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    सऊदी अरब में महिला

    सऊदी अरब को दुनिया के उन देशों में माना जाता है जहां पर महिलाओं पर अभी भी सदियों पुराने कड़े नियम, रूढ़िवादिता व सख्त कानून लागु हैं। सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति काफी समय से काफी ख़राब रही है।

    सऊदी अरब एक मुस्लिम बहुसंख्यक देश है। सऊदी अरब के कानून में ज्यादातर लगाए गए नियम इस्लाम धर्म का पालन करते हैं।

    लेकिन अब धीरे-धीरे इन्हें हटाकर महिलाओं को भी आगे आने का मौका दिया जा रहा है। साल 2017 से सऊदी अरब में महिलाओं के हितों के लिए कई अहम फैसले लिए गए है।

    सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आधुनिक सोच के शासक है। जिसकी बदौलत सऊदी जैसे कट्टर देशों में अब सख्त नियमों में शिथिलता प्रदान की जा रही है। हाल ही में महिलाओं पर ड्राइविंग प्रतिबंधों को हटाते हुए उन्हें ड्राइविंग करने की अनुमति दी गई है। सऊदी अरब देश के इतिहास में पहली बार ड्राइव करने की अनुमति दी गई। ये सब किंग सलमान के आदेशों से हुआ है। हालांकि महिलाओं को सऊदी कानून के तहत ड्राइविंग से तकनीकी रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया था। ये तो स्थानीय अधिकारियों ने अपने अनुसार ही प्रतिबंध लगा रखे थे।

    कई इस्लामी विद्वानों ने इन प्रतिबंधो को जायज ठहराते हुए अनर्गल बयान दिए। सऊदी अरब में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा सालों से की जा रही कोशिशो के बाद किंग ने आदेश दिए कि स्थानीय अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर महिला आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना होगा। इस आदेश पर कई मौलवियों ने कडी आलोचना की।

    सऊदी अरब महिला

    सऊदी अरब महिलाओं के अधिकारों के लिए लडने वाली कार्यकर्ताओं का मुख्य उद्देश्य सऊदी जैसे कट्टर देश में पुरूष प्रधान समाज का अंत करना है। यहां पर पुरूषों की तुलना में महिलाओं को बेहद कम आजादी दी जाती है।

    आइए जानते है कि सऊदी अरब में महिलाओं पर कौन-कौन सी पाबंधियाँ हैं-

    पुरूष की अनुमति के बिना महत्वपूर्ण निर्णय लेना

    अंतरराष्ट्रीय संस्था मानव अधिकार संस्था ने कहा है कि सऊदी अरब मे महिलाओं को पुरूष से हर चीज के बारे में अनुमति लेनी की आवश्यकता नही होनी चाहिए। इन चीजों को महिलाओ के अधिकारों में बाधा बताया गया है। देश में पुरूष समाज प्रधानता है। पुरूषों को महिलाओं के संरक्षक के रूप मे देखा जाता है।

    मई 2017 में महिला कार्यकर्ताओं ने एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जीत हासिल की। किंग सलमान ने आदेश जारी करते हुआ कहा कि महिलाओं को विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने, नौकरी लेने और शल्य चिकित्सा से गुजरना सहित कुछ गतिविधियों के लिए अपने पुरुष संरक्षक से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। सोशल मीडिया पर भी इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है।

    मेकअप या सुन्दर कपड़े पहनना

    सऊदी अरब में महिलाओं का ड्रेस कोड इस्लामी धर्म के अनुसार होता है। सऊदी अरब में महिलाओं के द्वारा बुर्का(अबाया) पहना जाता है। जिससे उनका पूरा शरीर ढ़का रहे। सिर पर लगाए जाने वाले दुपट्टे से चेहरे को ढ़कना अनिवार्य नहीं है। लेकिन कुछ कट्टरपंथियों के द्वारा इसे मजबूरन ढ़कवाया जाता है।

    इस साल की शुरुआत में, एक प्रमुख मौलवी ने कहा कि किसी भी अबाया में कोई सजावट नहीं है और कोई शोभा नहीं है। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो आया जिसमें सऊदी अरब की महिला रियाद के सुनसान किले के पास मिनी स्कर्ट पहनकर घूमती हुई नजर आई। इसे कई कट्टरपंथियों ने नियमों के खिलाफ बताया।

    महिलाओं व पुरूषों के बीच बातचीत

    सऊदी अरब में महिलाओं को अपने परिवार के अलावा अन्य पुरूषों से बातचीत करने की अनुमति प्रदान नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से इन प्रतिबंधों को कम किया गया है। महिलाएं उनसे असंबंधित पुरूषों के साथ सीमित समय में ही वार्ता कर सकती है।

    सऊदी में कार्यालयों, बैंको और विश्वविद्यालयों सहित अधिकांश सार्वजनिक भवनों के अलग-अलग लिंगों (पुरूष व महिला) के लिए अलग-अलग प्रवेश है। अगर कोई महिला किसी अन्य पुरूष से बातचीत करती है तो महिला को गंभीर सजा मिलती है।

    हाल ही में एक खबर थी कि सऊदी अरब में भारतीय का सिर कलम कर दिया गया था।

    महिलाओं को तैरने व जिम जाने की अनुमति नहीं

    पुरुषों के लिए उपलब्ध स्विमिंग पूल का उपयोग करने की अनुमति महिलाओं को नहीं है। महिला केवल निजी स्पा मे ही स्विमिंग कर सकती है। जिम व स्विमिंग पुल में महिलाओं का प्रवेश करना आसान नहीं है। खासकर पुरूषों वाली जगह तो बिल्कुल भी अनुमति नहीं है।

    सऊदी अरब समुद्र

    खेलों में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिबन्ध

    पिछले साल, सऊदी अरब ने महिलाओं के बिना ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने की पेशकश की थी। इस पर ओलंपिक खेल समिति के एक अधिकारी ने कहा था कि हमारा समाज महिलाओं के इस खेल में भाग लेने पर कठोर रूढ़िवादी हो सकता है। सऊदी अरब ने पहली बार साल 2012 में ओलंपिक खेलों में महिला एथलीटों को लंदन भेजा था। जब कट्टरपंथी मौलवियों ने इन्हें वेश्या कहा था।

    जबकि महिलाओ को पुरूष अभिभावक के साथ भेजा गया था। लेकिन सऊदी किंग सलमान ने सितंबर 2017 मे आदेश दिया कि सऊदी अरब के राष्ट्रीय स्टेडियम में पहली बार महिला दर्शक आ सकती है।

    शॉपिंग करनें पर प्रतिबंध

    शॉपिंग मॉल में महिलाओं को पुरूषों के साथ कपडो की खरीददारी करने पर कई प्रतिबंध लगाए हुए है। इसके अलावा अन्य प्रतिबंधों में महिलाएं बिना सेंसर वाली फैशन पत्रिका को भी नहीं पढ़ सकती है।

    लेकिन अब सऊदी अरब कट्टरपंथी से आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है। इसमें मुख्य योगदान सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का है।

    अब सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति सुधर रही है। इसका श्रेय सऊदी के वर्तमान क्राउन प्रिंस को जाता है।

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