विषय-सूचि
बाइनरी तारे क्या हैं (Definition of Binary Stars in Hindi)
बाइनरी तारे वे तारे हैं वे एक दूसरे के इर्दगिर्द के घुमते हुए पाए जाते हैं। ये दो तारे गुरुत्वाकर्षण बल के आधार पर एक दूसरे के साथ टिके रहते हैं। ये सितारे केप्लर के गति नियम का पालन करते हैं। खुली आँखों से देखने पर वे एक बिंदु के रूप में नजर आते हैं।
रात के समय आसमान में जब आप बहुत सारे तारे देखते हो, उनमे से लगभग तीन चौथाई तारे असल में बाइनरी सितारे हैं। ये सभी एक प्रकार से श्रेणीबद्ध है जिसके द्वारा वैज्ञानिक इन तारों की स्थिति एवं अन्य जानकारी जुटा पाते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि सूर्य भी इस बाइनरी पद्धति का हिस्सा है एवं किसी अदृश्य सितारे कि परिक्रमा कर रहा है जोकि हमारे सौरमंडल से बहुत दूर है।
खोज एवं उद्भव (Discovery & Evolution of Binary Stars in Hindi)
- पहले बाइनरी तारों कि खोज सन्न 1616 में गैलीलियो ने की थी। अपने टेलिस्कोप की द्वारा जब वे एक तारे को निहार रहे थे, तो उन्होंने एक साथ दो तारों को इर्द गिर्द घुमते हुए पाया।
- साल 1802 तक विलियम हर्शेल नामक वैज्ञानिक ने ऐसे 700 जोड़ी तारों की सूचि बना ली थी। उन्होंने ही सबसे पहले इन जोड़ी तारों की लिए बाइनरी स्टार शब्द का उपयोग किया।
- सितारे आकाशगंगा में चारों तरफ घुमते रहते हैं। कभी कभी एक बहुत बड़े एवं भारी तारे की गुरुत्वाकर्षण की कारण एक छोटा तारा उसके तरफ खिंचा चला जाता है एवं उसकी परिक्रमा करना शुरू कर देता है। इसके कारण एक नए बाइनरी सितारों की जोड़ी तैयार हो जाते हैं। यह बाइनरी सितारों की बनने का एक तरीका है।
- दूसरे तरीके के अंतर्गत गैस एवं धूल के मिश्रण जोकि बहुत भारी रहते हैं, दुर्घटनाग्रस्त होकर इधर उधर फैलने लगते हैं तब भी दो तारे बन जाते हैं एवं एक दूसरे की परिक्रमा करने लगते हैं, तब भी बाइनरी सितारों का निर्माण हो जाते हैं। इस प्रकार इन दो तारों का उद्भव जारी रहता हैं।
बाइनरी तारों की जानकारी (binary star hypothesis in hindi)
- एक जोड़े की रूप में बाइनरी सितारे किस प्रकार उद्भवित होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन दिनों की बीच कि दूरी कितनी है। अगर दूरी बहुत ज्यादा है, तो उद्भव पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अगर दूरी कम है तो भार के हिसाब से एक दूसरे के रचना पर तारे असर करते रहते हैं।
- सुपरनोवा के अंतर्गत अगर एक तारा आतंरिक वजहों के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो बाइनरी जोड़ों का दूसरा तारा भी नष्ट हो जाता है। अगर बच गया तो दोनों तारे परिक्रमा जारी रखते हैं।
- बाइनरी सितारों की बीच कि दूरी एवं खिंचाव के आधार पर वैज्ञानिक सितारों की लगभग सही भार पता करने में सफल रहे हैं।
- इसके अलावा तारों का वृत्त, तापमान, सतह की जानकारी आदि चीजों का भी पता चल सका है।
- इनमे से कई तारे ऐसे हैं जिनके चारों ओर ग्रह घुमते हुए मिले हैं।
- सूर्य की बाद पृथ्वी की सबसे नजदीक जो तारा है, जिसे अल्फा सेंचुरी नाम दिया गया है वह बाइनरी जोड़े में है जिनको अल्फा सेंचुरी A एवं अल्फा सेंचुरी B।
- एक और तारा अप्रोक्सिमा सेंचुरी नाम का है, वह भी बाइनरी जोड़े में हैं।
आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।
Kya binary taare bhi. Earth or moon ki tarah centrifugal force ki vajah se ek doosre ke around ghoomte hain?
haan
Binary taare ki khoj kisne or kab ki thi ? Hum raat ko sky me binary yaaron ko kaise pehchaan sakte Hain?