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    आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना

    चीन लगातार आतंकी सगंठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक स्तर पर बचाने में लगा हुआ है। चीन मसूद को संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में शामिल करने पर अडंगा लगा रहा है। चीन काफी समय से भारत की कोशिशों पर पानी फेरने का काम कर रहा है।

    पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड मसूद अजहर के मुद्दे पर अब अमेरिकी विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है। इन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के द्वारा मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित का समर्थन नहीं करने से भारत-चीन के संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।

    भारत चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकी मसूद अजहर पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध लगाए। लेकिन चीन की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य होने की वजह से चीन लगातार मनमानी कर रहा है और मसूद अजहर को आतंकी करार देने की कोशिशों पर पानी फेर रहा है।

    चीन का ऐसा करना दुर्भाग्यपूर्ण कदम : अमेरिकी विशेषज्ञ

    गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकी अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिशों में रूकावट डाली थी। इसके पीछे चीन ने बहाना बनाया था कि संयुक्त राष्ट्र के आम देशों के बीच में इस मुद्दे को लेकर आम राय नहीं बन पाई है।

    चीन के इस कदम पर हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ का कहना है कि चीन का ऐसा करना वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। चीन मसूद अजहर को आतंकी घोषित नहीं करके अपने दोस्त पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने का काम कर रहा है।

    न्यूयॉर्क में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता का कहना है कि हम जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने की कोशिशों का लगातार समर्थन करेंगे और दूसरे सदस्यों को भी इसका समर्थन करने के लिए प्रेरित करेंगे। अन्य अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के इस रवैये की वजह से भारत-चीन संबंधों में तल्खी बढ़ सकती है।