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    चीन और अमेरिका

    चीन द्वारा उइगर और अन्य मुस्लिमों के साथ किये जा रहे अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम देशों ने एक जुटकर आवाज़ नहीं उठाई, इस पर अमेरिका ने निराशा व्यक्त की है। शिनजियांग में चीन ने करीबन 10 लाख मुस्लिमों को नज़रबंद शिविरों में रखा हुआ है।

    न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी राजदूत केल्ली क्यूरी ने कहा कि “आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन की जवाबदेही की कमी से हम निराश है।”

    संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा मुख्यालय में अमेरिका द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राजदूत ने चीन पर शिनजियांग प्रान्त में उइगर मुस्लिमों को बंदी बनाने का आरोप लगाया था। हालाँकि उन्होंने मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर तुर्की के  आवाज़ उठाने की तारीफ़ की है।

    उन्होंने कहा कि “हमने ओआईसी द्वारा चीन की हरकत के खिलाफ आवाज़ उठाने की उम्मीद की थी जैसे उन्होंने सीरिया और म्यांमार में मानव अधिकार के उल्लंघन के खिलाफ एकजुट होकर बयान दिया था। इस माह की शुरुआत में ओआईसी द्वारा दिया गया बयान हालातों की चिंता को व्यक्त करने में असफल हो गया था। यह बयान निराशाजनक और मनोरथ भांग करने वाला था।”

    हाल ही में वांशिगटन ने मानव अधिकार की रिपोर्ट जारी की थी। इस सम्मेलन में क्यूरी और अन्य प्रवक्ताओं में शिनजियांग में स्थित प्रशिक्षण शिविरों की आलोचना की है। चीनी कूटनीतिज्ञ ने कहा कि “हम चीन विरोधी समारोह का सख्ती से विरोध करते हैं। यह समारोह एक राजनीतिक एजेंडा के तहत किया गया है। यहां कोई कथित कैद शिविर नहीं है।”

    जर्मनी के यूरोपीय स्कूल ऑफ़ कल्चर एंड थिओलॉजी में चीनी सुरक्षा के जानकार एंड्रिएन ज़ेंज़ ने कहा कि “शिनजियांग में सांस्कृतिक नरसंहार के लिए व्यवस्थित अभियान से काम से कुछ भी नहीं है। उन्होंने चेताया कि अन्य क्षेत्रों में मुस्लिम अल्पसंख्यक भी इसी समस्या से जूझ सकते हैं। शिनजियांग एक परीक्षण की पहल है।”

    इस समारोह का आयोजन में ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड ने भी समर्थन किया था। यह यूएन सुरक्षा परिषद् की बैठक से इतर हुआ था।

    तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी ऑक्सोय ने कहा कि चीन में जबरन उइगर मुस्लिमों को कैद को कैद करके रखना मानवता के लिए शर्म की की बात है। इन मुस्लिमों में कई तुर्क भाषी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह अब गोपनीय नहीं रहेगा कि 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को अवैध तरीके से नज़रबंद शिविरों रखा गया है। ताकि उनका उत्पीड़न किया सके और कैदखानों व शिविरों में उनकी राजनीतिक विचारधारा परिवर्तित किया सके।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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