संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर चीन ने तकनीकी आधार पर भले ही रोक लगा दी हो लेकिन जैश ए मोहम्मद के सरगना को प्रतिबंधित करने के कूटनीतिक प्रयास अभी भी जारी है।
रायटर्स के मुताबिक, 15 सदस्यीय परिषद् में फ्रांस और ब्रिटेन की मदद से तैयार मसौदे को अमेरिका रखेगा जिसके तहत मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध लगाए जायेंगे। जेईएम की सरगना पर इस मसौदे के तहत यात्रा प्रतिबन्ध लगेगा और उसकी साड़ी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
समिति के 15 में से 14 सदस्य मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध लगाने के पक्ष में हैं। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का हालिया प्रस्ताव मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध का शिकंजा कस सकता है, इसे आम सहमति की जरुरत नहीं होगी। इसे सिर्फ 15 में से 9 सदस्यों के मत की जरुरत है।
कानून के मुताबिक अगर कोई प्रस्ताव पहले ही यूएन में प्रस्तावित हो तो उसे आम सहमति की जरुरत नहीं होती है लेकिन नौ सदस्यों का मत जरूर चाहिए होता है।
इस प्रस्ताव के पारित हो जाने से मसूद अज़हर को काफी नुकसान हो सकता है और यह भारत की एक कूटनीतिक जीत हो सकती है।
चीन ने हाल ही में कहा था कि “वह मसूद अज़हर पर भारत की चिंता को समझते हैं और यह मसला जल्द ही हल हो जायेगा।” 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद के सरगना ने ली थी। इससे सम्बंधित पुख्ता सबूत भारत ने पाकिस्तान को सौंप दिए थे लेकिन पाकिस्तान अभी और सबूतों की मांग कर रहा है।
चीन नें दी चेतावनी
चीन नें अमेरिका के इस कदम पर प्रतिर्किया देते हुए कहा है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के नियमों के विरुद्ध जाकर किसी व्यक्ति के विरुद्ध आतंकवादी कानून नहीं ला सकता है। चीन नें कहा है कि अमेरिका इस मसले को सुलझाने के बजाय इसे और उलझा रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग नें बताया, “यह कदम शान्ति और समझौते के तहत नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति के नियमों के विरुद्ध है और यदि ऐसा होता है तो यह मसला और जटिल हो जाएगा। हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वे सोच-समझकर कोई कदम उठाये और जल्दबाजी करने से बचें।”
चीनी प्रवक्ता नें आगे कहा कि चीन इस मसले पर ‘गहनता’ से जांच का रहा है और चीन को इसपर फैसला लेने के लिए अभी और समय चाहिए।
जाहिर है चीन पिछले कई सालों से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में मना करता आ रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ नें चीन की इस प्रतिर्किया का पलटवार करते हुए चीन पर कई आरोप लगाये हैं। अमेरिकी मंत्री नें कहा है कि चीन अपने देश में मुस्लिमों पर अत्याचार करता है और आतंकवादियों को बचाता है।