Sun. Apr 28th, 2024
manoj bajpai on filmfare awards

राष्ट्रीय पुरष्कार और मनोरंजन जगत में अपने योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपाई ने बुधवार को कहा है कि उन्हें इस बात की आदत पड़ चुकी है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी अत्यधिक प्रशंसित फ़िल्में भी कथित मेनस्ट्रीम पुरष्कारों में जगह नहीं बना पातीं।

बुधवार को मनोज ने अपनी 2018 की फिल्म ‘गली गुलाइयाँ’ का एक पोस्टर शेयर करते हुए लिखा है कि, “”तो इस तथ्य से बहुत ज्यादा अवगत हूँ कि मेरी सभी फिल्में जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रशंसित हैं, उन्हें तथाकथित मुख्यधारा के पुरस्कारों की नामांकन सूची में जगह नहीं मिलती है, जीतने के बारे में भूल जाओ। रचनात्मक खोज का शोषण जारी है।”

अभिनेता का यह ट्वीट चौसठवें फिल्मफेयर पुरष्कारों की घोषणा के बाद आया था। ‘गली गुलाइयाँ’ जो शहर की दीवारों में फंसे एक व्यक्ति की यात्रा की कहानी है, का प्रीमियर 22वें बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में किया गया था और इसे 2017 मामी फिल्म फेस्टिवल, इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ लॉस एंजेल्स, अटलांटा फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था।

42वां क्लीवलैंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और 2018 इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में भी फिल्म को काफी सराहना मिली थी।

मनोवैज्ञानिक ड्रामा फिल्म का निर्देशन दीपेश जैन ने किया है। इसमें रणवीर शौरी, नीरज काबी, शाहाना गोस्वामी और नवोदित ओम सिंह भी हैं।

बाजपेयी ने पिंजर (2003) के लिए स्पेशल जूरी नेशनल अवार्ड जीता था। इसके बाद फिल्मों में कई संक्षिप्त भूमिकाएं निभाईं, जो उनके करियर को आगे बढ़ाने में असफल रहीं।

इसके बाद उन्होंने राजनीतिक थ्रिलर फिल्म ‘रजनीति (2010)’ में एक लालची राजनेता की भूमिका निभाई, जिसे खूब सराहा गया था। 2012 में, बाजपेयी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर में सरदार खान की भूमिका की थी।

2016 में, उन्होंने हंसल मेहता की जीवनी पर आधारित नाटक ‘अलीगढ़’ में प्रोफेसर रामचंद्र सिरास की भूमिका की थी, जिसके लिए उन्होंने 2016 में एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का तीसरा फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था।

हाल ही में रिलीज़ हुई उनकी फिल्म ‘सोनचिड़िया‘ को समीक्षकों ने तो काफी सराहा है लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा सकी है।

यह भी पढ़ें: लोगों को पकड़-पकड़ कर अक्षय कुमार की फ़िल्में दिखाया करते थे उनके पिता

By साक्षी सिंह

Writer, Theatre Artist and Bellydancer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *