विषय-सूचि
इस लेख में हमनें अलंकार के भेद अनुप्रास अलंकार के बारे में चर्चा की है।
अलंकार का मुख्य लेख पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें – अलंकार किसे कहते है- भेद एवं उदाहरण
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।
इस अलंकार में किसी वर्ण या व्यंजन की एक बार या अनेक वणों या व्यंजनों की अनेक धार आवृत्ति होती है। जैसे:
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
- मुदित महापति मंदिर आये।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है। यह आवृति वाक्य का सौंदर्य बढ़ा रही है। अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
अनुप्रास अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:
- मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला।
उपर्युक्त उदाहरण में ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आयेगा।
- कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की शुरू के तीन शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण भी अनुप्रास आंकार के अंतर्गत आयेगा।
- कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरण में शुरू के चार शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- कंकण किंकिण नुपुर धुनी सुनी।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं की दो शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
जैसा की आपे देख सकते हैं की ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है और इससे वाक्य सुनने में और सुन्दर लग रहा है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
ऊपर दिए गए वाक्य में जैसा कि देख सकते हैं ‘ब’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।अतएव यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण होगा।
- कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी।
जैसा की आप देख सकते हैं ऊपर दिए गए वाक्य में ‘क’, ‘भ’ आदि वर्णों की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां ‘द’ वर्ण की बार बार आवृति हो रही है , एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- रघुपति राघव राजा राम।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते है हर शब्द में ‘र’ वर्ण की बार बार आवृति हुई है जिससे इस वाक्य की शोभा। साथ ही हम यह भी जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी एक वर्ण की आवृति होती है तो उस वाक्य में अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह वाक्य भी अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी।
जैसा की आप ऊपर दिए गए वाक्य में देख सकते हैं ली लगभग जार शब्द में क वर्ण की आवृति हो रही है जिससे की वाक्य की शोभा बढ़ रही है। जैसा की परिभाषा में भी बताया गया है की जब किसी काव्य की शोभा बढाने के लिए एक ही वर्ण की आवृति होती है तो वह अनुप्रास अलंकर होता है। अतः यह काव्यांश अनुप्रास अलंकर के अंतर्गत आएगा।
अनुप्रास अलंकार के विषय में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
अन्य अलंकार
- यमक अलंकार
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- श्लेष अलंकार
- यमक और श्लेष अलंकार में अंतर
anupras alankar mein kya visheshta hoti hai? aur koi sentence mein se anupras alankar aur shlesh alankar mein antar kaise nikalein?
यदि वाक्य में एक वर्ण की ही बार बार आवृति हो रही है तो वह अनुप्रास है
जैसे :मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला। यहाँ म की आवर्तित हो रही है।
यदि वाक्य में शब्द में से एक से अधिक अर्थ निकल रहे है तो उसमे श्लेष अल्नाकार होता है।
जैसे : रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख।
श्लेष अलंकार के बारे में विस्तार से पढने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं :
https://hindi.theindianwire.com/श्लेष-अलंकार-43700/
Shlesh me ek sabd ko do baar likha jata hai .lekein dono shabo ka meaning alag rahega
Anupras me 1st letter repeat hota hai jaise
रघुपति राघव राजा राम
Anupras me ak varn bar baar aata hai.kya shabd ke pahle varn ko hi dekhenge bitch me ant के नहीं .bich me aya to nahi.चमक धमक सम समय न आना ।
Kavya me likhe Gaye sabdho me se kaise pata kare ki ye slash alankar hai ya nahi
यदि वाक्य में शब्द में से एक से अधिक अर्थ निकल रहे है तो उसमे श्लेष अल्नाकार होता है।
जैसे : रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख।
श्लेष अलंकार के बारे में विस्तार से पढने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं :
https://hindi.theindianwire.com/श्लेष-अलंकार-43700/
यमक अलंकार में एक sabad बार बार आएगा पर प्लॉट नहीं change Hoga
वहीं स्लेश में एक sabad के एक से आधिक aakchar होगे पर प्लॉट change ho rha hoga
अनुप्रास अलंकार के भेद बताइए।
Kavya me likhe Gaye sabdho me se kaise pata kare ki ye slash alankar hai ya nahi
Good website
क्या स्वर की आवृत्ति नहीं हो सकती है? इस लेख में कई बार व्यञ्जन की आवृत्ति की बात कही गई है, परन्तु यदि स्वर की आवृत्ति हो तो क्या होगा?
स्वर की आवृति भी हो सकती है तब भी वह अनुप्रास अलंकार ही कहलायेगा। इसकी परिभाषा मिएँ देख सकते हैं की बताया गया है वर्ण की आवृति होने पर अनुप्रास होता है और स्वर एवं व्यंजन दोनों वर्णों के अंतर्गत आते हैं अतः स्वर की आवृति होने पर भी अनुप्रास अलंकार होता है।
तलाश हैं मुझको उस तलाश की..
जिस तलाश को मेरी तलाश कभी ना रही….
Ye line Shi h kya yhdi h to konsa alankar hoga Esme
Bharantiman alankar
Good websiti I like it
Anupras alankaar ke b 5 bhedh he unke bare me koy jankari nhi di apne
anuprash alnkar ke bhed