सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने “म्युनिसिपल ऑफिशल्स” के ऊपर सख्त नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा है कि कई लोगो ने वायु प्रदूषण को लेकर शिकायत दर्ज़ कराई है मगर “म्युनिसिपल अधिकारीयों” ने एक भी कदम नहीं उठाया है। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि इनमें से कुछ शिकायतें सुनी जा चुकी है बाकी कुछ, लोकल एजेंसी के खिलाफ झूठ कह रहे हैं।
केंद्र की तरफ से पेश होने वाली काउंसिल ने कहा कि दिल्ली में जगह जगह से लोग शिकायत दर्ज़ कर रहे हैं। सीपीसीबी की तरफ से शुरू की गयी ‘समीर एप’ के द्वारा लोगों ने 1 नवंबर से 24 नवंबर के बीच अबतक 3000 शिकायतें दर्ज़ करा दी हैं। इसके अलावा, 749 शिकायतें सोशल मीडिया से भी मिल चुकी हैं।
नई दिल्ली टेलीविज़न की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोकल एजेंसी के कुछ ना करने से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने कहा-“लोकल एजेंसी पे मुकदमा चलाओ। उन्हें जेल भेजो। यही एक तरीका बचा है।” केंद्र की तरफ से पेश होने वाली काउंसिल ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश का पालन करेगी।
वायु प्रदूषण का स्तर दिल्ली और आसपास की जगहों में ‘बहुत खराब’ केटेगरी को भी पार कर लिया है। सीपीसीबी ने वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘320’ तक रिकॉर्ड कराया है। 23 शहर ‘बहुत खराब’ केटेगरी में आये हुए हैं जबकि बाकी 12 ‘खराब’ केटेगरी में। पीएम2.5 और पीएम10 एक बहुत बड़ा कारण है दिल्ली की दिन पे दिन हवा बिगड़ने का। छोटे हो या बड़े, ये तत्व हमेशा हवा में मौजूद रहते हैं और क्रोनिक डिजीज जैसे अस्थमा, हार्ट अटैक, ब्रोंकाइटिस और बाकि सास से जुडी बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।