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    योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव

    उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित हुए भाजपा सरकार के कार्यकाल को 6 महीने पूरे हो गए हैं। कार्यकाल के 6 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितताओं की सारणी को प्रदेश की जनता के सामने रखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानपरिषद की सदस्यता लेने के बाद आयोजित एक कार्यक्रम में श्वेत पत्र जारी किया। उन्होंने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार ने प्रदेश में विकास कार्य नहीं बल्कि कारनामे किए हैं।

    योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश की जनता को हक है कि वो पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए कामों की समीक्षा करे और असलियत जाने। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्वेत पत्र का लाया जाना जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही का उदाहरण है। उन्होंने अखिलेश यादव के कार्यकाल को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश की सार्वजनिक संस्थाओं पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ा है। उत्तर प्रदेश में स्थित पीएसयू लगातार बंद हो रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछली सरकारों की उदासीनता की वजह से आज प्रदेश के अधिकतर पीएसयू बंद हो चुके हैं। जो इक्का-दुक्का पीएसयू बचे हैं उनकी हालत भी खस्ताहाल है। कर्ज के बोझ में दबे होने के कारण उनका निजीकरण किया जा रहा है।

    योगी आदित्यनाथ ने श्वेत पत्र में जारी आंकड़ों को पढ़ते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा बढ़कर 91,000 करोड़ रूपये तक पहुँच चुका है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों की आर्थिक नीतियों ने आज प्रदेश को इस हालत में पहुँचा दिया है कि देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के बाद भी आज हमारे युवा राज्य से लगातार पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि अखिलेश सरकार की नीतियां जन विरोधी थी और सरकार भ्रष्ट और गैर जिम्मेदार थी। सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास को रोका और भर्ष्टाचार के दलदल में धकेल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुई सारी नियुक्तियों पर रोक लगा चुकी है और उनकी सीबीआई जाँच कराएगी। जल्द ही सरकार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।