Mon. Dec 23rd, 2024
    तेजस्वी यादव और तेज प्रताप

    बिहार के भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाले को लेकर उठा सियासी बवंडर अभी तक थमा नहीं है। ‘सुरसा’ के मुँह की तरह सृजन घोटाले का दायरा रोज बढ़ता ही जा रहा है और इसमें आरोपियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। घोटाले की अनुमानित रकम अब 871 करोड़ रूपये तक जा पहुँची है। आज बिहार विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ और इस वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। आज सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही आरजेडी विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। वे सृजन घोटाले में सरकार की संलिप्तता पर नारेबाजी कर रहे थे। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

    विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद आरजेडी के सभी विधायक पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा के नीचे धरने पर बैठ गए। करीब आधे घंटे तक सभी विधायक विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेज प्रताप के साथ कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा के नीचे बैठे रहे और बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी इस घोटाले के आरोपियों में शामिल हैं और उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। आरजेडी ने आरोप लगे कि नीतीश-मोदी की जोड़ी घोटालों के लिए जिम्मेदार है।

    तेजस्वी यादव और तेज प्रताप
    तेजस्वी यादव और तेज प्रताप

    बता दें कि बिहार के भागलपुर में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड पर करीब 1000 करोड़ रूपये का घोटाला करने का आरोप लगा था। इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में प्रदेश के कई बड़े नेताओं का नाम सामने आ रहा है। संस्था पर बैंक और ट्रेजरी के कर्मचारियों के साथ मिलकर करोड़ों रूपये के गबन करने का आरोप है। बैंक अधिकारी गुपचुप तरीके से सरकारी फंड संस्था के खाते में डाल देते थे। इस पैसे को रियल एस्टेट बिज़नेस में लगाकर संस्था ने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रूपये कमाए थे। कुछ दिनों पूर्व ही बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जनादेश अपमान यात्रा के दौरान भागलपुर जिला प्रशासन ने जिले में सभा करने से रोक दिया था। इसे लेकर तेजस्वी यादव भागलपुर रेलवे स्टेशन परिसर में ही धरने पर बैठ गए थे।

    सृजन घोटाले के मुख्य आरोपी की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इससे मामले में नया विवाद खड़ा हो गया था। मुख्य आरोपी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद ‘सृजन’ घोटाले को बिहार का ‘व्यापम’ कहा जाने लगा था। वहीं मृतक के परिजनों ने इलाज के दौरान हुई मौत पर सवाल उठाते हुए बिहार सरकार पर आरोप लगाया था कि उनके इलाज में कोताही बरती जा रही थी। अगर सही ढंग से इलाज होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। वह घोटाले के कई और आरोपियों का पर्दाफाश कर सकते थे। मृत आरोपी का नाम महेश मंडल था और वह जिला कल्याण विभाग में कर्मचारी थे। घोटाले के आरोपियों में नाम आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और पुलिस ने उन्हें 13 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

    आरोपी महेश मंडल भागलपुर जिला कल्याण विभाग में कर्मचारी थे। पुलिस ने उन्हें 2 दिन की रिमांड पर लिया था और 15 अगस्त को कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था। महेश मंडल ने कोर्ट को अपनी ख़राब तबीयत को लेकर दलील दी थी जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया था। महेश मंडल ने कोर्ट में किडनी ख़राब होने की शिकायत की थी। उनको शुगर की भी समस्या थी। उन्होंने कोर्ट से इस सम्बन्ध में इलाज के लिए मोहलत मांगी थी जिसके कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें शुक्रवार और शनिवार को मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिनों तक इलाज कराने के बाद रविवार को महेश को वापस जेल भेज दिया गया था जहाँ रविवार शाम को महेश की तबियत अचानक खराब हो गई थी। रविवार रात को ही इलाज के दौरान महेश की मौत हो गई थी।

    महेश मंडल की मौत के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि महेश मंडल जेडीयू के एक अमीर नेता के पिता थे। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है “सृजन महाघोटाले में पहली मौत। 13 गिरफ़्तार, उनमें से एक की मौत। मरने वाला भागलपुर में नीतीश की पार्टी के एक बहुत अमीर नेता का पिता था।” अभी तक इस बहुचर्चित घोटाले में 13 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। बिहार सरकार ने घटना की सीबीआई जाँच के आदेश दिए हैं। लालू प्रसाद यादव द्वारा 27 अगस्त को पटना में आयोजित ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली का मुख्य मुद्दा सृजन घोटाला हो सकता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।