आन्ध्रप्रदेश और तेलगांना दो राज्यों की राजधानी हैदराबाद शहर किसी भी मामलें में दिल्ली और मुंबई से कम नही है। हैदराबाद शहर को मुंबई के बाद देश की दूसरी वित्तीय राजधानी के रूप में जाना जाता है। हैदराबाद शहर का नाम भी अमीरों के रहने और जन्म देने वाले शहरों की सूची में शामिल है।
पिछले कुछ सालों में हैदराबाद देश का नया आईटी शहर बनके उभरा है। इस शहर में हर रोज नए व्यापार जन्म ले रहे हैं।
इस लेख के जरिये हम हैदराबाद शहर के सबसे अमीर व्यक्तियों के बारे में चर्चा करेंगे।
मधुसूदन राव
कुल संपत्ति – 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर (15 हजार करोड़ रूपए)
अरबपतियों में शुमार मधुसूदन राव का जन्म 1966 में आंध्र प्रदेश में एक छोटे से गांव में हुआ था। मधुसूदन राव ने वी. आर. सिद्धार्थ इंजीनियरिंग कॉलेज, विजयवाड़ा से बीई, और पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर से डिजाइन इंजीनियरिंग में एमई पूरा किया। राव बाद में वेन स्टेट यूनिवर्सिटी, डेट्रायट,अमेरिका से औद्योगिक इंजीनियरिंग में एम.एस की डिग्री हासिल करने के लिए गए।
इसके बाद, मधुसूदन राव ने संयुक्त राज्य में वाग्नर कॉरपोरेशन में क्वालिटी मैनेजमेंट के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया। मधुसूदन राव आंध्र प्रदेश के तिरुपति के निकट लैंको इंडस्ट्रीज लिमिटेड़ के निर्माण टीम में शामिल हुए। राव 1992 में कंपनी के प्रबंध निदेशक बने और 2002 में लैंको इन्फ्राटेक लिमिटेड़ के कार्यकारी अध्यक्ष बने। राव के नेतृत्व में, लैंको इंफ्राटेक भारत के सबसे तेजी से बढ़ते व्यापारिक संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक मधुसूदन राव भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में 29वे स्थान पर हैं। मधुसूदन राव भारतीय व्यापार उद्योग में अपने बेहतरीन योगदान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं और देश में सबसे तेजी से बढ़ते व्यापार मालिकों में से एक के रूप में जाने जाते है।
मुरली देवी
कुल संपत्ति – 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (14 हजार करोड़ रूपए)
मुरली देवी एक अरबपति और बेहतरीन भारतीय व्यापार उधोगपति है, जो भारतीय दवा कंपनी दिवी लैबोरेटरीज के संस्थापक हैं। दिवी लैबोरेटरीज दुनिया में दवाओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। मुरली ने भारत और विदेशों में कई अन्य फार्मा कंपनियों के साथ मिलकर काम किया है।
मुरली देवी का फार्मा उद्योग में एक प्रसिद्ध चेहरा है और फार्मा एंड मेडिसिन की दुनिया में उनके बहुत योगदान के लिए कई बार सम्मानित भी किया गया है। अपनी मेहनत के दम पर मुरली ने फार्मा उधोग से अरबों में सम्पत्ति बनाई है।
कल्लम अंजी रेड्डी
कुल संपत्ति – 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर
व्यापार जगत में रेड्डी नाम अपने आप में खास है। कल्लम अंजी रेड्डी का जन्म फरवरी 1939 में हुआ था। कल्लम अंजी रेड्डी ने अन्नपोटण बोल्ड हाईस्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। रेड्डी ने 1958 में गुंटूर के ए.सी. कॉलेज से अपनी पहली बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय के रासायनिक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विभाग के फार्मास्यूटिकल और फाइन केमिकल में बीएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद रेड्डी ने राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला से रसायन इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री ली। पढ़ाई के साथ- साथ उनका दिमाग अपने क्षेत्र से सम्बन्धित व्यापार करने में भी रहा।
अंजी रेड्डी ने 1984 में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की स्थापना की थी। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, भारतीय फार्मा की दुनिया में सबसे बड़ा नाम है ,और डॉ रेड्डी फाउंडेशन के प्रमुख के तहत चलती हैं। के. अंजी रेड्डी के काम को सभी स्तरों पर जाना पहचाना जाता है और इसकी सराहना की जाती है। भारत सरकार द्वारा उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने उनको 2001 में पद्म श्री से सम्मानित किया था। मार्च 2013 में हैदराबाद में कल्लम अंजी रेड्डी की कैंसर से मृत्यु हो गई।
जी वी कृष्णा रेड्डी
कुल संपत्ति – 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर (9 हजार करोड़ रूपए)
जी.वी. कृष्णा रेड्डी का पूरा नाम गौणुपाती वेंकट कृष्णा रेड्डी है। हैदराबाद में आधारभूत ढांचा निगम जी.वी.के कंपनी के संस्थापक और निदेशक हैं। जी.वी कंपनी के पास ऊर्जा, हवाई अड्डों, संसाधनों, परिवहन आदि जैसे क्षेत्रों में बिजनेस फैला हुआ है। जी.वी. कृष्णा रेड्डी आंध्र प्रदेश में भारत का पहला स्वतंत्र बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए जाने जाते है।
जी.वी ने जेएनयू से स्नातक किया और अपने कॉलेज के दिनों से ही इस बुनियादी ढांचे में गहरी रूचि दिखाई। वें पिछले तीन दशकों में देश भर में विभिन्न बांधों, राजमार्गों, हवाई अड्डों, सड़कों, नहरों के निर्माण के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की है। जी.वी को अपने जीवनकाल में कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिसमें भारत सरकार द्वारा 2011 में पद्म भूषण भी शामिल है।
ग्रांधी मल्लिकार्जुन राव
कुल संपत्ति – 1 अरब अमेरिकी डॉलर (6500 करोड़ रूपए)
जी. राव का पूरा नाम ग्रांधी मल्लिकार्जुन राव है। मल्लिकार्जुन एक उद्योगपति, इंजीनियर और जी.एम.आर समूह के संस्थापक भी हैं। जी.एम.आर समूह वर्तमान में 9 से अधिक देशों में संचालन के साथ-साथ एक विश्व स्तर पर ढांचा डेवलपर है। राव ने पहले अपना कारोबार शुरू किया और बाद में जी.एम.आर समूह की स्थापना की। मल्लिकार्जुन ने इससे पहले भी कई व्यवसायों का नेतृत्व किया।
जी.राव एक बड़े उधोगपति के साथ-साथ धार्मिक कामों और अन्य कई सामाजिक कार्यों में बहुत सक्रिय रहें हैं। अभी राव 22 से अधिक स्थानों में समाज के कई गरीब वर्गों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने 2012 में विभिन्न धर्मार्थ परियोजनाओं के लिए 1500 करोड़ रूपए का दान दिया। राव को 2007 में साल के सबसे अच्छे और बेहतरीन उधोगपति के लिए पुरस्कार मिला।
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