चीन के कस्टम अधिकारीयों ने तीन लाख और नक्शों को नष्ट करने के आदेश दिए थे क्योंकि उसमे ताइवान और अरुणाचल प्रदेश को चीन के क्षेत्र का भाग नहीं प्रदर्शित कर रखा था। मीडिया की खबरों के मुताबिक इन नक्शों को नीदरलैंड में निर्यात करने के प्रयास करने वालो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।
पिछले महीने चीन के अधिकारीयों ने 30000 वैश्विक प्रिंटेड नक्शों को नष्ट करने का आदेश दिया था। इसमें भारत के साथ सीमा को गलत तरीके दिखाया गया था और ताइवान को एक अलग देश के रूप में प्रदर्शित किया गया था। भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में बसे अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत का भाग मानता है। चीन भारतीय नेताओं की उस स्थान पर आवाजाही के खिलाफ विरोध व्यक्त करता है।
भारत के मुताबिक “अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न और अपरिहार्य भाग है और भारतीय नेता समय-समय पर वहां की यात्रा करते रहेंगे, जैसे वे देश के अन्य भागो की यात्रा करते रहेंगे।”
भारत और चीन ने सीमा विवाद का समाधान करने 21 चरणों की बैठक की थी। चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश की 3488 किलोमीटर की सीमा जुड़ी हुई है। ताइवान के द्वीप पर भी चीन अपने अधिकार का दावा करता है।
ग्लोबल टाइम्स की मंगलवार की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी चीन के ग्वांगडोंग प्रान्त के कस्टम अधिकारीयों ने तीन लाख से अधिक नक्शों को नष्ट कर दिया था। इसमें भारत के साथ सीमा को गलत तरीके दिखाया गया था और ताइवान को एक अलग देश के रूप में प्रदर्शित किया गया था।
कस्टम के प्रेस ऑफिस के कर्मचारी वांग ने कहा कि “चीन के ग्वांगडोंग प्रान्त के वेंजिंदो बंदरगाह के कस्टम ब्यूरो ने 264983 अंग्रेजी में प्रिंटेड गलत नक्शों को जब्त कर लिया था, इन्हे नीदरलैंड में निर्यात किया जा रहा था।”
चीन के ग्वांगडोंग में स्थित डोंगगुआन कंपनी में इस नक्शों को प्रिंट किया गया था। कंपनी ने कुल 306057 नक़्शे निर्मित किया थे और सभी को नष्ट कर दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि “वह नक़्शे चीन की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरे हैं और उन सभी को जल्द नष्ट कर दिया जायेगा।”