India-Maldives Ties: पिछले दिनों मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर बेहद निम्नस्तरीय टिप्पणियां की गईं जिसके बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों (Bilateral Relations) में जबरदस्त उबाल देखा गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in Lakshadweep) पिछले दिनों केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप की यात्रा पर थे। पीएम के इस दौरे से संबंधित कुछ तस्वीरों को उनके सोशल मीडिया हैंडल्स से शेयर करते हुए लक्षद्वीप में पर्यटन (Lakshadweep Tourism) के अवसरों को रेखांकित किया गया।
And those early morning walks along the pristine beaches were also moments of pure bliss. pic.twitter.com/soQEIHBRKj
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2024
यह स्पष्ट करना जरूरी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने या किसी भारत सरकार के अन्य आधिकारिक बयान आदि ने लक्षद्वीप की खूबसूरती को साझा करते हुए मालदीव (Maldives) या अन्य किसी भी पर्यटन स्थल से तुलना या जिक्र नहीं किया था।
Maldives Vs Lakshadweep विवाद शुरू कैसे हुआ ?
भारत मे इन दिनों एक ऐसा अति-राष्ट्रवाद (Hyper Nationalism) छाया है कि कोई भी बात बिना बहिष्कार “#BoycottXYZ” या “A vs B” के पूरी नहीं होती। चाहे वह कोई पठान जैसी फ़िल्म हो या फिर कोई कॉमेडियन (Manuwar Faruqui, Kapil Sharma etc) या कोई राजनेता … अति-राष्ट्रवाद की नुमाइश करने के लिए बहिष्कार और हैशटैग (Hashtags, Boycott etc) का होना जरूरी है।
इस मामले (Maldives Vs Lakshadweep Row) में भी यही हुआ। भारत के कुछ प्रभावी सोशल मीडिया से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों को साझा करते हुए छुटियों पर मालदीव के बजाए लक्षदीप को चुनने की अपील की गई।
इसके बाद भारत के इन्हीं अल्ट्रा-राष्ट्रवाद से भरे बाहियत ट्वीट्स को आधार बनाते हुए मालदीव के कुछ प्रमुख सोशल मीडिया हैंडल्स से यह कहा गया कि भारत सरकार ने मालदीव के खिलाफ एक अभियान चलाया है। इसके बाद वहाँ से भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारतीय लोगों के लिए कई अप्रिय, नस्लीय और विवादास्पद पोस्ट साझा किया गया। गौरतलब बात यह कि इसमें मालदीव के नए सरकार के कई मंत्री भी शामिल थे।
मालदीव के युवा सशक्तिकरण, सूचना और कला मंत्री (अब इस्तीफा ले लिया गया है) मरियम शिउना (Mariam Shiuna)भी शामिल थीं। उन्होंने X पर PM मोदी के पोस्ट को रिट्वीट करते हुए लिखा,
“What a clown! The puppet of Israel Mr. Narendra diver with life jacket . #VisitMaldives #SunnySideOfLife”
इसी क्रम में एक और पोस्ट साझा करते हुए मरियम ने भारत की तुलना गाय के गोबर से किया। मरियम शिनुया के ही एक और सहयोगी और मालदीव सरकार के मंत्रालय में शामिल मालशा शरीफ़ (Malsha Sharif) ने भी कुछ ऐसे ही टिप्पणी किया।
सरकार में शामिल मंत्रियों के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर वहाँ के स्थानीय धिवेही (Dhivehi Language) भाषा मे ऐसे ही भारत विरोधी पोस्ट (Anti India Post) की झड़ी लग गई। साथ ही, यह बताने की कोशिश की गई कि लक्षद्वीप बनाम मालदीव (Lakshdweep Vs Maldives) की यह सोशल मीडिया बहस भारत की तरफ से शुरू की गई।
इसके बाद भारत के तरफ़ से ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त आपत्ति दर्ज की गई। भारत मे भी लोगों ने मालदीव को उसी की भाषा मे जवाब देना शुरू किया। इस सोशल मीडिया वॉर (Social Media War) में अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, किरण रिजिजू आदि जैसी बड़ी हस्तियां भी शामिल हो गई और मालदीव के ऊपर लक्षद्वीप को छुट्टियों के लिए चुनने की अपील करने लगे।
अव्वल तो यह कि इन लोगो में अक्षय कुमार जैसे लोग भी मालदीव का विरोध करने लगे जो अभी हाल ही में नए साल की छुट्टियाँ मालदीव में ही व्यतीत कर के लौटे हैं। यह एक अलहदा मसला है कि इन्ही सेलिब्रिटीज द्वारा मणिपुर, महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर योजना, आदि अन्य जरूरी मुद्दों पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं सामने आता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने की कीमत मालदीव को कुछ इस तरह चुकाना पड़ा कि वहाँ की सरकार को तत्काल प्रभाव से इस हैशटैग वॉर में शामिल मंत्रियों को बर्खास्त करना पड़ गया। दोनों देशों ने एक दूसरे के राजदूतों को तलब कर लिया।
