रविवार, 9 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में 9 नए चेहरों को जगह दी गई है। यह पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार का तीसरा मन्त्रिमण्डल विस्तार है। मन्त्रिमण्डल के 4 मौजूदा मंत्रियों निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और मुख़्तार अब्बास नकवी को पदोन्नति देकर कैबिनेट में शामिल किया गया है। वहीं सुरेश प्रभु, उमा भारती और विजय गोयल को पदावनत किया गया है। मन्त्रिमण्डल की फेरबदल में कुल 32 मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदले गए हैं। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में एनडीए के किसी भी सहयोगी दाल को शामिल नहीं किया गया है। सभी 9 नए चेहरे भाजपा के ही हैं।
निर्मला सीतारमण बनी रक्षा मंत्री
आखिरकार देश को एक पूर्णकालिक रक्षा मंत्री मिल ही गया। अभी तक वाणिज्य मंत्रालय का कार्यभार देख रही निर्मला सीतारमण को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है। वह पहली महिला है जो पूर्णकालिक तौर पर इस पद की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनसे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली रक्षा मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे थे। निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री हैं। उनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 1975 और 1980-82 तक रक्षा मंत्रालय अपने पास रखा था। अब मोदी कैबिनेट में दो महिलाएं अहम पदों पर काबिज हैं। सुषमा स्वराज 2014 से ही विदेश मंत्री के पद पर आसीन है।
पीयूष गोयल के हाथ में रेलवे की कमान
अभी तक ऊर्जा और कोयला मंत्रालय का कार्यभार देख रहे पीयूष गोयल को रेलवे मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। पिछले कुछ दिनों में लगातार बढ़ रहे रेल हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु विपक्ष के निशाने पर आ गए थे और उन्होंने नैतिकता के आधार पर रेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पीयूष गोयल का पिछले 3 वर्षों में बतौर ऊर्जा मंत्री कार्यकाल सराहनीय रहा है और उन्हें कोयला और बिजली क्षेत्रों में लागू हुए सुधारों का श्रेय दिया जाता है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के अनुसार देश के 13,685 गाँवों के विद्युतीकरण का काम 20 जून, 2017 तक पूरा हो चुका था और 2018 तक शेष 4,141 गाँवों का विद्युतीकरण कर लिया जाएगा। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको रेलवे की जिम्मेदारी सौंपकर भरोसा जताया है। पीयूष गोयल का मुख्य लक्ष्य रेलवे दुर्घटनाओं पर लगाम लगाना होगा।
बेरोजगारी दूर करेंगे धर्मेंद्र प्रधान
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कामकाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुश थे। ऐसे में उनकी पदोन्नति तय मानी जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ-साथ कौशल विकास और उद्यमिता की भी जिम्मेदारी सौंपी है। यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पसंदीदा मंत्रालयों में से एक हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने अपने कार्यकाल में सब्सिडी को सीधे खाते में हस्तांतरित करने की पहल शुरू की थी जिसकी वजह से फर्जी कनेक्शनों को रोकने का काम चला और सरकार ने 21,000 करोड़ रूपये बचाए। धर्मेंद्र प्रधान की पहल पर शुरू हुई उज्ज्वला योजना मोदी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक रही है।
गडकरी के कन्धों पर गंगा सफाई की जिम्मेदारी
भूतल परिवहन मंत्री, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के पिछले 3 वर्षों के कामकाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अत्यंत खुश थे। उनके कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों में तेजी से सड़कों का विकास और सड़क दुर्घटनाओं में कमी है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गंगा सफाई का जिम्मा भी सौंपा है। नरेंद्र मोदी ने 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान गंगा की सफाई का मुद्दा जोरों से उठाया था और सत्ता में आने के बाद गंगा सफाई के लिए एक अलग मंत्रालय भी बनाया था। उमा भारती को गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके कार्यों से खुश नहीं थे। पिछले 3 वर्षों में गंगा की सफाई पर नाम मात्र ही कार्य हुए थे। ऐसे में नितिन गडकरी के मजबूत कन्धों पर अब गंगा की सफाई की जिम्मेदारी भी होगी।