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    Road Accidents in India

    Road Accidents in India: क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक वाहन-दुर्घटना (Rishabh Pant’s Accident) में बुरी तरह घायल होने के बाद एक बार फिर भारत मे सड़क-दुर्घटनाओं (Road Accidents in India) की तरफ़ चर्चा होने लगी है।

    इस से पहले सितंबर के महीने में जब टाटा संस के पूर्व चैयरमैन सायरस मिस्त्री का ऐसे हीएक  सड़क हादसे में हुई मौत के बाद भी भारत मे सड़क-दुर्घटना (Road Accidents) और सड़क-सुरक्षा (Road Safety) को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में खूब बहस हुई थी।

    ऐसे कई अनेकों अन्य हाई प्रोफाइल सड़क-दुर्घटना के बाद देश मे सड़क-दुर्घटना (Road Accidents) और सड़क-सुरक्षा (Road Safety) को लेकर बातें होतीं हैं। तमाम TV डिबेट्स में या अन्य मीडिया, जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है, पर यातायात-सुरक्षा, नियमों आदि के जानकार बैठकर अपना ज्ञान बाँटते हैं, फिर वही शांति छा जाती है।

    पर क्या समस्या वहीं खत्म हो जाती है? -नहीं; बस खत्म हो जाती हैं वह हाई-प्रोफाइल केस और उस से जुड़ी कहानियां।

    आये दिन सुबह सुबह यह खबर मिलते रहती है कि अमुक जगह बस के खाई में गिरने से इतनी मौतें हुईं, तो अमुक जगह वाहनों के टक्कर में इतनी मौतें हुईं, लेकिन ना वह सड़क-दुर्घटना (Road Accidents) और सड़क-सुरक्षा (Road Safety) को लेकर चर्चा होती है और ना ही आम नागरिक ही अपनी आदतों में कोई सुधार लाता है।

    Road Accidents में रोज होती हैं इतनी मौतें

    हाल ही में सड़क परिवहन और राष्ट्र-मार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने भारत मे सड़क हादसों (Road Accidents in India) की तस्वीर स्पष्ट करते हुए बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत मे औसतन 415 मौतें प्रतिदिन होती हैं। साथ ही न जाने कितने लोग घायल होते हैं।

    अब याद करिये अभी हाल में कोविड-19 के दौरान आयी लहरों के दौर को जब हर दिन TV और न्यूजपेपर में हम-आप कुछ इतनी ही मौतों की खबरें सुनते थे और कैसे बेचैन हो उठते थे; लेकिन सड़क हादसों को लेकर हमारा मीडिया, हमारा समाज, हम और आप उतने चिंतित क्यों नहीं होते?

    NCRB रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े भयावह

    NCRB के हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2021 में सड़क-दुर्घटनाओं के कुल 4,03,116 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें कुल 1,55,622 लोगों की मौत हुई जबकि 3,71,884 लोग गंभीर या आंशिक रूप से घायल हुए।

    आमतौर पर सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) में घायल ज्यादा होते हैं, मौतें कम होती हैं। लेकिन मिज़ोरम, पंजाब, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटना के कारण घायलों की संख्या कम, और मरने वालों की संख्या ज्यादा हैं।

    NCRB के इसी रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण आंकड़ा यह  है कि सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents)  में हुई मौतों की संख्या में दोपहिया वाहनों के कारण हुई मौतों का योगदान 44.5% (69,240) है।

    राज्य के क्रमवार अध्ययन के आधार पर इसी NCRB के आंकड़ों की मानें तो  सड़क हादसों (Road Accidents) में सबसे ज्यादा मौत तमिलनाडु (55,682) में दर्ज हुए हैं। मध्यप्रदेश (48,219) दूसरे, कर्नाटक (34,647) तीसरे, उत्तरप्रदेश (33,711) चौथे तथा केरल (32,759) पांचवें क्रम पर है।

    आखिर इतने Road Accidents की वजह क्या है.

