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    कंगना ने साझा किया मणिकर्णिका का अनुभव

    कंगना रनौत की आगामी फिल्म “मणिकर्णिका:द क्वीन ऑफ़ झाँसी” का ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है और इस ट्रेलर को दर्शकों का बहुत प्यार मिल रहा है। ये फिल्म रानी लक्ष्मीबाई की ज़िन्दगी पर आधारित होगी और इसमें कंगना ने ही झाँसी की रानी का किरदार निभाया है।

    उन्होंने सिर्फ इस फिल्म में अभिनय ही नहीं किया है बल्कि उन्होंने निर्देशन में भी काफी हद तक सहयोग दिया है। इस फिल्म के निर्देशक राधा कृष्णा जगार्लामुदी, इस फिल्म को बीच में ही छोड़कर एनटीआर की बायोपिक के लिए चले गए। ये फिल्म अगले साल 25 जनवरी को रिलीज़ हो रही है। ये फिल्म, हिंदी, तमिल और तेलेगु भाषा सहित विश्वभर में 4000 स्क्रीन पर रिलीज़ होगी।

    इस फिल्म के ट्रेलर लांच के बाद, कंगना ने विस्तार से इस फिल्म और इस किरदार के ऊपर मीडिया से बातचीत की। इस इंटरव्यू के कुछ अंश यहाँ मौजूद हैं-

    मणिकर्णिका का ट्रेलर वायरल हो चुका है और बहुत पसंद भी किया जा रहा है। इसपर आपके क्या विचार हैं?

    धन्यवाद। इस फिल्म में बहुत ज्यादा कड़ी मेहनत और समर्पण लगा है। मुझे पूरी कास्ट और क्रू का धन्यवाद करना है, और इस फिल्म को बनाने के लिए निर्माताओ का विश्वास और विजन और साथ ही साथ मुझपर उनका भरोसा। एक मुख्य पात्र और निर्देशक होने के तौर पर, जो परेशानी मुझे झेलनी पड़ी वो थी इसके भौतिक पहलू का प्रबंधन। मॉनिटर से फ्रेम तक भागदौड़ करना और वो भी इतनी भारी पोशाकों में, मेरे लिए काफी मुश्किल था। मगर फिर अंत में, रानी लक्ष्मीबाई जैसा शानदार किरदार निभाना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।

    आपकी तुलना झाँसी की रानी से की जा रही है…..

    मैं यही कहूँगी कि ये मेरी किस्मत है कि मेरी तुलना रानी लक्ष्मीबाई से की जा रही है। मेरे माता-पिता की ख़ुशी की कोई सीमा ही नहीं रही जब उन्हें पता चला कि मैं रानी का किरदार निभा रही हूँ। वो खासतौर पर, ट्रेलर लांच पर आये थे। मेरे माता-पिता एक छोटे से कसबे के भावुक लोग हैं। मुझे हमेशा अपने वजूद पर शक होता था मगर अब मुझे ऐसा लगता है कि मेरी ज़िन्दगी का भी कोई उद्देश्य है।

    फिल्म के बजट को लेकर काफी दिनों से अफवाहें उड़ाई जा रही है मगर फिल्म के निर्माता ये कीमत बताने के लिए तैयार ही नहीं है। तो इस फिल्म में कितना खर्चा आया?

    ये बड़े बजट वाली एक पीरियड एक्शन-एडवेंचर बायोपिक है जिसमे कई सारे स्पेशल इफेक्ट्स हैं। आप लोगों ने ट्रेलर में युद्ध के द्रश्य देखे, वो कितनी ख़ूबसूरती से निखर कर आये हैं। वो सारे द्रश्य, हॉलीवुड के एक्शन निर्देशक निक पोवेल ने बनाये हैं जिन्होंने ‘द ग्लैडिएटर’ और बाकी फिल्मों में काम किया है। दिए गए समय में, 100 दिनों तक हमने 1000 से भी ज्यादा लोगों के साथ शूट किया था। मुझे असल कीमत तो नहीं पता है लेकिन मैं ये स्पष्ट करदू कि ‘मणिकर्णिका, हिंदी सिनेमा की सबसे ज्यादा महँगी महिला केन्द्रित फिल्म होगी’।

    मणिकर्णिका के एक्शन सीन के बारे में कुछ बताए 

    मैं यही कहूँगी कि ये सर घुमा देने वाले थे। मुझे निक पोवेल का धन्यवाद करना है, वास्तव में वही ऐसे इन्सान है जिन्होंने इतने भरपूर उर्जा वाले द्रश्यों की कल्पना की फिर उनका निर्देशन किया। मैं हर दिन, छह से सात घंटे तलवार-बाज़ी का अभ्यास करती थी जिसने मुझे खुद से ऐसे खतरनाक स्टंट करने में मदद की।

    निर्देशक कृष ने ये फिल्म बीच में ही क्यों छोड़ दी? क्या उनके साथ कोई रचनात्मक लड़ाई थी?

