Sun. Apr 28th, 2024
    उत्तर प्रदेश चुनाव

    मुरादाबाद शहर में कांग्रेस समर्थक परवेज अकरम नें बताया, “यदि कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी को 1 लाख से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो बीजेपी जीतेगी। यदि उससे कम मिलते हैं, तो महागठबंधन जीतेगा। किसी भी सूरत में कांग्रेस यह सीट नहीं जीतेगी।”

    मुरादाबाद में इमरान प्रतापगढ़ी बड़ी मेहनत से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, इसके बावजूद ज्यादातर उनके समर्थकों का मानना है कि यह सीट कांग्रेस किसी भी हालत में नहीं जीत सकती है। इस इलाके में कांग्रेस सिर्फ कुछ अल्पसंख्यकों के वोट हासिल कर सकते हैं, जो महागठबंधन से हटकर कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं।

    उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाकों में महागठबंधन बहुत मजबूत है। जिन इलाकों में कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी प्रचार कर रहे हैं, वहां बड़ी मात्रा में दलित और मुसलमान रहते हैं। ये लोग परम्परागत रूप से महागठबंधन को वोट देंगे।

    imran pratapgarhi
    मुरादाबाद के कांग्रेस उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी

    कांग्रेस के हाल ही में चयनित मेयर हाजी रिजवान कुरैशी का मानना है कि यदि कांग्रेस नें बड़ी मात्रा में महागठबंधन के वोट काटे, तो बीजेपी को ये सीटें मिल सकती हैं। उन्होनें कहा कि यदि कांग्रेस भी महागठबंधन में शामिल हो जाती, तो बीजेपी का स्थान कहीं नहीं था।

    यहाँ के निवासियों के मुताबिक शुरुआत में कांग्रेस उत्तर प्रदेश के मुखिया राज बब्बर नें मोरादाबाद की सीट से लड़ने की सोची थी। लेकिन बाद में जांच के बाद उन्होनें किसी सुरक्षित सीट की तलाश कर ली। इसके बाद कांग्रेस नें प्रतापगढ़ के प्रतापगढ़ी को बुलाया, जिन्हें बहुत से लोग कलाकार मानते हैं।

    ऐसे में मुरादाबाद की सीट पर यह साफ़ है कि यदि कांग्रेस बड़ी संख्या में वोट नहीं काटती है, तो महागठबंधन के खाते में यह सीट जा सकती है। कांग्रेस हालाँकि किसी भी हालत में यह सीट अपने नाम नहीं कर सकती है।

    कुरैशी नें इस सीट पर कहा कि चूंकि प्रतापगढ़ी बाहर के हैं, यह उनके लिए नुकसान का कारण है। कुरैशी को लगता है कि यदि कांग्रेस उन्हें मुरादाबाद के लिए टिकट देती, तो वे 50,000 वोटों से जीत सकते थे।

    मोरादाबाद रूरल से समाजवादी पार्टी के विधायक हाजी इकराम कुरैशी का मानना है कि गठबंधन ये चुनाव जीतने जा रहा है। लेकिन कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होनें कहा कि कांग्रेस यहाँ सिर्फ बीजेपी की मदद कर रही है।

    उन्होनें कहा कि पिछड़े वर्ग के सभी समुदाय के लोग सपा-बसपा गठबंधन के साथ हैं।

    मुरादाबाद में मुस्लिमों को असमंजस में डालने के बाद कांग्रेस बगल के अमरोहा में भी कुछ ऐसा ही कर रही है।

    अमरोहा से कांग्रेस नें गठबंधन के दानिश अली के सामने एक जाट उम्मीदवार को उतारा है। जानकारों के मुताबिक दानिश अली की कांग्रेस नेताओं से अच्छी पहचान है और अमरोहा सीट पर कांग्रेस और गठबंधन में आपसी समझ है, जिसके चलते दानिश अली को फायदा मिल सकता है।

    लोगों का मानना है कि वोट ना बटें, यह सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस नें इस सीट से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है।

    हर गाँव में लोग गठबंधन के बारे में चर्चा कर रहे हैं। बीजेपी के समर्थकों नें प्रचार के दौरान कहा है कि उनका मुकाबला गठबंधन से है और उन्हें गठबंधन को हराना है।

    अमरोहा में दानिश अली खासे जाने पहचाने जाते हैं। यहाँ के मुस्लिमों में संतोष है कि वोट डालने से पहले उन्हें ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा। यहाँ के दलित मायवती को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

    पास के ही गाँव के एक जाटव बुजुर्ग नें बताया कि पिछली बार वे बसपा और बीजेपी में से चुन नहीं पाए थे, लेकिन इस बार उनका वोट गठबंधन को जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि आप क्यों नहीं चुन पाए थे, तो वे चुप रहे। पास खड़े एक युवक नें कहा कि उन्हें लगा कि मोदी एक अच्छे प्रधानमंत्री होंगे, लेकिन वे गलत थे।

    अमरोहा का दलित-मुसलमान वर्ग पूरी तरह से गठबंधन के पीछे है। यहाँ के जाटों नें हालाँकि अभी मन नहीं बनाया है।

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस इलाके में राष्ट्रिय लोक दल की भूमिका काफी कम है। पिछली बार पार्टी को 1 प्रतिशत से कम वोट मिले थे, वहीँ सपा बसपा को मिलाकर 48 फीसदी वोट मिले थे। इस बार हालाँकि सपा बसपा का संगठित वोट बैंक काफी मजबूत दिख रहा है।

    पुरे प्रदेश में भाजपा के विरोधी हालाँकि सिर्फ यही कह रहे हैं कि कांग्रेस को गठबंधन का हिस्सा होना चाहिए था और वर्तमान स्थिति में कांग्रेस सीधे तरीके से बीजेपी को मदद करेगी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *