रेम में डालता है और उसे वापस LAN में भेज देता है। अगर मैसेज नही भेजना है तो डिवाइस उस टोकन फ्रेम को रिलीज़ कर देता है जिसे सीक्वेंस में अगला फ्रेम उठा लेता है।

    दूसरे शब्दों में कहें तो नेटवर्क congestion को कम करने के लिए एक समय पर सर्फ एक डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। उपर वाले सभी स्टेप्स को सभी devices के लिए लगातार रिपीट किया जाता है।

    टोकन तीन बाइट के होते हैं जिसमे स्टार्ट और end डिलिमिटर होते हैं और वह ये बताते हैं कि फ्रेम शुरू कहाँ से हो रहा है और कहाँ पर ख़त्म हो रहा है।

    इसका अर्थ ये हुआ कि वो फ्रेम के boundaries को मार्क करते हैं। टोकन के अंदर एक्सेस कण्ट्रोल बाइट भी होता है। डाटा पोर्ट का अधिकतम length 4500 बाइट हो सकता है।

    टोकन रिंग में फ्रेम फॉर्मेट (frame format in token ring in hindi)

    इसमें ईथरनेट के विपरीत मोस्ट significant बिट को पहले ट्रांसमिट किया जाता है:

    SDACFCDASADATACRCEDFS

     

    SD= स्टार्टिंग डिलिमिटर (1 octet)
    AC= एक्सेस कण्ट्रोल (1 octet)
    FC= फ्रेम कण्ट्रोल (1 Octet)
    DA= डेस्टिनेशन एड्रेस (2 or 6 Octets)
    SA= सोर्स एड्रेस (2 or 6 Octets)
    DATA= सूचना  0 से 4027 octet तक
    CRC= चेकसम (4 Octets)
    ED= एंडिंग डिलिमिटर (1 Octet)
    FS= फ्रेम स्टेटस

    टोकन रिंग के मोड्स (token ring modes in hindi)

    टोकन रिंग के निम्न मोड होते हैं:

    Listen मोड

    इस मोड में नोड्स डाटा को सुनते हैं और डाटा को अगले नोड को ट्रांसमिट कर देते हैं। इस मोड में ट्रांसमिशन के साथ 1 बिट का डिले जुड़ा होता है।

    ट्रांसमिट मोड (transmit mode)

    इस मोड में नोड नेटवर्क पर रखे गये किसी भी डाटा को डिस्कार्ड कर देता है। 

    बाई पास मोड (by-pass mode)

    जब नोड डाउन होता है तो इस मोड तक पहुंचता है। किसी भी डाटा को by पास कर दिया जाता है। इसमें 1 बिट डिले भी नहीं होता। 

    टोकन रिंग और ईथरनेट में अंतर (difference between token ring and ethernet in hindi)

    ईथरनेट नेटवर्क के विपरीत टोकन रिंग में devices के पास समान MAC एड्रेस हो सकते हैं और इस से कोई समस्या भी नहीं होती। ईथरनेट और टोकन रिंग के बीच कुछ अंतर निम्नलिखित हैं:

    • टोकन रिंग नेटवर्क के लिए केबल बिछाने का काम ईथरनेट के मुकाबले ज्यादा खर्चीला है। टोकन रिंग के नेटवर्क कार्ड और पोर्ट्स भी तुलनात्मक रूप से महंगे आते हैं।
    • टोकन रिंग को वहां कॉन्फ़िगर किया जा सकता है जहां कुछ ख़ास नोड्स बांकियों से ज्यादा प्रायोरिटी रखते हों।  ऐसा unswitched ईथरनेट में नहीं होता है।
    • जैसा कि उपर बताया गया है, टोकन रिंग collision रोकने के लिए टोकन का इस्तेमाल करते हैं जबकि ईथरनेट नेटवर्क (खासकर जब हब का प्रयोग किया जाता है) में collision की ज्यादा सम्भावना रहती है। यही कारण है कि ईथरनेट नेटवर्क स्विचों का प्रयोग करते हैं।
    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    सम्बंधित लेख

    1. कंप्यूटर नेटवर्क में स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल क्या है?
    2. कंप्यूटर नेटवर्क में मेनचेस्टर इनकोडिंग (Manchester encoding) क्या है?
    3. कंप्यूटर नेटवर्क में फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग (frequency division multiplexing) क्या है?
    4. कंप्यूटर नेटवर्क में हैमिंग कोड क्या है?
    5. कंप्यूटर नेटवर्क में CSMA/CD के कार्य की पूरी प्रक्रिया
    6. कंप्यूटर नेटवर्क में डायनामिक ट्रंकिंग प्रोटोकॉल क्या है?
    7. कंप्यूटर नेटवर्क में पोर्ट सिक्यूरिटी क्या है?
    8. कंप्यूटर नेटवर्क में रोल बेस्ड एक्सेस कण्ट्रोल और उसके फायदे
    9. कंप्यूटर नेटवर्क में चैनल कैपेसिटी या मैक्सिमम डाटा रेट क्या है?
    10. कंप्यूटर नेटवर्क में पैकेट स्विचिंग और डिलेज क्या हैं?

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *