पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की ज़िन्दगी पर आधारित फिल्म “द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” कल रिलीज़ होने वाली हैं मगर इस फिल्म पर अभी तक संकट के बादल छाये हुए हैं। 7 जनवरी वाले दिन, दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म के ट्रेलर पर प्रतिबन्ध लगाने वाली मांग को खारिज कर दिया था और अब उसी आदेश को चुनौती देते हुए, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान रहे उनके मीडिया सलाहकार संजय बारू की इसी नाम पर छपी किताब के आधार पर ये फिल्म बनाई गयी है जिसमे अनुपम खेर ने मुख्य किरदार निभाया है।
याचिकाकर्ता पूजा महाजन ने अपनी शिकायत में टॉप कोर्ट से यूट्यूब से ट्रेलर पर रोक लगाने की और मामले के लंबित होने तक, फिल्म के रिलीज़ को निलंबित करने की मांग की है। वकील ए मैत्री द्वारा दायर की गयी याचिका में ये दावा किया गया है कि अगर इस समय फिल्म रिलीज़ हो गयी तो ये भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय के नाम और शोहरत को हानि पहुंचाएगी।
याचिका में आगे इलज़ाम लगाया है कि सीबीएफसी को फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं देना चाहिए था अगर फिल्म में अभिनेताओं ने मनमोहन सिंह, राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी जैसे सार्वजनिक शख्सियत का किरदार निभाया है क्योंकि ऐसा करने से वे भारतीय दंड संहिता की धारा 416 के तहत अपराधी बनते हैं।
“ये तो सभी जानते हैं कि फिल्म निर्माताओं ने मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी से कोई इजाजत नहीं ली थी उनके किरदार निभाने से पहले या उनके राजनीतिक जीवन दिखाने से पहले या उनके कपड़े या उनकी आवाज़ की नक़ल करने से पहले। फिल्ममेकर केवल कमर्शियल फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं और उनके किरदारों को बड़े पर्दे पर दिखाने से प्रधानमंत्री के कार्यालय की छवि को खराब करने की कोशिश की गयी है।”
याचिका में ये भी इलज़ाम लगाया है कि अगर फिल्म रिलीज़ हो गयी तो अमेरिका और बाकी देशों से भारत के रिश्ते खतरे में पड़ सकते हैं। “ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म को बड़ा ही सोच समझकर बनाया गया है और इससे साफ़ दिखता है कि ये एक राजनीतिक प्रचार है जिसके साथ और भी उद्देश्य जुड़े हुए हैं।”