    भारत में सड़क सुरक्षा (Road Safety) को लेकर हम आज भी सैकड़ो साल पुरानी मानसिकता में जीते हैं। सीट बेल्ट या हेलमेट इसलिए लगाना है क्योंकि चालान ना कट जाए, इसलिए नहीं कि यह हमारे सुरक्षा के लिए आवश्यक है। बस से ट्रेवल करने में हम वहीं उतारना चाहते हैं, जहाँ हमारा स्वयं का स्टॉप होता है; वहाँ नहीं जहाँ बस का निर्धारित स्टॉप है।

    हम हर चुनाव में सरकार से तरह तरह के एक्सप्रेसवे, हाईवे, आदि बनाने की अपेक्षा तो रखते हैं लेकिन हम इन्हीं सड़कों पर वाहन चलाते वक्त अपनी जिम्मेदारियाँ भूल जाते हैं। रही-सही असर कसर भारत की सड़कों पर मौजूद छोटे-बड़े गड्ढे पूरा कर देते हैं।

    उदाहरणार्थ, अभी ऋषभ पंत के मामले (Rishabh Pant’s Accident) में भी यही हुआ। वह सुबह के वक़्त अकेले गाड़ी लेकर उस रोड पर 150Km/h की रफ्तार से गाड़ी चला रहे थे जहाँ इस दिसंबर के कोहरे वाले मौसम में 80KM/H की स्पीड भी जानलेवा साबित हो सकती है। फिर रास्ते मे कुछ गड्ढे (Path-holes) थे जिससे गाड़ी असंतुलित होकर सड़क के किनारे डिवाइडर से टकरा गई।

    जिस तरह से कदम कदम पर हम सड़क सुरक्षा के मानकों की धज्जियां उड़ाते हैं, यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि सड़क सुरक्षा (Road Safety) वह अनाथ बच्चा है जिसकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता- ना ही नागरिक, ना ही संबंधित विभाग या प्राधिकरण।
    अपने लेन में गाड़ी न चलाने, बिना संकेत दिए लेन बदलने, निर्धारित गति सीमा और ट्रैफिक सिग्नल की परवाह न करने, तेजी से स्वरूप बदलते और आधुनिक हो रहे सड़क मार्गों पर अपने मन मुताबिक गाड़ियों को कहीं भी रोक लेने या बिना पार्किंग के पार्क करने आदि ऐसी कई गैर-जिम्मेदाराना हरकतें भारत में बहुत कॉमन है।

    अव्वल तो यह कि ना ही कोई इसे अपनी जिम्मेदारी समझता है, और ना ही इन सब के लिए कोई सवाल करने वाला है। हमारे यहाँ परिवहन प्राधिकरणों के पास इस समस्या से निपटने के लिए ना तो संपन्न आधुनिक साधन है, और जो हैं उसे भी इतना सीमित इस्तेमाल होता है कि सड़क हादसों (Road Accidents) को रोक पाना मुश्किल है।

    हालांकि वर्ल्ड बैंक ने सड़क-दुर्घटनाओं से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भारत को $250 मिलियन का लोन भी प्रदान किया है। परंतु समस्या का निदान तब करेंगे ना जब इसकी गंभीरता को कोई समझे।

    भारत के किसी भी इलाके में जाकर एक नज़र में ही सड़क-सुरक्षा की भयावहता को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था की हालात को समझा जा सकता है। आमतौर पर सड़क दुर्घटनाओं में वाहन-चालकों के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई होती है, कभी भी परिवहन विभाग या उसके अधिकारियों के ख़िलाफ़ नहीं; जबकि दुर्घटनाएं दोनों ही के वजह से होती हैं।

    कुल मिलाकर, भारत मे सड़क सुरक्षा (Road Safety) एक गंभीर मुद्दा है जिसे खास तवज्जो देने की जरूरत है। इस से निपटने के लिए प्रचार-प्रसार तथा प्रशिक्षण को और असरकारक बनाने की आवश्यकता है।

    Road Accidents: भविष्य के लिए चुनौती

    भारत दुनिया के सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के विकास के लिए देश मे एक राज्य या एक शहर को दूसरे राज्य या शहर से जोड़ने के लिए बेहतर से बेहतर सड़कें बनाई जा रही है।

    कालांतर से ही, सड़कें मानव संसाधन के बेहतर उपयोग और आर्थिक विकास का सबसे महत्वपूर्ण कड़ी रही है। लेकिन यही सड़कें उन पर होने वाले हादसों की वजह से रोज मानव संसाधन के क्षति की वजह बन रही हैं।

    ऐसे में क्या यह सोचने की जरूरत नहीं है कि रोज सैकड़ो जानों को लीलने वाली इन सड़कों के प्रति हम और गंभीरता से सोचें?
    बेतरतीब हो रही सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) के प्रति सरकारों की अनदेखी की क्या वजह हो सकती है! आखिर हर साल लाखों लोगों के मौत के प्रति इस कदर की उदासीनता कैसे हो सकती है?

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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