Mon. Dec 23rd, 2024
    क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी में लगाना, कांग्रेस की चुनावी चाल है उन्हें एमपी से दूर रखने की?

    कल कांग्रेस ने बड़ा और चौकाने वाला एलान किया। जहा उन्होंने प्रियंका गाँधी वाड्रा को पूर्वी यूपी का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया वही दूसरी तरफ पश्चिमी यूपी का कामकाज वरिष्ठ पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया AICC का महासचिव बनाकर।

    इस फैसले के कुछ ही दिन पहले, सिंधिया ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ रहस्यमयी मुलाकात की थी जिससे एमपी में सियासी हलचल मच गयी थी।

    यूपी में सिंधिया को नियुक्त करने के कदम को मध्य प्रदेश में पार्टी के मामलों से नेता को दूर करने के लिए व्यापक रूप से कांग्रेस की चाल के रूप में देखा जाता है, जहां पार्टी ने अनुभवी कमलनाथ को सीएम के रूप में नामित करने का फैसला किया था।

    वैसे तो सिंधिया के सात से आठ निष्ठावान, कमल नाथ के मंत्रिमंडल में शामिल हैं मगर ऐसा माना जाता है कि वे कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की ही जोड़ी थी जिसने एमपी में इतना ध्यान आकर्षित कर जीत हासिल की।

    राहुल गाँधी ने बुधवार को अपनी बहन और सिंधिया की तारीफ करते हुए कहा था कि दोनों ही पार्टी के शक्तिशाली नेता हैं मगर सिंधिया को यूपी में नियुक्त करने का मतलब है कि एमपी में लोक सभा अभियान कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की संभालेंगे।

    वैसे गाँधी ने दावा किया है कि सिंधिया को उत्तर प्रदेश में केवल दो महीनों के लिए ही तैनात किया गया है मगर ये मानना मुश्किल है को कांग्रेस सिंधिया का ध्यान इतने महत्वपूर्व राज्य से हटने देगा।

    इस बात पर भी गौर करने की जरुरत है कि कांग्रेस का ये फैसला तब आया जब सीएम कमल नाथ दावोस में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम भी भाग ले रहे हैं।

    इसके अलावा, भाजपा ने शिवराज चौहान को भी हाल ही में पार्टी का राष्ट्रिय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है जबकि चौहान ने कहा था कि वे मध्य प्रदेश छोड़ कर कही नहीं जाएँगे।

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *