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    राहुल गाँधी

    देश के राजनीतिक गलियारों में पिछले कुछ वक्त से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी जल्द ही कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ले सकते हैं। राहुल गाँधी के करीबी और राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने इस बाबत संकेत भी दिए थे कि दीवाली के बाद राहुल गाँधी की ताजपोशी हो सकती है। अब कांग्रेस की तरफ से भी घोषणा हो चुकी है कि अक्टूबर के अंत तक पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। राहुल गाँधी की ताजपोशी से पहले कांग्रेस का रंग, रूप और तेवर सब-कुछ बदलता नजर आ रहा है। पिछले कुछ समय से राहुल गाँधी राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं और जमीनी मुद्दों को आधार बनाकर कांग्रेस के सियासी भविष्य की राह बनाने में लगे हुए हैं।

    पिछले एक महीने से भी कम समय में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी 2 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात का दौरा कर चुके हैं। गुजरात में भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदार समाज का समर्थन हासिल करके राहुल गाँधी ने सत्ताधारी भाजपा सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया है। 2014 लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पर अस्तित्व बचाने का संकट आ गया था। एक-एक कर कांग्रेस देश के सभी राज्यों की सत्ता से भी दूर होती जा रही थी। पार्टी के पुनर्गठन का जिम्मा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने कन्धों पर उठाया और वह इसमें काफी हद तक सफल होते दिख रहे हैं। राहुल गाँधी द्वारा बनाई गई रणनीति की वजह से ही आज कांग्रेस ने कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेर कर रखा है और पार्टी कार्यकर्ता हर जगह सक्रिय नजर आ रहे हैं।

    जमीनी मुद्दों को बना रहे आधार

    कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनावों में राहुल गाँधी को नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ा करने की तैयारी में है। इसीलिए पार्टी लगातार उनकी छवि चमकाने पर काम कर रही है। अपने हालिया विदेश दौरों से लौटने के बाद राहुल गाँधी लगातार जमीनी मुद्दों को आधार बनाकर भाजपा के खिलाफ सियासी जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं। राहुल गाँधी लगातार किसानों की दुर्दशा, बेरोजगारी और आर्थिक मोर्चे पर सरकार की विफलता जैसे मुद्दों को पकड़ रहे हैं और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक में इसके खिलाफ रैलियां कर चुके हैं। अपनी गुजरात यात्रा के दौरान राहुल गाँधी ने पाटीदार समाज के नेताओं से भी मुलाकात की। राहुल गाँधी ने गुजरात में छात्रों से सीधा संवाद किया और आदिवासी क्षेत्रों में जाकर लोगों से सीधी मुलाकात की।

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी
    जमीनी मुद्दों को आधार बना रहे राहुल गाँधी

    राहुल गाँधी ने अपने रवैये से स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वातानुकूलित कमरों में बैठकर राजनीति करने वाले नेताओं के दिन अब लद चुके हैं। राहुल गाँधी के साथ-साथ कई राज्यों के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जमीनी मुद्दों पर आधारित राजनीति कर रहे हैं। बीते दिनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर किसानों की बदहाली के मुद्दे पर प्रदेश की सत्ताधारी योगी सरकार के खिलाफ खुद धरने पर बैठे नजर आए थे। राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट राज्य के किसान यात्रा निकाल रहे हैं और आगामी वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने में जुटे हैं। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह हुड्डा यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर गाँवों में किसान पंचायत लगा रहे हैं और प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा सरकार के विरुद्ध माहौल बनाने की कोशिशों में जुटे हैं।

    युवाओं के कन्धों पर अहम जिम्मेदारी

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी युवाओं को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं और उनको आगे कर पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। देश की 60 फीसदी आबादी युवा है और ऐसे में युवाओं से जुड़ना बहुत जरुरी है। कांग्रेस मीडिया में अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए “स्पोकपर्सन आर्मी” तैयार करने में जुटी है। यह आर्मी कांग्रेस में मौजूद मुट्ठीभर प्रवक्ताओं की जगह लेगी। कांग्रेस इसके लिए युवाओं को मौका दे रही है जो भाजपा को कड़ी टक्कर देंगे। युवा प्रवक्ताओं की यह नई फौज कांग्रेस पार्टी का अहम हिस्सा होगी और चुनावों के लिए पार्टी की सियासी पृष्ठभूमि तैयार करेगी। देशभर से कांग्रेस की राज्य इकाईयों ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को इस बाबत सूची भेजना शुरू कर दिया है। कांग्रेस राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और बहस करने के लिए अपने क्षेत्रीय नेताओं को आगे करेगी।

