भारत के प्रधानमंत्री पर बनी बायोपिक “पीएम नरेंद्र मोदी” के रिलीज़ विवाद में एक और नया मोड़ आया है। चुनाव आयोग द्वारा फिल्म पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद, सोमवार को शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा कि वह पहले विवेक ओबेरॉय अभिनीत फिल्म देखे और फिर फैसला ले कि फिल्म पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को 22 अप्रैल तक एक बंद कवर में एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है और तब ही अदालत मामले की अगली सुनवाई करेगी।
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ये फैसला तब आया जब बायोपिक के मेकर्स ने लोक सभा चुनाव तक फिल्म की रिलीज़ पर प्रतिबन्ध लगाने वाले चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
आयोग ने 10 अप्रैल को बायोपिक पर प्रतिबन्ध लगाते हुए कहा था कि कोई भी फिल्म जो राजनीतिक इकाई और व्यक्ति को बढ़ावा देती है, उसे चुनावी मौसम में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए।
दिलचस्प बात ये है कि चुनाव आयोग का ये फैसला तब आया जब पिछले मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्त्ता द्वारा फिल्म पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने कहा था कि मामले पर फैसला लेने के लिए चुनाव आयोग सही मंच है।
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आयोग ने प्रतिबन्ध लगाते हुए कहा था कि फिल्म से खेल मैदान के स्तर को परेशानी होगी और फिल्म तब तक नहीं रिलीज़ होगी जब तक लोक सभा चुनाव ना खत्म हो जाए। आयोग ने ये भी कहा है कि इस मामले में किसी भी शिकायत की जांच सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत या उच्च अदालत के न्यायाधीशों वाली पीठ करेगी।
ओमंग कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म में पीएम मोदी के चाय बेचने से देश के पीएम बनने तक के सफ़र को दिखाया जाएगा।
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