    कृष को ये फिल्म छोड़नी पड़ी क्योंकि उन्होंने एनटीआर की बायोपिक पकड़ ली थी। और इसके अलावा ऐसी कई चीज़े होती चली गयी जो हमरे वश में नहीं थी इसलिए इस फिल्म में इतनी देरी हो गयी। इस बात को नोट करिए कि जब फिल्म का विचार आया तो इसका निर्देशन कोई और करने वाला था। आप जिनसे भी मिलते हो जरुरी नहीं कि वो आपको समझे। कुछ परिस्थिति में मुझे इतने बड़े बजट की फिल्म को अपने हाथों में लेना पड़ा। कृष के साथ कोई लड़ाई नहीं है और हम निर्देशन का श्रेय बाट रहे हैं। जब मैंने इस फिल्म को लिया था जब हमने ये घोषणा की थी इस फिल्म को हम 2019 के गणतंत्र दिवस के मौके पर रिलीज़ करेंगे क्योंकि इस फिल्म में देशभक्ति का उत्साह है। दरअसल ‘मणिकर्णिका’ एक निर्देशक के तौर पर मेरी डेब्यू फिल्म नहीं, वो कोई और फिल्म होने वाली थी मगर मेरे पिताजी के पास मेरे सपने पूरे करने के लिए कोई प्रोडक्शन हाउस नहीं है।

    फिल्म का निर्देशन करके कैसा लगा?

    सच बताऊ तो मजा आ रहा है। कोई भी अभिनेता इतनी धुप में निकल कर 100 लोगो का जवाब नहीं देगा। वो आराम फरमाएगा। मगर मुझे निर्देशन में मजा आ रहा है। मुझे लगता है कि अभिनय एक 9 से 5 की नौकरी जैसी है जबकि निर्देशन इससे ज्यादा मजेदार है।

    क्या आपके सब सँभालने के बाद, स्क्रिप्ट में कोई बदलाव किया गया?

    हमने विजेंद्र प्रसाद जी की ही स्क्रिप्ट पर काम किया और इसके डायलाग प्रसून जोशी जी ने लिखे हैं। उन दोनों ने जबरदस्त काम किया है। शंकर-अहसान-लोय का संगीत वायरल हो चुका है। कुछ द्रश्य फिर से शूट हुए मगर वे फिल्म की बेहतरी के लिए ही थे।

    लेखक एक होने की वजह से कुछ लोग इस फिल्म की तुलना ‘बाहुबली’ से कर रहे हैं। 

    ‘बाहुबली’ तो कल्पना उन्मुख फिल्म थी जबकि मैं रानी लक्ष्मीबाई की बायोपिक कर रही हूँ। बायोपिक बनाते वक़्त आपके पास इतनी छूट नहीं होती।

    हृर्तिक रोशन की ‘सुपर 30’ से क्लैश होने पर क्या कहेंगी जो आपकी फिल्म के साथ रिलीज़ हो रही है?

    जैसे मुझे पता ही नहीं था।

    आपकी और कोनसी फिल्में आने वाली हैं?

    राजकुमार राव के साथ ‘मेंटल है क्या’। फिर मैं एक स्पोर्ट्स फिल्म कर रही हूँ जिसका नाम है ‘पंगा’। फिर अनुराग बासु के साथ ‘इमली’ और इनके अलावा मैं एक फिल्म का निर्देशन भी करने वाली हूँ।

    अगर आपको मौका मिला तो क्या आप किसी बड़े हीरो के विपरीत एक पारंपरिक नायिका का किरदार निभाएंगी?

    पेड़ो के आगे पीछे घुमने वाले किरदार नहीं निभाने मुझे। मैं उस चीज़ से आगे बढ़ चुकी हूँ। ‘मणिकर्णिका’ जैसी फिल्म करने के बाद, मेरी ज़िन्दगी केवल बदल ही नहीं गयी बल्कि मुझे ऐसा लगने लगा है कि अब मेरी ज़िन्दगी का कोई उद्देश्य है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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