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बने नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी भाजपा का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं। वह अभी तक अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री और उन्हें प्रमोट कर अब अल्पसंख्यक मामलों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। उनसे पूर्व डॉ. नजमा हेपतुल्ला अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार देखती थी। 75 की उम्र पार करने के बाद वह मोदी मन्त्रिमण्डल से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। मुख्तार अब्बास नकवी शिया मुसलमान हैं और उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से आते हैं। वह आपातकाल के दौर में जेल जा चुके हैं और अयोध्या से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
इनको मिला अतिरिक्त प्रभार
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को अतिरिक्त तौर पर खेल मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का जिम्मा सौंपा गया है। उनके अतिरिक्त स्मृति ईरानी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रभार मिला है वहीं डॉ. हर्षवर्धन को पर्यावरण मंत्रालय का प्रभार मिला है। गिरिराज सिंह को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला है। नरेंद्र सिंह तोमर को पंचायती राज के साथ-साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रभार भी मिला है।
इन्हें हुआ घाटा
हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं के बाद नैतिकता के आधार पर अपने इस्तीफे की पेशकश करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु को रेल मंत्रालय से हटाकर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कार्यभार मिला है। इस मंत्रालय का कार्यभार पहले निर्मला सीतारमण संभाल रही थी। सुरेश प्रभु मोदी सरकार के सबसे सफल और लोकप्रिय मंत्रियों में रहे हैं और अगर हालिया रेल दुर्घटनाओं को छोड़ दें तो उनका काम सराहनीय रहा है। माना जा रहा था कि उनकी मोदी मन्त्रिमण्डल से छुट्टी हो सकती है पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके प्रभावी कार्यकाल के आधार पर उन्हें एक और मौका दिया है।
मन्त्रिमण्डल फेरबदल में उमा भारती को भी नुकसान हुआ है। उनसे जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय का कार्यभार छिन गया है। उनकी जगह नितिन गडकरी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। उमा भारती को पेयजल और सैनिटेशन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा की सफाई को लेकर उमा भारती से खुश नहीं थे। गंगा सफाई के लिए आवंटित माध को भी उमा भारती का मंत्रालय खर्च नहीं कर पा रहा था और उमा भारती 2018 तक गंगा सफाई के पहले चरण का काम पूरा होने का दावा कर रही थी। सरकार के इस फैसले से उमा भारती नाराज बताई जा रही हैं और वह शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लेने नहीं आई।
उत्तर प्रदेश में शक्ति संतुलन
उत्तर प्रदेश से 2 नए चेहरों को मोदी मन्त्रिमण्डल में जगह मिली। पूर्वी उत्तर प्रदेश से दिग्गज भाजपाई ब्राह्मण नेता शिव प्रताप शुक्ल को मन्त्रिमण्डल में जगह मिली वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से राजनीति में नए और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह को मंत्री बनाया गया। शिव प्रताप शुक्ल गोरखपुर से आते हैं और उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी पुरानी प्रतिद्वंदिता रही है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से प्रदेश के ब्राह्मण खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। गोरखपुर में ही प्रदेश की राजनीति के बड़े ब्राह्मण चेहरे हरिशंकर तिवारी के घर पर पुलिस ने छापेमारी की थी और रायबरेली में ब्राह्मणों की हत्या कर दी गई थी।
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ब्राह्मण नेता कलराज मिश्र 75 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं और उनकी मोदी मन्त्रिमण्डल से विदाई हो चुकी है। उनकी जगह को भरने के लिए भाजपा उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को आगे कर रही है। भाजपा के वोटों का मुख्य आधार सवर्ण वोट हैं। उत्तर प्रदेश में सवर्णों के कुल 22 फ़ीसदी वोट हैं जिनमें से 12 फ़ीसदी वोट ब्राह्मणों के हैं। ऐसे में भाजपा प्रदेश के ब्राह्मणों को नाराज कर किसी भी तरह का खतरा नहीं मोल लेना चाहेगी। राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल को मन्त्रिमण्डल में शामिल कर आलाकमान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी कड़ा सन्देश दिया है।