भारत के तरफ़ से जबरदस्त विरोध और आपत्ति मालदीव के लिए एक डिजिटल सोशल मीडिया सुनामी बनकर आया। इसके बाद मालदीव के तरफ़ से डैमेज कंट्रोल करने के लिए भारत के पक्ष में कई बयान दिया गया।
मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने आधिकारिक बयान में कहा कि मालदीव के मंत्रियों द्वारा दिये गए बयान को शर्मनाक माना और स्थिति सुधारने की अपील किया गया।
कुलमिलाकर सोशल मीडिया पर इस “हैशटैग वॉर ” में दोनों ही पक्ष के तरफ़ से गैरजरूरी उग्र अति-राष्ट्रवाद का गैरजिम्मेदाराना प्रदर्शन दिखा जिससे दोनों ही देश को बचना चाहिए था। भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंध में भारत की भूमिका बड़े भाई की है; और इस नाते इस मामले को इतनी तूल न दी जाती, वही बेहतर था।
#BoycottMaldives से प्रभावित हो सकता है Geo-Politics
यह सच है कि भारत के तुलना में मालदीव जनसंख्या, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि तमाम मामले में बहुत छोटा देश है। परंतु मालदीव, भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक लिहाज़ से काफी महत्वपूर्ण है।
मालदीव में वर्तमान सरकार पहले ही “भारत-विरोधी” नीतियों (Anti India Policy) के आधार पर चुनकर आयी है। वहाँ के वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मइज़्ज़ु (Mohammed Muizzu) को चीन के क़रीब माना जाता है।
सत्ता में आते ही उन्होंने भारत को मालदीव से अपने सेना और नेवी को वापस बुला लेने का आदेश दिया है। फिर भारत और मालदीव के बीच हुए एक महत्वपूर्ण जल-सर्वेक्षण प्रोजेक्ट 9India-Maldives Water Survey Project) को ख़ारिज करने का निर्णय लिया।
राष्ट्रपति मइज़्ज़ु ने अपने प्रथम विदेश दौरे के लिए भारत को न चुनकर तुर्कीय और चीन को चुना, जबकि यह एक परम्परा रही है कि मालदीव के राष्ट्रपति निर्वाचन के बाद जिस पहले बडे देश का दौरा करते थे, वह भारत था।
जिस वक़्त भारत और मालदीव के लोग सोशल मीडिया पर लड़-झगड़ रहे थे, उस समय मालदीव के राष्ट्रपति (Mohammed Muizzu) चीन के दौरे पर हैं। तो क्या यह संभव नहीं है कि मालदीव के मंत्रियों द्वारा चलाया गया भारत-विरोधी बयान चीन को खुश करने के लिए एक सोची समझी चाल हो?
ज़ाहिर है, कि भारत बनाम मालदीव के इस लड़ाई का फायदा किसे होगा, यह कोई रहस्य नहीं है। मालदीव का कूटनीतिक रूप से चीन के करीब होने से भारत को न सिर्फ व्यापार में, बल्कि हिन्द महासागर में कूटनीतिक और रणनीतिक तौर पर भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पिछले एक दशक से लगातार भारत के पड़ोसी मुल्क एक के बाद एक चीन के प्रभाव में जा रहे हैं। पाकिस्तान से भारत के संबंध कभी भी बहुत अच्छे नहीं रहे और अब चीन के प्रभाव के कारण निम्नतम स्तर पर है। नेपाल की सरकार कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित है और चीन ने वहाँ भी अपना प्रभुत्व जमा लिया है।
श्रीलंका में भारत और चीन एक दूसरे के सामने खड़े हैं। भूटान ने हाल में ही चीन के साथ कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करने का निश्चय किया है। बांग्लादेश से गाहे बगाहे भारत विरोधी सुर उठते ही रहते हैं।
ऐसे में क्या भारत को एक और पड़ोसी मुल्क को चीन के प्रभाव में बैठते देखना चाहिए? क्या घनघोर-राष्ट्रवाद से प्रेरित “#BoycottMaldives” की जरुरत थी? ……..बिल्कुल नहीं- क्योंकि भारत ने हमेशा “पड़ोसी प्रथम (Neighbors First) ” की नीतियां अपनाई है और देश के सुरक्षा के लिहाज़ से जरूरी है कि पड़ोसी मुल्कों से संबंध बेहतर बनाये रखना चाहिए।
2003 में पाकिस्तान दौरे पर गए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल जी द्वारा कही गयी बात कि हम अपने दोस्त या दुश्मन मुल्क तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी मुल्क नहीं बदल सकते। अभी मालदीव के संदर्भ में भी हमें यह ध्यान रखने की जरूरत थी और आगे भी इसे ध्यान रखा जाना चाहिए।