सोमवार, 25 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर हर घर को रोशन करने और गरीबों को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने के लिए सौभाग्य योजना की शुरुआत की। इस योजना का पूरा नाम “प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना” है। इस योजना के तहत देश के हर घर में 31 मार्च, 2019 तक बिजली पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्य रूप से इस योजना का फायदा गरीब तबके के लोगों को मिलेगा जो आर्थिक कठिनाइयों के चलते अब तक बिजली कनेक्शन नहीं ले पाए थे। ऊर्जा मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी भी 4,05,30,031 घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है। 31 मार्च, 2019 तक देश के हर घर को रोशन करने के लिए सरकार को हर रोज 73,424 नए कनेक्शन देने पड़ेंगे। इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सरकार के पास सिर्फ 552 दिन का समय बचा है।
सौभाग्य योजना पर एक नजर
सौभाग्य योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत 600 करोड़ की लागत से नवनिर्मित ऊर्जा भवन से की। इस ऊर्जा भवन का नाम दीनदयाल ऊर्जा भवन रखा गया और प्रधानमंत्री ने 25 सितम्बर को ही इसका लोकार्पण किया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस ऊर्जा भवन का नाम राजीव गाँधी के नाम पर रखा था जिसे बदल कर भाजपा ने अपने युगपुरुष का नाम दिया। सौभाग्य योजना के तहत 31 मार्च, 2019 तक देश के हर घर को रोशन करने की बात की जा रही है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने दावा किया है कि इस लक्ष्य को 31 दिसंबर, 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस लिहाज से सरकार को प्रतिदिन 87,727 नए कनेक्शन देने होंगे। इस योजना के तहत उन 18,000 गाँवों को भी जोड़ा गया है जिनमें 2018 तक बिजली पहुँचने का लक्ष्य था। इन सभी गाँवों तक बिजली पहुँचाने के लिए निर्धारित डेडलाइन को भी बदल कर दिसंबर, 2017 कर दिया गया है।
योजना की लागत और फंडिंग
सौभाग्य योजना की कुल लागत 16,320 करोड़ रुपए है। इस योजना में केंद्र की भागीदारी 60 फीसदी की होगी। विशेष श्रेणी के तहत आने वाले राज्यों के लिए केंद्र सरकार 85 फीसदी खर्च वहन करेगी। राज्य सरकारें योजना की 10 फीसदी राशि का योगदान करेंगी। शेष 30 फीसदी की राशि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं की फंडिंग के माध्यम से वसूली जाएगी। इस योजना के अंतर्गत गाँवों में बिजली पहुँचाने के लिए 14,000 करोड़ की धनराशि खर्च की जाएगी वहीं शहरी इलाकों में नए बिजली कनेक्शन के लिए 1,700 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की जाएगी। इस योजना के तहत 2011 की जनगणना में शामिल ना होने वाले परिवारों और गरीबी रेखा से ऊपर जीवन-यापन करने वाले परिवारों को भी बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए उन्हें 500 रुपए की धनराशि का भुगतान करना होगा। यह धनराशि उनके बिजली बिल के साथ 50 रुपए प्रतिमाह के दर से 10 महीनों में वसूली जाएगी।
योजना का आधार
सौभाग्य योजना का आधार 2011 की जनगणना होगी। सरकार नए कनेक्शन देने के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करेगी जिसमें आर्थिक, सामाजिक और जाति जनगणना के आंकड़ें शामिल है। इस योजना का लाभ उन परिवारों को भी मिलेगा जिनकी पहचान वर्ष 2011 की जनगणना में बिना कनेक्शन वाले परिवारों के तहत हुई है। इस योजना के तहत सरकार ट्रांसफार्मर, बिजली के खम्भे और तार लगाने में मदद करेगी। नए कनेक्शन के साथ-साथ एक एलईडी लाइट और एक चार्जिंग प्वॉइंट भी मिलेगा। हर बिजली कनेक्शन पर एक स्मार्ट मीटर लगेगा जो प्री-पेड होगा। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ता अपने खर्च और जरुरत के हिसाब से अपना बिजली कनेक्शन भी रिचार्ज कर सकेंगे। इन बिजली कनेक्शनों को भारत सरकार के भीम ऐप से रिचार्ज किया जा सकेगा।
इन राज्यों को मिलेगा बड़ा फायदा
देश के 8 बड़े राज्यों को सौभाग्य योजना से सीधा फायदा मिलेगा। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और गुजरात के नाम शामिल हैं। पते की बात यह है कि इन सभी राज्यों में या तो भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में हैं या फिर उसकी गठबंधन सरकार है। ऐसे में सौभाग्य योजना को भाजपा के राजनीतिक हथकंडे की तरह भी देखा जा रहा है। 2011 की जनगणना और ऊर्जा मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश और बिहार के 25 फीसदी परिवारों तक बिजली नहीं पहुँच सकी है। पेश है बिजली कनेक्शन से वंचित घरों की राज्यवार सूची :
प्रदेश बिजली कनेक्शन से वंचित घर
उत्तर प्रदेश 1,46,66,815
बिहार 64,95,622
झारखंड 30,47,833
मध्यप्रदेश 45,02,027
राजस्थान 20,20,979
हरियाणा 6,83,690
छत्तीसगढ़ 6,44,458
गुजरात 23,059
भाजपा का सियासी दांव है सौभाग्य योजना
मोदी सरकार के कथनानुसार, “हर घर में बिजली होने से केरोसिन के इस्तेमाल में कमी आएगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में भी सेवाओं में सुधर आएगा। घर-घर में टीवी, रेडियो होने से लोगों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था सुधरेगी और रोजगार के अवसर बनेंगे। महिलाओं के जीवनस्तर में भी सुधर आएगा।” इन सबसे परे अगर मौजूदा हालातों और सियासी समीकरणों की तरफ ध्यान दें तो यह योजना भाजपा का चुनावी दांव नजर आती है। इस योजना के तहत जिन राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है उनमें से 4 राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। गुजरात में चुनाव इस वर्ष के आखिर तक होंगे वहीं शेष राज्यों में चुनाव अगले वर्ष होंगे। केंद्र सरकार ने इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य 31 मार्च, 2019 रखा है जिसके तुरंत बाद लोकसभा चुनाव होंगे।
सौभाग्य योजना के तहत मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को भी केंद्र बिंदु में रखा है। जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मोदी सरकार लगातार प्रयासरत है और वह इसके लिए जरुरी कदम भी उठा रही है। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर के राज्यों को भी इस योजना के तहत विशेष राज्य की श्रेणी में रखा गया है और केंद्र सरकार वहाँ होने वाले खर्च का 85 फीसदी हिस्सा खुद वहन कर रही है। मोदी सरकार ने जिन 8 भाजपा शासित प्रदेशों को योजना का केंद्र बिंदु बनाया है, सम्मिलित रूप से उन राज्यों में 235 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा 2014 के लोकसभा चुनावों में यहाँ काफी सफल रही थी और इस बार भी उसकी नजर 225+ सीटें जीतने पर हैं। इन सभी राज्यों में भाजपा की सरकार है। ऐसे में सौभाग्य योजना के तहत गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोगों को साधकर भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल कर सकती है।