उत्तर प्रदेश में चुनाव (UP Elections) के ठीक पहले बीजेपी (BJP) के सामने कई राजनैतिक चुनौतियां थीं। किसान आंदोलन, कोरोना महामारी के दौरान अव्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा आदि कई वजह (Factors) थीं जिन्हें लेकर विपक्ष लगातार हमलावर थी। लेकिन इन सब के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने एकतरफा जीत दर्ज की।
आख़िर क्या हैं वो 5 वजह (Factors) जिसके चलते तमाम विषमताओं के बीच भी बीजेपी (BJP) को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ, आइए जानें….
1. योगी-मोदी का साथ (Yogi-Modi Factor)
बीजेपी ने पिछले चुनाव (Elections) यानि 2017 में मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा था और जबरदस्त बहुमत से सरकार बनाई थी।
इस बार स्थिति थोड़ी अलग थी। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 5 साल सरकार चलाकर इसबार चुनाव में जाने वाली पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि क्या योगी सरकार वापिस सत्ता में आ पाएगी?
पुराने रिकॉर्ड भी इस बात के खिलाफ थे कि 1985 के बाद से कोई भी पार्टी उत्तर प्रदेश में सरकार में दुबारे चुनकर नहीं आयी है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस बार हर किंतु-परंतु को दरकिनार करते हुए बड़ी आसानी से बहुमत का आँकड़ा पार कर लिया।
सुशासन, सुरक्षा और राष्ट्रवाद को समर्पित आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के हृदयस्पर्शी मार्गदर्शन में उ.प्र. में भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक विजय सुनिश्चित हुई है।
यह प्रचंड बहुमत प्रधानमंत्री जी की लोक कल्याणकारी नीतियों पर आमजन के अटूट विश्वास की मुहर है।
जय श्री राम! pic.twitter.com/OdUWZTPmjn
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 10, 2022
2. शहरों में प्रशासन और गाँव मे राशन
योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल लॉ एंड आर्डर के लिहाज से अच्छा माना जा सकता है। खासकर शहरी निकायों में लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर औसतन लोग संतुष्ट थे।
कोरोना महामारी में जब देशव्यापी लॉक डाउन लगाया गया, उसके बाद सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हुई थी। इस दौर में इस तबके के लोगों को मुफ़्त राशन देने की व्यवस्था केंद्र की मोदी सरकार द्वारा की गई।
शहरों में दुरुस्त प्रशासन और गाँव मे लोगो को उपलब्ध करवाए गए राशन ने योगी सरकार की वापसी आसान कर दी। यद्यपि कि उत्तर प्रदेश से कोरोना महामारी के दौरान मिसमैनेजमेंट और गंगा में तैरती लाश की तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, तथापि चुनाव परिणाम में इस बात का असर नहीं दिख रहा।
3. सोशल इंजीनियरिंग और प्रत्याशी-चयन
जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के फ़ीडबैक और सर्वे के आधार पर शीर्ष नेतृत्व की सोशल इंजीनियरिंग भी इस बहुमत के पीछे एक बड़ी वजह बनी। जाति-गत समीकरणों और पुराने MLAs के परफॉर्मेंस रिकॉर्ड के आधार पर प्रत्याशी उतारे गए जिस पर शीर्ष नेतृत्व जैसे अमित शाह, जे पी नड्डा और राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञों ने लगातार नज़र बनाये रखी।
4. विपक्ष में एकजुटता की कमी
आज के दौर में कोई भी पार्टी बीजेपी को अकेले दम पर हरा दे, यह इतना आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश चुनाव में विपक्ष के 3 खिलाड़ी सपा, बसपा और कांग्रेस ने अलग अलग चुनाव लड़कर बीजेपी (BJP) की राह आसान कर दी। ज्यादातर सीटो पर इन तीनों पार्टियों ने एक दूसरे का वोट काटा जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला।
5. हिंदुत्व की राजनीति
आरएसएस और बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं द्वारा योगी आदित्यनाथ को हिन्दू-हृदय सम्राट बनाने में कोई कसर पहले ही नहीं छोड़ी थी; सोने पर सुहागा यह कि राम मंदिर का निर्माण कार्य भी इसी कार्यकाल में शुरू हुआ।
चूँकि बीजेपी का जमीनी कैडर इतना मजबूत है कि इन मुद्दों को जनता तक बड़ी आसानी से पहुंचाई जा सकती थी और बीजेपी इसमें कामयाब रही।
इन 5 बड़ी वजह(Factors) के अलावे योगी आदित्यनाथ का 5 साल का परफॉर्मेंस, केंद्र की मोदी सरकार की लोकप्रियता, बूथ लेवल मैनेजमेंट जैसी अन्य वजह भी अहम रही जिसके कारण बीजेपी (BJP) निर्विवादित तौर पर दूसरी बार UP में सरकार बनाने जा रही है।