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    मुख्य कार्यकारी अधिकारी

    हांगकांग में प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर दशकों में सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ था और मंगलवार को नेता ने कहा कि “यह विधेयक अब खत्म हो चुका है।” इसके तहत हांगकांग के नागरिकों को सुनवाई के लिए मुख्यभूमि चीन भेजे जाने की अनुमति थी। चीन के न्यायिक तंत्र पर हुक्मरान साम्यवादी सरकार का नियंत्रण है।

    इस विधेयक के कारण ब्रिटेन की पूर्व कॉलोनी में हिंसक और अराजक माहौल उत्पन्न हो गया था और हजारो नागरिकों का हुजूम सड़को पर उतरा था। जून के मध्य में हांगकांग की नेता कैर्री लाम ने कहा था कि इस बिल को निलंबित कर दिया था लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन जारी रहा था।

    उनकी हालिया कोशिश प्रदर्शनकारियों को संतुष्ट करती नजर नहीं आ रही है जो इस बिल को पूर्ण रूप से रद्द करने की मांग कर रहे हैं और नेता पर शब्दों का खेल खेलने का आरोप लगाया है।

    लाम ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि “सरकार की संजीदगी और परेशानियों के बाबत अभी भी संदेह बरक़रार है कि सरकार इस प्रक्रिया को संसद में दोबारा शुरू कर दे। इसलिए मैं दोहराती हूँ कि ऐसा कोई प्लान नहीं है।” इस बिल ने अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान भी आकर्षित किया था।

    वकीलों और दक्षिण पंथी समूहों ने कहा कि “चीन का न्यायिक तंत्र की पहचान प्रताड़ना, जबरन इकरार और बंदी बनाकर रखना है।” हालाँकि बीजिंग ने इससे इनकार किया है।

    हांगकांग में चीनी यूनिवर्सिटी के के छात्र संघ के जनरल ऑफिसर वाई लाम विलियम ने कहा कि “हम क्या चाहता है कि यह बिल पूरी तरह से रद्द कर दिया जाए। वह हमारे साथ शब्दों का खेल खेल रही हैं।” प्रदर्शनकारियों ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के इस्तीफे की भी मांग की है।

    प्रदर्शनकारियों की मांग के बाबत लाम से पूछने पर उन्होंने कहा कि “मुख्य कार्यकारी अधिकारी के लिए इस्तीफा देना इतना आसान नहीं है और मुझमे अभी जूनून है और हांगकांग के नागरिकों की सेवा करुँगी। मुझे उम्मीद है कि हांगकांग का समाज मुझे और मेरी टीम को एक अवसर देगा कि हम अपने शासन के तरीके से लोगो की अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर को लेकर मांगो को पूरा कर सके।”

    एक लोकतंत्र समर्थक सांसद फ़र्नांडो चेउंग ने लाम की प्रतिक्रिया को अपर्याप्त बताया है। अगर वह एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन नहीं करती तो यह न सिर्फ बिल का बल्कि उनके प्रशासन का अंत होगा। नागरिक मानव अधिकार कार्यकर्ता जिमी शाम ने कहा कि लाम को प्रदर्शनकारियों से मिलना चाहिए और शब्दो से जनता को धोखा देना बंद करना चाहिए।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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