    ताजातरीन मुद्दों पर नजर

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को घेरने के लिए ताजातरीन मुद्दों की सूची बना चुके हैं। उनके द्वारा चिन्हित प्रमुख मुद्दों में बेरोजगारी, किसानों की बदहाली, छोटे और मझोले उद्योगों की सुस्त पड़ती रफ्तारऔर कश्मीर में बेकाबू होते हालात हैं। अपने अमेरिका दौरे के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इन सभी मुद्दों का जिक्र किया था। अपने हालिया अमेठी और गुजरात दौरों पर भी उन्होंने सत्ताधारी भाजपा सरकार को इन्ही मुद्दों के आधार पर घेरा था। राहुल गाँधी और कांग्रेस वह मुद्दे पहचान चुके हैं जो उनको सत्ता तक पहुँचा सकते है और इसी वजह से वह लगातार मोदी सरकार को घेरने में सफल रहे हैं।

    अगर मोदी सरकार के पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल पर नजर डालें तो यह स्पष्ट दिखता है कि देश के युवा लगातार बेरोजगार होते जा रहे हैं। पूंजीपतियों का विकास हुआ है और अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार द्वारा लागू की गई जीएसटी से छोटे व्यवसायियों और व्यापारियों की कमर टूट गई है। इससे पूर्व हुई नोटबंदी की वजह से व्यापारी वर्ग के साथ-साथ आम जनता को भी काफी परेशानियां उठानी पड़ी थी। भाजपा के कई नेताओं ने आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता को लेकर बयान दिए थे। भाजपा की समर्थक आरएसएस से जुड़े कई संगठन भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से खुश नहीं है। ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी इस मौके को भुनाने में लगे हैं और लगातार इन मुद्दों पर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं।

    भाजपा के तरीकों से भाजपा पर हमला

    2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत में सोशल मीडिया का बड़ा योगदान रहा था। भाजपा नेताओं की सक्रियता और सोशल मीडिया पर चलाए गए “एंटी-कांग्रेस कैम्पेन” ने भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। उस वक्त तक शशि थरूर ही एक मात्र ऐसे कांग्रेसी नेता थे जो सोशल मीडिया पर सक्रिय थे। पर आगामी चुनावों में मद्देनजर कांग्रेस सोशल मीडिया को अपना प्रमुख हथियार बनाने की पूरी तैयारी कर चुका है। अपने हालिया गुजरात दौरे के दौरान राहुल गाँधी ने अपने ट्विटर हैंडल पर “विकास पागल हो गया” कैम्पेन चलाया था और मोदी सरकार की नीतियों पर बने मेमे को भी प्रचारित किया था। कांग्रेस अब भाजपा के विरुद्ध वही रणनीति अपना रही है जो 2014 के लोकसभा चुनावों के वक्त भाजपा ने उसके विरुद्ध अपनाई थी।

    हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे पर चुटकी लेते हुए राहुल गाँधी ने लिखा था कि “मोदीजी, जय शाह- ‘जादा’ खा गया, आप चौकीदार थे या भागीदार? कुछ तो बोलिए।” राहुल गाँधी के अलावा कांग्रेस पार्टी के अन्य सभी नेता भी सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नजर आ रहे हैं और पार्टी का सोशल मीडिया कैम्पेन पूरी तरह बदल सा गया है। कांग्रेस की डिजिटल टीम की कमान दक्षिण की अभिनेत्री दिव्या स्पंदना उर्फ राम्या संभाल रही हैं। कांग्रेस के सोशल मीडिया कैम्पेन को नै धार देने के लिए उन्होंने पेशेवरों को भर्ती की है। टीम में 85 फीसदी सदस्य युवा और पेशेवर हैं। इनकी वजह से राहुल गाँधी सोशल मीडिया सक्रिय नजर आ रहे हैं और उनकी लोकप्रियता भी लगातार बढ़ रही है।

    हिंदुत्ववादी छवि बनाने में जुटे राहुल

    कांग्रेस पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह हिंदुत्व विरोधी दल है और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करती आई है। 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने पूर्व रक्षामंत्री ए के एंटनी के नेतृत्व में हार के कारणों का पता लगाने के लिए कमेटी गठित की थी। एंटनी कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट में कांग्रेस की हिंदुत्व विरोधी छवि को भी हार के प्रमुख कारणों में से एक माना गया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पिछले कुछ समय से पार्टी की इस छवि को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वह गुजरात में अपने चुनावी दौरों पर मंदिरों में जा रहे हैं और माथे पर त्रिपुण्ड-तिलक लगाए नजर आ रहे है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलकर भाजपा को मात देने की फिराक में हैं।

