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    राष्ट्रीय युवा दिवस: इतिहास और महत्व यहां पढ़ें!

    हर साल 12 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह महान भारतीय दार्शनिक और समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन युवाओं को प्रेरित करने और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को उजागर करने का एक अवसर है।

    1984 में भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। वह भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। विवेकानंद ने वेदांत और योग के दर्शन को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके विचारों और कार्यों ने युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें राष्ट्र के प्रति समर्पित बनाया।

    राष्ट्रीय युवा दिवस के पोस्टर में आम तौर पर स्वामी विवेकानंद का चित्र, राष्ट्रीय ध्वज और इस दिन का महत्व दर्शाने वाला कोई नारा होता है। कुछ लोकप्रिय नारों में शामिल हैं: “उठो, जागो और जो शक्ति आपके पास है उसे पहचानो”, “युवाओं की शिक्षा ही राष्ट्र का निर्माण है”, और “एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए हमें मजबूत युवाओं की आवश्यकता है।”

    क्या राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व ?

    • युवाओं को प्रेरित करना: यह दिन युवाओं को स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेने का अवसर देता है। विवेकानंद के विचार आत्मनिर्भरता, सामाजिक सेवा और राष्ट्र निर्माण पर जोर देते हैं।
    • शिक्षा का महत्व: यह दिन शिक्षा के महत्व को भी उजागर करता है। विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा ही राष्ट्र के विकास का आधार है।
    • राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका: यह दिन राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को भी रेखांकित करता है। विवेकानंद का मानना था कि युवा राष्ट्र का भविष्य हैं और उन्हें राष्ट्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

    राष्ट्रीय युवा दिवस मनाना युवाओं को प्रेरित करने और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि शिक्षा राष्ट्र के विकास का आधार है और हमें युवाओं को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने पर ध्यान देना चाहिए। आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम स्वामी विवेकानंद के विचारों का अनुसरण करेंगे और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।

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