    राहुल गाँधी
    हिंदुत्व के सहारे सियासी जमीन तलाश रहे हैं राहुल गाँधी

    गुजरात में सियासी जमीन बना दिल्ली फतह की तैयारी

    यूँ तो पूरे गुजरात में ही नवरात्रि की धूम रहती है पर सौराष्ट्र क्षेत्र में इस दौरान दौरान माहौल कुछ ज्यादा ही भक्तिमय होता है। गुजरात के अधिकतर मंदिर भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि नवरात्रि में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का सौराष्ट्र दौरा महज एक इत्तेफाक नहीं वरन सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। राहुल गाँधी ने अपनी सौराष्ट्र यात्रा के दौरान कई जगहों पर मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की और माथे पर त्रिपुण्ड और तिलक लगाए नजर आए। उन्होंने जनता को सम्बोधित करने के दौरान भी ऐसी वेशभूषा बनाए रखी जो उनके हिंदूवादी होने की गवाही दे। राहुल गाँधी ने सौराष्ट्र दौरे के दौरान माँ दुर्गा की पूजा की, द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की अर्चना की पर वह किसी मस्जिद क्यों नहीं गए या किसी मुस्लिम नेता से क्यों नहीं मिले, इस बात पर सब मौन हो जाते हैं।

    कांग्रेस की छवि शुरू से ही मुस्लिम हितैषी दल की रही है और इस वजह से उसे हिन्दू जनसंख्या बाहुल्य राज्यों में हाशिए पर रहना पड़ा है। हालाँकि इस छवि का लाभ भी कांग्रेस को बराबर मिलता रहा है और मुस्लिम समाज कांग्रेस का परंपरागत वोटबैंक बन गया है। लेकिन अब धीरे-धीरे मुस्लिम समाज धर्म आधारित राजनीति को छोड़कर विकास की राह पर जा रहा है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद की सिदी सैयद मस्जिद गए थे। इस बात पर बहुत बवाल मचा था और कांग्रेस समेत सभी विपक्षियों ने इसे भाजपा की तुष्टीकरण की राजनीति कहा था। राहुल गाँधी गुजरात में सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलकर दिल्ली पर निशाना साध रहे हैं क्योंकि गुजरात विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनावों की रिहर्सल ही है।

    निशाने पर रहे हैं नरेंद्र मोदी

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपने तीन दिवसीय सौराष्ट्र दौरे के दौरान गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने सौराष्ट्र दौरे के आखिरी दिन राजकोट में लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बुरी आदत यह है कि वह किसी की सुनते नहीं हैं। अगर वह लोगों की बातें सुननी शुरू कर दें तो देश की आधी समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।” राहुल गाँधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने जैसे फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी सलाह-मशविरे के लिए थे। प्रधानमंत्री के इन फैसलों का खामियाजा आज देश भुगत रहा है और देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह हिल गई है।

    नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी
    निशाने पर रहे हैं नरेंद्र मोदी

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि भाजपा और कांग्रेस की विचारधाराओं में बहुत अंतर है। भाजपा सरकार ने कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले देश के लोगों या राजनीतिक दलों की राय नहीं ली जबकि कांग्रेस सरकार ने हमेशा ही किसी भी बड़ी योजना को लागू करने से पहले देश की जनता का विचार जाना। उन्होंने कहा कि भाजपा में सिर्फ अच्छे वक्ता है पर कांग्रेस में अच्छे श्रोता हैं। इसी वजह से कांग्रेस देश की जनता से जुड़ पाई थी और उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई भी कदम उठाती थी। हालिया अमेठी दौरे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने भाषणों से ना केवल योगी सरकार पर हमला बोला बल्कि केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को भी आड़े हाथों लिया। राहुल गाँधी का यह हमलावर रुख उनके मिशन-2019 की बानगी पेश करता है।

    मोदी के गृह राज्य से मिशन-2019 का आगाज

    गुजरात में पिछले 2 दशकों से भाजपा का शासन है और इस वजह से इसे भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है। बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता चरम तक पहुँच गई और उन्होंने गुजरात का विकास भी किया। उनके शासनकाल में गुजरात देश का सबसे समृद्ध राज्य बन गया था। पर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में भाजपा की लोकप्रियता में कमी देखने को मिली है। गुजरात में भाजपा के लोकप्रियता की अहम कड़ी रही नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी अब दिल्ली जा चुकी है और गुजरात भाजपा किसी सशक्त चेहरे की कमी से जूझ रही है। ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं और भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों का समर्थन पाने में सफल रहे हैं।

    गुजरात राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल को मिली जीत ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया था और राहुल गाँधी अपनी यात्राओं से राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने में लगे हुए हैं। हिंदुत्व के मुद्दे को आधार बनाकर भाजपा गुजरात की सत्ता में आई थी और 2 दशकों से काबिज है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी कांग्रेस को सत्ता तक पहुँचने के लिए अब उसी हिंदुत्व का सहारा ले रहे हैं। राहुल गाँधी को अच्छी तरह खबर है कि भाजपा को उसके गढ़ में मात देना कितना मुश्किल है पर अगर वह भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों और अन्य जातियों को अपनी ओर मिला लें तो यह संभव हो सकता है। गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मिशन-2019 का आगाज है और राहुल गाँधी आगाज जीत के साथ करने में जुटे हुए हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।